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India News (इंडिया न्यूज), Safed Kapde Se Kyu Dhakte Hain Shav: मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार एक ऐसा धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान है, जो व्यक्ति के जीवन की अंतिम यात्रा का सम्मानजनक समापन होता है। विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में कुछ खास परंपराओं का पालन किया जाता है, जो उस व्यक्ति की आत्मा को शांति प्रदान करने के उद्देश्य से होती हैं। भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं में मृतक के मुंह को सफेद चादर से ढकने का एक विशेष महत्व है। आइए, जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण हैं:
सफेद रंग को शांति, पवित्रता, और शोक का प्रतीक माना जाता है। अंतिम संस्कार के समय सफेद चादर का उपयोग मृतक की आत्मा को शांति और पवित्रता प्रदान करने के लिए किया जाता है। यह मान्यता है कि सफेद रंग आत्मा की शुद्धता और उसके सांसारिक बंधनों से मुक्त होने का प्रतीक है। सफेद चादर से मृतक का शरीर ढककर उसे अंतिम यात्रा के लिए सम्मानपूर्वक विदा किया जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि अंतिम संस्कार के समय मृतक की आत्मा शरीर में मौजूद होती है। जब मुंह को सफेद चादर से ढका जाता है, तो इसे आत्मा को शांति प्रदान करने के एक रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रक्रिया के माध्यम से आत्मा को एक सम्मानजनक और शांतिपूर्ण विदाई दी जाती है, ताकि वह अपनी अगली यात्रा की ओर बढ़ सके।
मृतक के शरीर और विशेष रूप से मुंह को ढकने का एक अन्य प्रमुख कारण है उसकी निजता और सम्मान को बनाए रखना। यह क्रिया यह सुनिश्चित करती है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति के शरीर को सार्वजनिक दृष्टि से ढका जाए, जिससे कि उसके सम्मान की रक्षा हो सके। इस प्रक्रिया के माध्यम से मृतक के शरीर को पूरा आदर और गरिमा के साथ अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया जाता है।
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सफेद चादर से मृतक के मुंह को ढकने का एक और अर्थ यह होता है कि अब वह व्यक्ति सांसारिक गतिविधियों, रिश्तों और बोलचाल से मुक्त हो चुका है। यह इस बात का प्रतीक है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति की सांसारिक पहचान समाप्त हो जाती है और वह आत्मा के रूप में अपनी अगली यात्रा की तैयारी कर रहा है।
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह माना जाता है कि मृत्यु के बाद आत्मा शुद्ध हो जाती है और शरीर सिर्फ एक माध्यम होता है। सफेद कपड़े का उपयोग इस शुद्धता को दर्शाने और आत्मा को उसके नए जीवन की ओर इंगित करने के लिए किया जाता है। यह सफेद कपड़ा उस शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक होता है जिसे आत्मा अपनी यात्रा के अगले चरण में लेकर जाती है।
कुछ धार्मिक मान्यताओं में यह विश्वास है कि मृत्यु के बाद शव के आसपास नकारात्मक ऊर्जा हो सकती है, जो आत्मा की शांति में बाधा डाल सकती है। लेकिन सफेद कपड़े से ढकने पर यह नकारात्मक ऊर्जा शव तक नहीं पहुंच पाती और आत्मा शांति से अपनी यात्रा की ओर बढ़ती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से आत्मा की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित की जाती है।
अंतिम संस्कार के समय मुंह को ढकने का एक और महत्वपूर्ण भाव यह है कि अब व्यक्ति की सांसारिक पहचान समाप्त हो गई है। यह उस व्यक्ति के जीवन के अंतिम पड़ाव का प्रतीक है, जब वह सभी सांसारिक जिम्मेदारियों, रिश्तों, और बोलचाल से मुक्त हो चुका है। इस प्रक्रिया के माध्यम से यह दिखाया जाता है कि अब वह व्यक्ति सांसारिक जीवन से आगे बढ़ चुका है और उसे आत्मिक शांति की ओर विदा किया जा रहा है।
अंतिम संस्कार में मृतक के मुंह को सफेद चादर से ढकने की यह परंपरा न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं का हिस्सा है, बल्कि यह मृतक के प्रति सम्मान, शांति, और शुद्धता का भी प्रतीक है। यह एक महत्वपूर्ण क्रिया है जो मृतक को उसकी अंतिम यात्रा के लिए तैयार करती है, साथ ही उसके परिवार और समाज को यह संदेश देती है कि वह अब सांसारिक बंधनों से मुक्त हो चुका है और अपनी आत्मा की शांति के लिए विदा हो चुका है।
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