‘डिजाइनर बेबी’ का नाम सुना है आपने? कैसे पैदा होता है ऐसा बच्चा? टेक दिग्गज क्यों लगा रहे पैसे,‌ क्यों चिंतित हैं साइंटिस्ट?

What Is Designer Baby: माता-पिता बनना हर किसी का सपना होता है. कई औरतें जो नैचुरल तरीके से मां नही बन पाती है. वे IVF या सरोगेसी का सहारा लेती है. लेकिन उन्हें अभी भी नहीं पता होता कि उनके बच्चे की आंखें, रंग, बालों का टेक्सचर और दूसरी खासियतें कैसी होंगी? यह तभी पता चलता है जब बच्चा दुनिया में अपना पहला कदम रखता है और धीरे-धीरे बड़ा होता है. अपनी मर्ज़ी से बच्चे की खासियतें चुनना कुदरत के नियमों में दखल है.

हालांकि मेडिकल साइंस अब इतना आगे बढ़ गया है कि अगर कोई चाहे तो धरती पर अपनी पसंद का बच्चा पैदा कर सकता है. ऐसे बच्चों को डिज़ाइनर बेबी कहा जाता है. ब्रिटिश साइंटिस्ट्स ने थ्री-पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, या थ्री-पर्सन IVF के जरिए यह कामयाबी हासिल की है. आइए इसे डिटेल में समझते है.

डिज़ाइनर बेबी कहां पैदा हुए?

ब्रिटिश साइंटिस्ट्स ने थ्री-पर्सन IVF का इस्तेमाल करके आठ बच्चों को जन्म दिया है, जो पूरी तरह से जेनेटिक बीमारियों से फ्री है. ये बच्चे तीन लोगों के DNA के साथ पैदा हुए थे. बच्चों में चार लड़के और चार लड़कियां हैं, जिनमें एक जुड़वां भी शामिल है. यह मेडिकल टेक्नीक उन लोगों के लिए जादू जैसी है जिनके परिवार में सालों से कोई जेनेटिक डिसऑर्डर है. ऐसे में डिज़ाइनर बेबी उन बीमारियों से इम्यून रहेंगे.

कैसे काम करती है यह टेक्निक

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी इस स्टडी के मुताबिक साइंटिस्ट्स का मानना ​​है कि ये सभी बच्चे पूरी तरह हेल्दी थे और उनके टेस्ट में मां का डिफेक्टिव DNA नहीं मिला या अगर मिला भी तो इतनी कम मात्रा में था कि बीमारी फैलने की संभावना न के बराबर थी. आइए पॉइंट्स में समझते हैं कि यह टेक्निक कैसे काम करती है

1. स्टडी के मुताबिक तीन लोगों वाला IVF में मां के एग न्यूक्लियस और पिता के स्पर्म को एक तीसरी हेल्दी महिला में ट्रांसफर किया जाता है.

2. इस रिसर्च की लीड ऑथर और न्यूकैसल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मैरी हर्बर्ट का कहना है कि माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन टेक्नोलॉजी को अभी कम रिस्की माना जा रहा है.

US ने डिज़ाइनर बेबी पर बैन क्यों लगाया है?

हालांकि यह टेक्निक लोगों को जादुई लग सकती है, यह उम्मीद करते हुए कि यह उनके होने वाले बच्चे को जेनेटिक बीमारियों से बचा सकती है. US में तीन लोगों वाली IVF टेक्निक पर बैन है. 2015 में ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बना जिसने माइटोकॉन्ड्रियल डोनेशन को कानूनी तौर पर मंज़ूरी दी. उसी साल US ने इस पर बैन लगा दिया.

Mohammad Nematullah

मोहम्मद नेमतुल्लाह, एक युवा पत्रकार हैं. इन्होंने आईटीवी नेटवर्क में इंटर्नशिप की और अब इंडिया न्यूज़ में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रहे हैं. इन्हें सामाजिक मुद्दों और राजनीति के अलावा अन्य विषयों पर भी लिखने में पारंगत हासिल है. इनका मानना है कि पत्रकारिता का असली मकसद सच्ची और साफ़ जानकारी लोगों तक पहुंचाना हैं.

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