Hindi News / Entertainment / Chhatrapati Sambhaji Maharaj Chhatrapati Shivajis Son Sambhaji Maharaj Did Not Accept Islam Defeated Aurangzeb By Winning 120 Wars A Film Named Chhava Is Being Made On Sambhaji

वो राजा जिसकी निकाल ली गईं आंखें, शरीर के कर दिए गए कई हजार टुकड़े, फिर भी नहीं कबूला इस्लाम, 120 युद्ध जीतकर औरंगजेब को चटाई थी धूल

Chhatrapati Sambhaji Maharaj: छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है।

BY: Yogita Tyagi • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Chhatrapati Sambhaji Maharaj: छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में विक्की कौशल ने संभाजी महाराज का किरदार निभाया है, जबकि रश्मिका मंदाना उनकी पत्नी महारानी येसुबाई की भूमिका में नजर आएंगी। इस फिल्म को लेकर विवाद भी छिड़ा हुआ है, जिसमें एक लेज़िम नृत्य को हटाने की मांग उठ रही है। लेकिन इस विवाद से अलग, सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर संभाजी महाराज कौन थे और इतिहास में उनका क्या महत्व है?

छत्रपति शिवाजी के साहसी उत्तराधिकारी

संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को महाराष्ट्र के पुरंदर किले में हुआ था। वे छत्रपति शिवाजी और उनकी पहली पत्नी सईबाई के पुत्र थे। मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी ने अपने जीवन में एक शक्तिशाली और संगठित सेना खड़ी की थी, जिसे उनके पुत्र संभाजी को आगे बढ़ाना था। संभाजी महाराज को बचपन से ही प्रशासन और युद्धकला की शिक्षा दी गई थी। लेकिन उनके जीवन में संघर्ष और चुनौतियों की कमी नहीं रही। अपने पिता की मृत्यु के बाद सत्ता की लड़ाई में उन्होंने अपने सौतेले भाई राजाराम को हराकर 1681 में मराठा सिंहासन संभाला।

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मुगलों और विदेशी ताकतों से निरंतर संघर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज न केवल एक वीर योद्धा थे, बल्कि इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले महान शासक भी थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में 120 से अधिक युद्ध लड़े और हर बार विजयी रहे। उनके साहस और रणनीति के आगे मुगल सम्राट औरंगजेब भी नतमस्तक था। संभाजी का जन्म मराठा साम्राज्य के स्वर्ण युग में हुआ था, लेकिन बचपन में ही उन्होंने अपनी मां को खो दिया। उनकी परवरिश दादी जीजाबाई ने की, जिन्होंने उन्हें एक योद्धा की तरह तैयार किया। पिता शिवाजी की तरह ही उन्होंने भी युद्धकला में निपुणता हासिल की और अपने शासनकाल में मुगलों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया।

क्रूरता से की गई हत्या पर नहीं झुके संभाजी

संभाजी के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती मुगल सम्राट औरंगजेब था, जो दक्षिण भारत में मराठा शक्ति को कुचलना चाहता था। लेकिन 70 साल का औरंगजेब जीवन भर 32 साल के संभाजी को हराने का सपना ही देखता रहा, लेकिन यह कभी सच नहीं हो सका। संभाजी कभी युद्ध में नहीं हारे, लेकिन उनके अपने ही उनकी हार का कारण बने। एक षड्यंत्र के तहत उनके ही विश्वासपात्रों ने उन्हें धोखा दिया, जिसके चलते 1689 में मुगलों ने उन्हें बंदी बना लिया। औरंगजेब चाहता था कि संभाजी माफी मांग लें या इस्लाम स्वीकार कर लें, लेकिन उन्होंने अत्याचार सहते हुए भी अपने धर्म और स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। मुगलों ने संभाजी पर अत्याचारों की सारी हदें पार कर दीं। उनकी आंखें निकाल ली गईं, शरीर के टुकड़े कर दिए गए, लेकिन वे अडिग रहे। उनकी शहादत ने मराठा साम्राज्य को और मजबूत किया। कहा जाता है कि संभाजी की वीरता से प्रभावित होकर औरंगजेब ने कहा था कि काश, उसके पास भी संभाजी जैसा बेटा होता।

मराठा साम्राज्य को संभालने की चुनौती

संभाजी महाराज की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य अस्थिर हो गया। उनके सौतेले भाई राजाराम प्रथम ने सत्ता संभाली और राजधानी को दक्षिण भारत के जिंजी किलेमें स्थानांतरित कर दिया। संभाजी महाराज की पत्नी येसुबाई और उनके बेटे शाहू महाराज को मुगलों ने बंदी बना लिया। शाहू महाराज को 18 वर्षों तक कैद में रखा गया, लेकिन बाद में उन्होंने मराठा साम्राज्य की नई दिशा तय की।

एक योद्धा ही नहीं

संभाजी महाराज केवल एक महान योद्धा नहीं थे, बल्कि एक उत्कृष्ट विद्वान भी थे। उन्हें संस्कृत और मराठी भाषा में गहरी रुचि थी। उन्होंने ‘बुद्धभूषणम’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें एक राजा के कर्तव्यों और रणनीतियों के बारे में चर्चा की गई थी। इसके अलावा, उन्होंने नायिकाभेद’, ‘सातशतक’ और ‘नखशिखा’ जैसी पुस्तकें भी लिखीं।

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