Bhojpuri Cinema Popularity: भोजपुरी गाने आए दिन यूट्यूब पर ट्रेंड करते रहते हैं, लोग भोजपुरी गानों के लिरिक्स काफी पसंद करते है और इनकी जबरदस्त वाइब हर शादी पार्टी फंक्शन में धूम मचा देती है. इसके अलावा जब भी कोई भोजपुरी स्टार का स्टेज शो होता है, तो उसका जलवा ज़बरदस्त होता है. ओटीटी पर भी भोजपुरी सिनेमा ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है, लोग भोजपुरी फिल्मों को देखना काफी पसंद करते हैं. लेकिन फिर भी अभी तक भोजपुरी सिनेमा को राष्ट्रीय पहचान नहीं मिली है, लेकिन ऐसा क्यों है आइये जानते हैं यहां
भोजपुरी सिनेमा ने बना ली है अपनी पहंचान
आज के समय में फिल्म इंडस्ट्री में भोजपुरी सिनेमा ने अपनी अलग और अच्छी पहचान बना ली है, बॉलीवुड फिल्मों में भी भोजपुरी गानों का इस्तेमाल होने लगा है. जैसे भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह (Pawan Singh) ने राजकुमार राव (Rajkummar Rao) और श्रद्धा कपूर (Shraddha Kapoor) की फिल्म स्त्री 2 ( Stree 2) के लिए गाना गाया था “काटी रात मैंने खेतों में तू आई नहीं” (Aayi Nai Song) यह गाना सुपर हिट साबित हुआ था और इस गाने को बेहद पॉपुलैरिटी मिली थी. इसके अलावा कई शादी पार्टी में भी भोजपुरी गानों का जलवा देखने को मिलता है, जैसे भोजपुरी सुपरहिट सॉन्ग लॉलीपॉप लागेलु’ (Lollypop Lagelu) हर पार्टी की जान है. इसके अलावा ‘राजा राजा करेजा में समझा’ (Raja Raja Kareja Mein Samaja) और ‘फुलारी बिना चटनी’ (Foolori Bina Chatni) भी काफी ज्यादा पॉपुलर है. इस भोजपुरी गानों ने यूट्यूब पर सभी हिट गानों के रिकॉर्ड तोड़े हैं. इसके अलावा अब लोग भोजपुरी फिल्मों को भी काफी पसंद किया जाता है. भोजपुरी फिल्मों में दिखाया गया जबरदत्स एक्शन और कॉमेडी लोगों का दिल जीत रही है. ओटीटी (OTT) पर भोजपुरी फिल्मों ने जबरदस्त कब्जा कर लिया है. लेकिन भोजपुरी सिनेमा को राष्ट्रीय पहचान नहीं मिली है की वजह बेहद अलग है.
क्यों नहीं मिल रही भोजपुरी सिनेमा को राष्ट्रीय पहचान
दरअसल, भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) को राष्ट्रीय पहचान नहीं मिली है की वजह उनकी ‘अश्लीलता और सस्ते कंटेंट’ माना जाता है. भोजपुरी में ज्यादातर गाने अश्लील लिरिक्स और देवर-भाभी जैसे रिश्तों को लेकर की गई कॉमेडी से भरे होते हैं, जिसकी वजह से यह परिवारिक दर्शक नहीं देख पाते है और यही वजह है कि भोजपुरी इंडस्ट्री की साख गिरी है और राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता कम हुई है. वही ये भी सकता है कि भोजपुरी फिल्मों में ‘नई और सामाजिक संदेश देने वाली कहानियों’ नहीं बल्कि पुराने और घिसे-पिटे विषयों का दोहरा जाता है, जो ज्यादा दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है. इसके अलावा भोजपुरी इंडस्ट्री में कई फिल्म निर्माता और कलाकार पेशेवर नहीं हैं साथ ही उद्योग में अच्छी लेखन, निर्देशन और प्रोडक्शन वैल्यू की कमी है, जिससे क्वालिटी प्रोडक्ट्स नहीं बन पाते. इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि अक्सर भोजपुरी कलाकार फिल्मों की जगह स्थानीय राजनीति में उलझ जाते हैं. यही वजह है कि इस इंडस्ट्री को बिहार में भी वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है, जो मिलना चाहिए. फिलहांल अब भोजपुरी सिनेमा में कुछ राष्ट्रवादी फिल्मेंभी बन रही हैं, लेकिन यह मुख्यधारा में नहीं है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भोजपुरी सिनेमा की लोकप्रियता बढ़ रही है.