इंडिया न्यूज।
VASANT RITU: BENEFITS OF SPRING 15 मार्च यानी कल से वसंत ऋतु का आगमन हो रहा है। जानकारों का कहना है कि इस ऋतु के आगमन से ही नये साल (new year) का शुरूआत मानी जाती थी। आइए जानते है कब तक रहेगी वसंत ऋतु और इस दौरान क्या कुछ नया हुआ।
VASANT RITU: BENEFITS OF SPRING
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऋतुओं का खगोलीय आधार सूर्य होता है। इसके राशि परिवर्तन से ही मौसम बदलते हैं। ज्योतिष के सबसे खास ग्रंथ सूर्यसिद्धांत में बताया है कि जब सूर्य मीन और मेष राशि में हो तो वसंत शुरू होता है। जो कि इस बार 15 मार्च से शुरू होगी और 14 मई तक रहेगी।
वसंत को ऋतुओं का राजा इसलिए कहा गया है क्योंकि इस ऋतु में धरती की उर्वरा शक्ति यानि उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बढ़ जाती है। यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं को ऋतुओं में वसंत कहा है। वे सारे देवताओं और परम शक्तियों में सबसे ऊपर हैं वैसे ही बसंत ऋतु भी सभी ऋतुओं में श्रेष्ठ है।
वसंत को ऋतुओं का राजा कहने के पीछे कई कारण हैं। इस ऋतु की शुरूआत में सूर्य अपनी मित्र और उच्च राशि यानी मीन और मेष में रहता है। जिससे आत्मविश्वास (selfconfidance) बढ़ता है। इस वक्त न तो ज्यादा ठंड और न ज्यादा गर्मी होने से मौसम सुहाना होता है। जिससे उत्साह और सकारात्मकता बढ़ती है।
इस मौसम में नई फसल आने पर उल्लास और खुशी (happyness) के साथ त्यौहार मनाए जाते हैं। इस ऋतु में ही इंसानों और जीवों में प्रजनन शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए इसे सृजन की ऋतु भी कहते हैं। माना जाता है वैदिक काल की पहली ऋतु वसंत ही थी।
जब ऋतुएं बदलती हैं तो मानसिक और शारीरिक बदलाव भी होते हैं। जिससे शरीर में त्रिदोष बढ़ते हैं यानी वात, पित्त और कफ के असंतुलन से बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए व्रत करने की परंपरा बनाई गई है। इसलिए वसंत ऋतु बड़े व्रत और पर्वों पर व्रत किए जाते हैं। जिससे शरीर में हार्मोंन और अन्य चीजों का संतुलन बना रहता है। इस कारण रोगों से लड़ने की ताकत और उम्र बढ़ती है।
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