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Chaitra Navratri 2022 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi Vrat Katha Mantra Aarti in Hindi: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि देवी दुर्गा का सातवां अवतार हैं। ग्रंथों के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना करने वाले भक्त भयमुक्त रहते हैं। ऐसे मां के भक्तों को अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता।
Chaitra Navratri 2022 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi Vrat Katha Mantra Aarti in Hindi: मां कलारात्रि को शुभंकरी भी कहा जाता है क्योंकि मां हमेशा शुभ फल प्रदान करती हैं। हिंदु ग्रंथों के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने वाला का काल नष्ट हो जाता है। यह रूप मां की वीरत और साहस के रूप में देखा जाता है। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको मां कालरात्रि की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, मुहूर्त की जानकारी दे रहे हैं। हिंदू ग्रंथों के अनुसार मां कालरात्रि मां काली का ही रूप हैं। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में सिर्फ मां कालरात्रि ही प्रत्यक्ष फल देती हैं। आपने भी महसूस किया होगा कि काली, भैरव तथा हनुमान जी की उपासना करने के बाद ही सारे काम बन जाते हैं। यह बात सच भी है क्योंकि ये ही ऐसे देवी व देवता हैं जो प्रत्यक्ष फल प्रदान करते हैं।
Chaitra Navratri 2022 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi Vrat Katha Mantra Aarti in Hindi: ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू के अनुसार नवरात्र के 7वें दिन सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर में मां की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराएं। गणेश जी का वंदन करें और इसके बाद मां कालरात्रि का ध्यान करें। मां को फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि जब भी आप मां के किसी भी रूप का वंदन करें अपने सिर को ढांक कर रखें। संध्या के समय भी ऐसे ही पूजन करें।
ऐसे करें मा महागौरी की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी
Maa Mahagauri Puja Vidhi
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुभुर्जाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
अगर कभी आपने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया हो या इसे ध्यान से सुना हो तो इसमें मां कालरात्रि की महिमा का वर्णन मिलता है। ग्रंथों के अनुसार महिषासुर के वध से पहले युद्ध में दैत्य मिलकर देवी पर बाणों से आक्रमण करते हैं। ऐसे में देवी भद्रकाली ने शूल का प्रहार किया। उससे राक्षस के शूल के सैकड़ों टुकड़े हो गए, वह महादैत्य प्राणों से हाथ धो बैठा।
कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली मां जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि मां तेरी जय॥
दंष्ट्राकरालवदने शिरोमालाविभूषणे। चामुण्डे मुण्डमथने नारायणि नमोऽस्तु ते।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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