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इंडिया न्यूज़, Bollywood News:
बी टाउन एक्टर सोनू सूद अपनी फिल्मों के अलावा अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं। बता दें कि सोनू सूद को अभिनेता से लेकर विलेन तक के रोल में दर्शक पसंद करते हैं। आपको बता दें कि सोनू सूद जल्द ही अक्षय कुमार की फिल्म पृथ्वीराज में कवि चांद बरदाई का किरदार निभाते नजर आएंगे। वहीं सोनू सूद पिछले कुछ सालों से बॉलीवुड के मुकाबले साउथ इंडियन फिल्मों में ज्यादा काम कर रहे हैं। ऐसे में अब एक हालिया इंटरव्यू में उन्होंने इसके पीछे की सच्चाई बताई है। दरअसल सोनू सूद की मानें तो साउथ इंडियन फिल्में उन्हें खराब हिंदी फिल्में करने से बचाती हैं।
आपको बता दें कि सोनू सूद ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1999 में ‘कल्लाझगर’ और ‘नेन्जिनिल’ जैसी तमिल फिल्मों से की थी। वहीं अब हाल ही एक बातचीत में सोनू सूद ने कहा कि मैं स्क्रिप्ट को लेकर हमेशा चूजी रहा हूं। फिर चाहे फिल्म तामिल की हो, तेलुगु की हो या फिर हिंदी की। साउथ मुझे खराब हिंदी फिल्में करने से बचाता है। नहीं तो एक दौर ऐसा आता है, जब आपको लगने लगता है कि आप फिल्म सिर्फ बड़ी फिल्म में दिखने के लिए कर रहे हैं। साउथ मुझे ऐसा करने से दूर रहने में मदद करता है।
सोनू ने आगे बताया कि हालांकि, मैं साउथ और हिंदी दोनों इंडस्ट्री की फिल्में कर रहा हूं। लेकिन मुझे वह वक्त याद है, जब मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर साउथ इंडियन फिल्मों में चला गया था। लोग इस पर सवाल उठाने लगे थे। लेकिन यह ऐसा अनुभव है, जो मायने रखता है। यह इस बारे में है कि आपको काम करने में कितना मजा आ रहा है और आप कितना अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। मुझे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि भाषा क्या है? बस लोगों का मनोरंजन होना चाहिए।’
सोनू ने आगे कहा, ‘आप सबसे बड़े स्टार हो सकते हैं। भले सफल हों, लेकिन आप लोगों को हल्के में लेते हैं तो यकीन मानिए बाहर हो जाएंगे। वह दौर जा चुका है जब लोग अपनी मेहनत की कमाई आपकी फिल्म देखने में खर्च करते थे। और यह किसी भी इंडस्ट्री में हो सकता है। सिर्फ हिंदी फिल्में ही नहीं, साउथ की फिल्में भी जब अच्छी नहीं होतीं तो चलती नहीं हैं। हमेशा ऐसा ही रहा है। लोगों के पास अब और विकल्प हैं। अगर कोई फिल्म अच्छी नहीं लगी तो उनके पास देखने के लिए उससे बेहतर फिल्म है।’
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