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रावण की पुत्री थी सीता? इस कारण से हुआ था धरती से जन्म

Simran Singh • LAST UPDATED : July 14, 2024, 12:58 pm IST
रावण की पुत्री थी सीता? इस कारण से हुआ था धरती से जन्म

Ravana Daughter Sit

India News (इंडिया न्यूज), Ravana Daughter Sita: रामायण की कहानी में राम, सीता और रावण एक ऐसे मध्यियम थे जो संसार को एक नई शिक्षा देने के लिए आए थे। ऐसे में कई तरह की कहानी और किस्से रामायण को लेकर लोगों के बीच मशहूर है। जिसमें से एक कहानी यह भी है की सीता रावण की पुत्री थी। आखिर इसके पीछे कितनी सच्चाई है और इस कहानी का क्या अंश है। आज की इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे।

  • रावण की पुत्री थी सीता!
  • इस कारण से रावण की पुत्री का मिला था पद

रावण की बेटी थी सीता!

बता दे की रामायण की कहानी के अनुसार माता सीता का जन्म धरती से हुआ था और राजा जनक ने उनका पालन पोषण किया था। जिस वजह से वह राजा जनक की पुत्री के तौर पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेकिन अद्भुत रामायण के अंदर इस बात का जिक्र किया गया है की माता सीता रावण और मंदोदरी की पुत्री थी। जिसको रावण ने जन्म के तुरंत बाद समुद्र में फेंक दिया था।

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अद्भुत रामायण में बताई गई कथा

अद्भुत रामायण की बात करें तो उसमें एक प्रसंग में दण्डकारण्य में गृत्स्मद नामक एक ब्राह्मण मां लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में पाना चाहता था, इसलिए वह ब्राह्मण रोजाना एक कलश में कुश के अग्र भाग से मंत्रोच्चारण करते हुए दूध को समर्पित करता था। इस दौरान देवताओं और असुरों के बीच संग्राम होने लगा। कथा के अनुसार बताया जाता है कि रावण उसे कुटिया में पहुंच गया लेकिन वहां गृत्स्मद ब्राह्मण नहीं था। ऐसे में रावण ने वहां मौजूद अन्य ब्राह्मण और ऋषियों को मार कर उनका रक्त उसी कलश में भर दिया।

कलश लेकर लंका आ गया था रावण

वही इस संघार को करने के बाद रावण उसे कलश को लेकर लंका गया था और अपनी पत्नी मंदोदरी से कलश को संभाल के रखने के लिए कह दिया। मंदोरी ने जब पूछा कि इसके अंदर क्या है तो रावण ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। इसके बाद रावण विहार करने के उद्देश्य से सह्याद्रि पर्वत पर चला गया। इस दौरान नाराज मंदोदरी ने उस कलश में रखें पदार्थ को पी लिया और कुछ समय बाद वह गर्भवती हो गई।

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मंदोदरी ने किया था यह काम

अचानक से गर्भवती होने की अवस्था में मंदोदरी काफी ज्यादा डर गई और उन्होंने इस भ्रूण को निकालकर एक घड़े में बंद करके मिट्टी में दबा दिया और राजा जनक हल चलाते हुए इस घड़े को निकलते हैं। बता दे की अद्भुत रामायण को भी वाल्मीकि जी और संस्कृत भाषा में रचित किया गया था।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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