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रावण दहन के बाद उसकी राख को क्यों लाना चाहिए घर? जानने के बाद आप भी नहीं रोक पाएंगे खुद को

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED : October 10, 2024, 8:50 pm IST
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रावण दहन के बाद उसकी राख को क्यों लाना चाहिए घर? जानने के बाद आप भी नहीं रोक पाएंगे खुद को

Vijayadashami Ravan Dahan

India News (इंडिया न्यूज),Vijayadashami Ravan Dahan 2024:पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कहा जाता है कि सोने की लंका का निर्माण धनपति कुबेर ने किया था। इसलिए लंका की राख को तिजोरी में रखने से कुबेर का वास तिजोरी में माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन-संपत्ति आती है। इसी वजह से विजय दशमी के दिन रावण का पुतला जलाने के बाद लोग उसकी राख लाकर घर में रखते हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार हड्डियों की राख को घर में रखने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। इस राख को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश भी रुकता है और घर में धन-संपत्ति स्थाई रूप से बनी रहती है।

दशहरा कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे से शुरू होकर 13 अक्टूबर को सुबह 9:08 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त

हिंदू मान्यताओं के अनुसार रावण दहन प्रदोष काल में किया जाता है। पंचांग के अनुसार 12 अक्टूबर को रावण दहन का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 बजे से शाम 7:27 बजे तक रहेगा।

धार्मिक मान्यताएं

दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। दशहरा नवरात्रि उत्सव का आखिरी दिन होता है। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा की जाती है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। दशहरे पर मां की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता के अनुसार दशहरे पर रावण की अस्थियां घर लाना शुभ माना जाता है। दशहरा एक ऐसा त्यौहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण का दहन किया जाता है। दाह संस्कार के बाद उनकी राख को लाना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। रावण की राख को लाना हमें अपने अंदर की बुराई को दूर करने और जीवन में अच्छे गुणों को विकसित करने की प्रेरणा देता है। दशहरा एक ऐसा अवसर है जब लोग एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं, जिससे समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है। इस तरह दशहरा न केवल एक धार्मिक त्यौहार है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्यौहार भी है जो लोगों को जोड़ता है।

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