India News (इंडिया न्यूज़), Ashutosh Rana Exclusive, दिल्ली: बॉलीवुड में एक विख्यात नाम के अभिनेता आशुतोष राणा जिन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है। बता दे की आशुतोष राणा का पहला नाम रामनारायण नीखरा था, लेकिन फ़िल्म उद्योग में आने के समय उन्होंने अपना नाम बदल लिया। वह बचपन से ही एक्टिंग ड्रामा और नाटक के अंदर कार्य किया करते थे। इसके बाद से ही उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा।
वही सभी को पता है कि जल्द ही राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। ऐसे में इंडिया न्यूज़ के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू के दौरान आशुतोष राणा ने बताया कि वह रावण की भूमिका में कैसा महसूस करते हैं और उन्हें रावण से क्या सीखने को मिलता है। इसके साथ ही उन्होंने भगवान राम के महत्व के बारें में भी बात की।
Ashutosh Rana Exclsuive
इंडिया न्यूज़ के साथ आशुतोष राणा का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू
इंडिया न्यूज़ के सीनियर पत्रकार “राणा यशवंत” द्वारा लिए इंटरव्यू में “आशुतोष राणा” ने अपनी भूमिका रावण के बारे में बताया जिसका अभिनय वह दिल्ली में एक नाटक के रूप में कर रहे हैं।
एंकर के पूछे गए सवालों का आशुतोष राणा ने बड़े व्याख्यात रूप से जवाब दिया और अपने जवाब से उन्होंने अपने अभिनय से जुड़े प्यार को भी दिखाया।
एंकर: रावण की भूमिका को लोग नकारात्मक तरीके से देखते हैं। आप रावण में क्या-क्या विशेष पाते हैं?
आशुतोष राणा: भगवान राम से जो भी जुड़ता है वह अपने आप में ही महान हो जाता है। रावण के बारे में बताएं तो उनका शत्रु वाला रिश्ता भगवान राम से था, लेकिन वह इसलिए था क्योंकि वह मुक्ति की तलाश में थे। उन्होंने भगवान ब्रह्मा और भगवान शिव से अमर होने की इच्छा मांगी, लेकिन वह पूरी नहीं हुई क्योंकि संसार के नियमों के हिसाब से जिसे मनुष्य ने जन्म लिया है। उसे मारना होगा ऐसे में भगवान शिव ने अपने भक्त को निराश ना करते हुए उन्हें भगवान राम से जोड़ा। जिसके बाद उन्हें मृत्यु के बाद भी अमर होने का वरदान मिला। जिसकी वजह से आज कलयुग में बैठकर हम त्रेता युग के उसे रावण की बात कर रहे हैं।
एंकर: दिल्ली में होने वाली रामलीला में रावण की किरदार और होने वाली कलाकृति के बारे में जानकारी?
आशुतोष राणा: 25 तारीख से दिल्ली में यह आयोजन होने वाला है। इस प्ले को दिल्ली के कमानी सभागार में किया जाने वाला है और यह हमारे लिए काफी खास भी है। क्योंकि हमने अपना आखिरी नाटक जो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के आखिरी साल थर्ड ईयर में किया था। वह भी इसी थियेटर में हुआ था। जिसका नाम थ्री सिस्टर्स था जिसे 1994 में किया गया था और अब 2024 में एक बार फिर से हम अपने नाम से कमानी सभागार से ही शुरुआत कर रहे हैं। तो आपके जरिए मैं सभी को यह कहना चाहूंगा कि जो भी दिल्ली में कला प्रेमी है। वह जरूर हमारे प्ले को देखने के लिए आए। हम कलाकारों का हौसला बढ़ाएं।
एंकर: नेशनल स्कूल का ड्रामा के बाद आप एक बार फिर से नाटक में वापसी कर रहे हैं। जिसके बीच में काफी समय लगा तो इस समय को आप कैसे बताना चाहेंगे और वापसी आपके लिए कैसी रही?
आशुतोष राणा: देखिए वापसी का तो कुछ ऐसा है नहीं क्योंकि मैं शुरू से ही अभिनय कर रहा था। मैं वापसी को ऐसे देख सकता हूं कि रंगमंच एक तरह का अखाड़ा है। जहां पर पहलवान तैयार होता है और सिनेमा एक तरह का मंच है। जहां पर उसे ओलंपिक के खेल में हिस्सा लेना होता है। जहां वह अपना प्रदर्शन करता है। इस तरह से मैं कहूं तो रंगमंच में एक पहलवान को पूरी तरीके से तैयार किया जाता है। हर परेशानी को दिखाया जाता है और उसके बाद सिनेमा में बड़े मंच पर उसका प्रदर्शन किया जाता है। तुम्हें यही कहना चाहूंगा कि रंगमंच एक प्रशिक्षण है और सिनेमा एक प्रदर्शन।
एंकर: अपने जैसे प्रशिक्षण और प्रदर्शन के बारे में कहा लेकिन एक बड़ी जमात है जो सिनेमा में बिना किसी प्रशिक्षण के आती है?
आशुतोष राणा: जैसा कि मैं आपको बताया कि मैं उनमें से हूं जिसने पहले प्रशिक्षण लिया और उसके बाद प्रदर्शन किया कुछ लोग ऐसे होते हैं जो काम करते-करते ही प्रशिक्षण लेते हैं और फिर प्रदर्शन करते रहते हैं। वह लोग काफी हिम्मत वाले होते हैं लेकिन मैं हमेशा सोचा कि पहले सीख लेते हैं। उसके बाद प्रदर्शन करेंगे जिससे हम सही रहे लेकिन दोनों की ही महत्वता बिल्कुल बराबर है क्योंकि बात सिर्फ प्रशिक्षण की ही होती है। मैं तो हमेशा प्रशिक्षण में ही मानता हूं जो लोग काम करते-करते सीखते हैं। वह भी काफी विख्यात है और जो काम सीख के आते हैं वह भी विख्यात है।
एंकर: भगवान राम के तत्वों का आशुतोष राणा कैसे दिखते हैं? Ashutosh Rana Exclusive
आशुतोष राणा: अगर दोनों के अंतर की बात करें तो दोनों ही शिव भक्त थे, लेकिन रावण कामना से भरे हुए थे और भगवान श्री राम भावना से भरे हुए थे। ऐसे में जो भक्त भगवान राम की कामना करते हैं। भगवान उन्हें कामना अनुसार फल देते हैं और जो भावना के साथ उनका पूजन करते हैं। भगवान उन्हें वह देते हैं जो भगवान देना चाहते हैं। ऐसे में जब भगवान शिव ने देखा कि रावण को मुक्ति चाहिए और उसकी वह कामना है। तो उन्होंने रावण को श्री राम से जोड़ा जिसके बाद उन्हें मुक्ति मिली और भगवान श्री राम को पुरूषोथ मिला जिसकी वजह से आज भी उनकी इतनी व्याख्या होती है। इसके साथ ही जितना जरूरी धर्म है उतना ही आचरण भी जरूरी है। ऐसे में अगर हम राम को मानने के साथ-साथ राम की मानना भी शुरू कर दे। तो हमारा जीवन शिव की तरफ चल जाएगा।
पूरे इंटरव्यू को देखने के लिए नीचे दी वीडियो लिक पर क्लिक करें Ashutosh Rana Exclusive