India News (इंडिया न्यूज), Success Story of failure: हृत्विक हलधर आज उन युवाओं के लिए मिसाल बन गए हैं, जो एक-दो असफलताओं के बाद हार मानकर बैठ जाते हैं। पश्चिम बंगाल के साधारण परिवार में जन्मे हृत्विक की राह कभी आसान नहीं रही, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत, आत्मविश्वास और कभी हार न मानने की जिद ने उन्हें सफलता की बुलंदियों तक पहुंचा दिया। सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने वाले हृत्विक ने जिस हौसले के साथ संघर्षों का सामना किया, वह हर किसी के लिए प्रेरणा है।
सरकारी स्कूल से हुई है हृत्विक की पढ़ाई
Hritwik Haldar Success Story
हृत्विक की शुरुआती पढ़ाई एक बंगाली मीडियम के सरकारी स्कूल में हुई। बचपन में हृत्विक के लिए पढ़ाई एक बोझ थी। किसी तरह रटकर परीक्षा पास करना ही उनका मकसद था। लेकिन कक्षा 10 में पहुंचने के बाद उन्होंने अपने पढ़ाई के तरीके में बदलाव किया। रटने के बजाय विषय को समझने पर ध्यान दिया और पढ़ाई में रुचि लेना शुरू किया। इस बदलाव का असर जल्द ही दिखा और हाई स्कूल में उन्होंने शानदार 93.4% अंक हासिल किए।
KVPY SB एग्जाम ने बदली किस्मत
हाई स्कूल की सफलता के बाद हृत्विक ने JEE, JEE Advanced, NEET और KVPY जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में किस्मत आजमाई, लेकिन बार-बार असफलता हाथ लगी। कई असफलताओं के बावजूद हृत्विक ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया और अपने लक्ष्य पर डटे रहे। इसके बाद उन्होंने रामकृष्ण मिशन स्कूल (RKM), बेलूर से आगे की पढ़ाई की। वहां पढ़ाई के दौरान उन्होंने फिर से KVPY SB परीक्षा दी, जिसमें उन्हें SC कैटेगरी में 10वीं रैंक मिली। इसके दम पर उनका एडमिशन IISER पुणे में हुआ, जो देश के टॉप संस्थानों में से एक है।
कैसे मिला MIT में एडमिशन
IISER Pune में हृत्विक ने 9.1 GPA के साथ पढ़ाई पूरी की। यहां से निकलने के बाद हृत्विक ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में एडमिशन लिया। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल MIT तक पहुंचना किसी सपने के सच होने जैसा था। हृत्विक की यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए सबक है, जो असफलताओं से डरकर पीछे हट जाते हैं। हृत्विक ने साबित कर दिया कि असफलता अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत होती है।