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Independence Day 2025: बैसारन घाटी, पहलगाम, अपने शांत और मनमोहक दृश्यों के लिए जानी जाती है। लेकिन 22 अप्रैल 2025 को यह शांति एक आतंकी हमले से भंग हो गई। इस हमले ने भारतीय सैनिकों की वीरता, साहस और कर्तव्यपरायणता को परखने का एक बड़ा मौका दिया। “जय हिंद” शायर मीत के इस गीत की शुरुआत इसी घटना से होती है, जो न केवल उस दिन की कहानी सुनाता है बल्कि हर श्रोता को देश के प्रति गर्व से भर देता है। यह क्षण भारतीय इतिहास के साहसिक पन्नों में हमेशा अंकित रहेगा।
ऑपरेशन सिंदूर और रणभूमि में गूंजते केसरिया संकल्प के नारे (Operation Sindoor and the slogans of Kesariya Sankalp resonating in the battlefield)
हमले के बाद भारतीय जवानों ने बिना देरी के ऑपरेशन (Operation Sindoor) सिंदूर का आरंभ किया। केसरिया साफा और दृढ़ नजरों के साथ, उन्होंने आतंकियों का सफाया करने का संकल्प लिया। “जय हिंद” के नारों और तिरंगे की शपथ ने रणभूमि में ऊर्जा भर दी। गीत का यह हिस्सा हर सुर में सैनिकों के उस अदम्य साहस को दर्शाता है, जिसने निडर होकर गोलियों की बौछार में भी मातृभूमि की रक्षा की। हर बीट सैनिकों के बलिदान और देशभक्ति का एहसास कराती है।
विजय की विरासत और अमर शौर्य की अमिट छाप (The legacy of victory and the indelible mark of immortal valor) ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor )की निर्णायक कार्रवाई के बाद, घाटी में शांति लौट आई लेकिन वह शांति अब वीरता की गूंज से भरी थी। लहराते तिरंगे के नीचे वीरों की कहानियां हवाओं में घुल गईं। “जय हिंद” शायर मीत का यह देशभक्ति गीत उन्हीं गाथाओं को भावनाओं, दमदार संगीत और सिनेमाई दृश्यों में पिरोकर प्रस्तुत करता है। यह न केवल शहीदों की याद दिलाता है बल्कि हर भारतीय को एकजुट होकर देश की रक्षा के लिए तैयार रहने की प्रेरणा भी देता है।