India News (इंडिया न्यूज),Vicky Kaushal : बॉलीवुड अभिनेता विक्की कौशल ने अपनी फिल्म ‘छावा’ के प्रचार की शुरुआत करने से पहले औरंगाबाद के घृष्णेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। यह एक ऐतिहासिक फिल्म है, जिसमें कौशल छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका में दिखाई देंगे। फिल्म में मुगल शहंशाह औरंगजेब के किरदार में अक्षय खन्ना नजर आए हैं। दिलचस्प बात यह है कि छावा की पूरी शूटिंग के दौरान विक्की और अक्षय ने एक-दूसरे से कभी बातचीत नहीं की। ये फिल्म 14 फरवरी को रिलीज होगी। कौशल ने एक ऐतिहासिक व्यक्ति की भूमिका निभाने के लिए आवश्यक व्यापक शारीरिक और मानसिक तैयारी के बारे में भी बताया। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है जिसमें वे भोलेनाथ को भभूति लगाकर आशीर्वाद लेते दिखाई दे रहे हैं। आपको बता दें कि वह बॉलीवुड के दिग्गज एक्शन डायरेक्टर शाम कौशल के बेटे हैं।
यह फिल्म एक ऐतिहासिक ड्रामा है, जिसमें विक्की कौशल साहसी मराठा शासक के शानदार शासनकाल को दर्शाने के लिए तैयार है, जिसकी शुरुआत 1681 में उनके राज्याभिषेक से होती है। जयपुर में फिल्म के प्रचार के दौरान, विक्की ने मीडिया से बात की कि उन्होंने इस भूमिका के लिए कैसे तैयारी की। उन्होंने कहा, “एक बायोपिक के लिए न केवल एक अभिनेता बल्कि पूरी टीम को बहुत सारी तैयारी करनी पड़ती है। एक ऐतिहासिक विषय पर काम करना बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसका बजट बहुत बड़ा होता है और स्क्रीन पर एक अलग युग का निर्माण करना होता है। हमने इसे यथासंभव यथार्थवादी बनाने की कोशिश की है।
vicky kaushal( मूवी रिलीज होने से पहले विक्की कौशल पहुंचे ग्रिशनेश्वर मंदिर)
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निर्देशक के अलावा विक्की कौशल ने बताया कि शूटिंग के दौरान वह गुड मॉर्निंग, गुडबाय या हैलो भी नहीं किया करते थे, क्योंकि अक्षय ने औरंगजेब का किरदार निभाया था और उन्होंने छत्रपति संभाजी महाराज का। वह सीधे अपना सीन फिल्माने के दौरान मिले। विक्की कौशल ने कहा, “विक्की कौशल के रूप में अक्षय खन्ना से कोई संवाद नहीं हुआ।” विक्की कौशल ने इस दौरान बताया कि सीन की गंभीरता को देखते हुए वह एक दूसरे के साथ कुर्सी पर अगल-बगल भी नहीं बैठा करते थे। मुझे उम्मीद है कि फिल्म की रिलीज के बाद मैं उनसे बात कर पाऊंगा, लेकिन शूटिंग के दौरान हमने कभी एक-दूसरे से बातचीत नहीं की।”
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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग और शिवालय तीर्थ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में गंगा नदी और एलोरा गुफाओं के नज़दीक स्थित है। यहां की यात्रा शिवालय तीर्थ, ज्योतिर्लिंग और लक्ष्य विनायक गणेश के दर्शन से पूर्ण होती है। ये सभी तीर्थस्थल 500 मीटर के दायरे में हैं। बाहर से देखने पर घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सामान्य मंदिरों की भांति दिखाई देता है, लेकिन अंदर जाकर देखने से इसकी महत्ता और भव्यता स्पष्ट होती है। इसी के पास एकनाथजी के गुरु श्रीजनार्दन महाराज की समाधि भी है। नाथ पंथ वाले तो कैलास मंदिर को ही घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्वमुखी है। कहा जाता है कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग और देवगिरि दुर्ग के बीच एक सहस्रलिंग पातालेश्वर (सूर्येश्वर) महादेव हैं, जिनकी आराधना सूर्य भगवान करते हैं। शिव पुराण के मुताबिक, घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है।
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