पवन शर्मा | चंडीगढ़, Randeep Surjewala : न केवल हरियाणा बल्की देश की राजनीति के दमदार हस्ताक्षर रणदीप सुरजेवाला को राज्य सभा में भेजने का रास्ता साफ करके कांग्रेस आलाकमान ने जाे कदम उठाया उसकी समूची कांग्रेस जन उत्साहित है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि गुलामनबी आजाद के बाद राज्यसभा में कांग्रेस को मजबूत वक्ता मिल गया है।
कांग्रेस के तेज तरार नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला अब राजस्थान से राज्यसभा में इंट्री मारेंगे। कांग्रेस के इस निर्णय से देश भर के कांग्रेस नेताओं को चौंका दिया। शनिवार को दिनभर ये ही कयास था कि रणदीप को हरियाणा से राज्यसभा में भेजा जाएगा। मगर स्याही के भय ने रणदीप को हाईकमान ने राजस्थान भेज दिया।
Randeep Surjewala
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का भारतीय राजनीति में बड़ी पहचान है। कांग्रेस मे यूथ विंग से लेकर सीनियर लीडर तक का सफर तय करने वाले रणदीप अपनी तेज तरार राजनीति के कारण पहचान रखते हैं। दो बार लगातार विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही रणदीप किसी सदन में नहीं थे। पिछले कुछ दिनों से इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि कांग्रेस हरियाणा से राज्यसभा में रणदीप को भेज सकती है।
राजनीति के जानकारों की मानें तो हाईकमान ने अपने सूत्रों से पता लगवाया तो स्याही का खेल होने के संकेत मिले। जिसके बाद खुद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राजस्थान से राज्यसभा में भेजने की मांग हाईकमान के सामने रखी तथा हरियाणा से अजय माकन के नाम का सुझाव दिया।
सुरजेवाला को लेकर आलाकमान ने पूरी सूझबूझ से बड़ा कदम उठाया है। हरियाणा से टिकट नहीं देकर राजस्थान भेजना भी एक बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं कि हरियाणा में रणदीप सुरजेवाला के कांग्रेस में ही विरोधियों की कमी नहीं है। इसका मुख्य कारण उनका कांग्रेस में बड़ा कद है।
सुरजेवाला के कांग्रेस में संघर्ष को देखा जाए तो उन्होंने लगभग प्रत्येक अग्रिम संगठनों के साथ मुख्य कांग्रेस में भी दमदार भूमिका निभाई है। यूथ कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए वे मजबूत जानामाना चेहरा रहे। उनके समय में यूथ कांग्रेस ने जो कार्य किया वह शायद ही पहले या बाद में हुआ हो।
ये ही कारण रहा कि उनको कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जैसे पदों से नवाजा गया। सीडब्लयूसी के साथ सोनिया गांधी के साथ उनका नाम भी प्रमुखता से रखा गया। देशभर में बनने वाले कांग्रेस के प्रत्येक कार्यक्रम में उनका नाम प्रथम पंक्ति में जरूर मिल जाएगा। संभवतय इसी संघर्ष ने उनको राज्य सभा में पहुंचने का रास्ता साफ किया है।
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