नीना शर्मा, CBSE Class 10th 12th Result 2022 LIVE Updates : सीबीएसई बोर्ड में इस बार एग्जाम दो टर्म में लिए गए हैं। सीबीएसई बोर्ड को फाइनल रिजल्ट तैयार करना है। इससे पहले छात्रों ने सोशल मीडिया के जरिये एक नई मांग रख दी है। सीबीएसई बोर्ड 10वीं 12वी के एग्जाम खत्म हो चुके हैं। अब छात्रों को रिजल्ट का इंतजार है, लेकिन साथ ही साथ यह डर भी सता रहा है कि टर्म एग्जाम्स के इवैल्यूएशन के लिए सीबीएसई बोर्ड कौन-सी पॉलिसी लागू करेगा।देशभर के तमाम हिस्सों से छात्र लगातार सोशल मीडिया पर मांग उठा रहे हैं कि उनके अंकों का मूल्यांकन टर्म 1 और टर्म 2 के बेस्ट ऑफ आइदर सब्जेक्ट्स के फॉर्मूले से किया जाए।
स्टूडेंट्स नीरज का कहना है कि इवैल्यूएशन बेस्ट ऑफ आइदर टर्म्स के हिसाब से होना चाहिए। अब तक स्टूडेंट्स ने पांच सब्जेक्ट का करीब दस बार एग्जाम दिया है. वहीं टर्म वन और टर्म टू दोनों ही अलग अलग तरीके से हुए हैं।टर्म वन जहां ऑब्जेक्टिव बेस्ड था वहीं टर्म टू सब्जेक्टिव था। अब स्टूडेंट्स को वेटेज में वो मार्क्स दिए जाएं जो किसी एक टर्म में ज्यादा हो।
स्टूडेंट्स हिमांशु ने उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि मान लीजिए इंग्लिश में टर्म वन मे 35 आए हैं टर्म टू में 20 आए हैं तो पर्सेंटेज में वेटेज के लिए टर्म वन का बेसिज लिया जाए। इसी तरह उदाहरण के लिए अगर साइंस में टर्म टू में ज्यादा है तो उसे लें. हिमांशु कहते हैं कि अगर किसी बच्चे का एक एग्जाम खराब भी गया है तो दूसरे से उसका कवर किया जा सकेगा।
इसलिए उसने जो दो एग्जाम दिए हैं, उसमें बेस्ट को कंसीडर करना चाहिए।टर्म वन और टर्म टू का रिजल्ट अलग अलग बना रहे। लेकिन फाइनल में वेटेज सिस्टम होना चाहिए। अगर बोर्ड पहले की तरह तय 70:30 फार्मूला लागू करता है तो ये बच्चों के साथ बड़ा अन्याय हो जाएगा।इसके लिए 50:50 वेटेज देना भी ठीक है।स्टूडेंट्स का कहना है कि बेस्ट ऑफ आइदर सब्जेक्ट दें।
स्टूडेंट्स के मन की चिंता साफ देखी जा सकती है। स्टूडेंट मृत्युंजय कहते हैं कि हमें टर्म वन में जहां करीब 8 महीने मिले, वहीं दूसरे में चार महीने मिले, जिसमें प्री बोर्ड और प्रैक्टिकल वगैरह भी शामिल थे। वो कहते हैं कि सीबीएसई बोर्ड को यह भी समझना चाहिए कि कोरोना के दौरान बीते सालों में हमारी पढ़ाई काफी प्रभावित हुई है।स्टूडेंट्स का यह भी तर्क है कि ऑनलाइन पढ़ाई से सभी स्टूडेंट को उस तरह की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाई जितनी कि ऑफ लाइन क्लासेज में मिलती है।
स्टूडेंट अपनी मांगों को लेकर change.org के जरिये पिटिशन भी साइन करा रहे हैं। इसके अलावा कई हैशटैग के जरिये सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनके साथ किसी भी तरह की नाइंसाफी न हो।फिलहाल बोर्ड ने इसे लेकर कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं जारी की है। स्टूडेंट्स अपनी मांगों को लेकर विभिन्न रीजनल ऑफिस में प्रेंजेटेशन दे चुके हैं।
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