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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
2 die due to New Deadly Fungus : अभी कोरोना संक्रमण का कहर समाप्त नहीं हुआ कि देश में एक नए जानलेवा फंगस ने एंट्री ले ली है। इस फंगस से दिल्ली एम्स में दो मरीजों की मौत हो चुकी है। जिससे डॉक्टर्स और स्वास्थ्य विभाग की परेशानी बढ़ गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एम्स के डॉक्टर्स ने दोनों मरीजों में एस्परगिलस लेंटुलस (Aspergillus lentulus) फंगल इंफेक्शन के लक्षण पाए हैं। वहीं भारत में इस फंगस से मौत होने का पहला मामला दर्ज किया गया है जो काफी चिंताजनक है।
विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने बताया है कि फंगस के कारण होने वाली इंफेक्शन को ही फंगल इंफेक्शन कहते हैं। यह फंगस सूक्ष्म जीव हैं जो घर के बाहर, अंदर हर तरह के वातावरण में मौजूद होते हैं। इस इंफेक्शन की चपेट में बच्चे, बूढ़े, जवान, महिलाएं सभी आ सकते हैं। वहीं यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकता है। अब तक पता चली फंगस की 700 प्रजातियों में यह एक है।
एस्परगिलस लेंटुलस फंगस की नई प्रजाति है। इससे पहले भी एस्परगिलस फंगस मौजूद है लेकिन यह सबसे खतरनाक है। इस पर किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में 10 लाख से ज्यादा फंगस की प्रजातियां पाई जाती हैं।
अब से 10 साल पहले तक सिर्फ 300 फंगस ही खतरनाक थी। जो बीमारी पैदा करती थी। अब ऐसी फंगस 700 हो गई हैं। यह नया मिला फंगस एस्परगिलस लेंटुलस इंफ्केशन भी ऐसे ही फंगस की प्रजाति है।
बेशक भारत में इस फंगस का पहला मामला मिला है लेकिन मेडिकल जगत को इस फंगस के बारे में 2005 में ही पता लग गया था। 2005 के बाद से ही कई लोग इस फंगल इंफेक्शन की चपेट में आ चुके हैं।
इस फंगस के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके लक्ष्णों की पहचान आसानी से नहीं हो पाती। वहीं इससे पीड़ित मरीजों की तबीयत बिगड़ती जाती है। इस पर एंटी-फंगल दवाओं के का असर भी नहीं होता। यह फंगस खास तौर पर फेफड़ों को संक्रमित करता है और तेजी से पूरे फेफड़े में फैल जाता है।
जिसके बाद से सांस लेने में परेशानी होने लगती है। उसके बाद धीरे-धीरे शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं और मरीज की मौत हो जाती है। एम्स में जिन दो मरीजों की मौत हुई उनमें भी यह लक्षण पाए गए थे और उनके भी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
एस्परगिलस के मरीजों को सबसे पहले खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत होनी शुरू हो जाती है। जिसके बाद से एलर्जी शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंच जाती है। स्कीन पर लाल चकत्ते, बुखार, सिरदर्द या थकान जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
इस तरह के लक्षण पाए जाने पर बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड का इस्तेमाल न करें। डायबिटीज, किडनी, लिवर, फेफड़े की बीमारी से पीड़ित लोगों या कैंसर की वजह से कीमो करा रहे लोगों में भी फंगल इंफेक्शन का खतरा अधिक रहता है।
ऐसे में धूल भरी जगहों पर जाने से बचें। मास्क का प्रयोग करें। अगर आप मिट्टी, खाद से जुड़े काम करते हैं तो गल्ब्स का प्रयोग करें। चेहरे को अच्छे से ढकें। फुल पैंट, फुल शर्ट और जूते पहनें, ताकि फंगल इंफ्केशन का खतरा कम किया जा सके। 2 die due to New Deadly Fungus
वैसे तो यह इंफेक्शन हर किसी को नहीं होता। क्योंकि इसके केस अभी तक तो भारत में कम पाए गए हैं। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, या जिन लोगों का किसी भी तरह का कोई ट्रांसप्लांट हुआ हो, फेफड़ों की बीमारी, सांस लेने में दिक्कत, हो उन्हें यह इंफेक्शन हो सकती है।
वहीं अगर इसके इलाज के बारे में बात करें तो इसका इलाज काफी सीमित है और कम अस्पतालों में है। एंटी-फंगल की दवाओं की सीमित संख्या भी इसके मरीजों के इलाज में मुश्किलें खड़ी करती हैं। क्योंकि इस फंगस पर हर दवा का असर नहीं होता। इसका इलाज काफी महंगा होता है।
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