Hindi News / Dharam / Why Was The Symbol Of Veena Made On The Flag Of Ravanas Chariot

रावण की आधी शक्ति का राज था ये चिह्न…युद्ध के समय भी रथ के झण्डे पर रहता था हमेशा विराजमान?

Ravan's Lucky Sign Veena: रावण का संगीत के प्रति प्रेम अद्वितीय था। वह वीणा बजाने में निपुण था और उसके संगीत में ऐसी जादुई शक्ति थी कि स्वर्ग के देवता भी उसकी तान सुनने के लिए पृथ्वी पर उतर आते थे।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), Ravan’s Lucky Sign Veena: जब हम रावण का नाम लेते हैं, तो मन में एक नकारात्मक छवि उभरती है, लेकिन रावण के व्यक्तित्व में कई ऐसी विशेषताएँ थीं जो उसे एक महान विद्वान और कलाकार बनाती थीं। हालांकि उसे अहंकारी और अधर्मी के रूप में जाना जाता है, उसकी बुद्धि और प्रतिभा का कोई सानी नहीं था।

विद्या और ज्ञान

रावण एक प्रखर विद्वान था जिसने वेदों, शास्त्रों, ज्योतिष, और वास्तु का गहन अध्ययन किया था। उसे अस्त्र-शस्त्र का अद्भुत ज्ञान था, और वह दिव्य एवं मायावी शक्तियों का स्वामी था। इसके साथ ही, वह विज्ञान के क्षेत्र में भी पारंगत था, जिससे उसकी समझ और भी विस्तृत हो जाती थी।

नवरात्री के 9 दिन घर के इन कोनो में रखकर देखिये दीवे, हर रोज दीपक में डालियेगा ये सस्ती सी चीजें, पैसा गिनने का भी नहीं मिलेगा टाइम ऐसी होगी कमाई!

Ravan’s Lucky Sign Veena: रावण का संगीत के प्रति प्रेम अद्वितीय था। वह वीणा बजाने में निपुण था और उसके संगीत में ऐसी जादुई शक्ति थी कि स्वर्ग के देवता भी उसकी तान सुनने के लिए पृथ्वी पर उतर आते थे।

अगर न होता ये धनुष तो किसी के बस्की नहीं था रावण का वध कर पाना, आखिर कैसे श्री राम के हाथ लगा था ये ब्रह्मास्त्र?

संगीत में रावण की प्रतिभा

रावण का संगीत के प्रति प्रेम अद्वितीय था। वह वीणा बजाने में निपुण था और उसके संगीत में ऐसी जादुई शक्ति थी कि स्वर्ग के देवता भी उसकी तान सुनने के लिए पृथ्वी पर उतर आते थे। रावण ने स्वयं एक वाद्य यंत्र का निर्माण किया, जिसे रावण हत्था कहा जाता है। यह यंत्र वायलिन के पूर्वज के रूप में जाना जाता है।

रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वीणा बजाता था। उसकी इस कला की वजह से रावण के रथ के ध्वज पर भी वीणा का चित्र अंकित था। यह दर्शाता है कि संगीत के प्रति उसकी अद्भुत रुचि केवल एक शौक नहीं, बल्कि एक दिव्य साधना थी।

खुद अपनी ही मृत्यु का षड्यंत्र रच रावण ने किया था कुछ ऐसा कि…यूं ही नहीं कहलाता था ब्राह्मण में सबसे बुद्धिमान?

निष्कर्ष

रावण केवल एक अहंकारी राजा नहीं था, बल्कि एक बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी था। उसकी विद्या, संगीत और शस्त्र ज्ञान ने उसे एक अद्वितीय स्थान पर खड़ा किया। इस तरह, रावण की कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी अच्छाइयों और बुराइयों के संयोजन से करना चाहिए। उसके ज्ञान और कला के प्रति समर्पण के कारण, रावण को एक जटिल और गहन व्यक्तित्व के रूप में देखा जाना चाहिए।

मरते समय रावण के इन शब्दों से हिल गई थी लक्ष्मण के पैरों तले जमीन, ये थे रावण के आखिरी कड़वे शब्द?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

DevotionalDharamKaramdharmDharmikDharmkiBaatDharmNewsindianewslatest india newsPaathKathayePrabhu Shree RamRamayanaravanaspritualSpritualitytoday india newsइंडिया न्यूज
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue