India News (इंडिया न्यूज), Rao Narbir on Air Pollution: हरियाणा के पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह ने कहा है कि वायु प्रदूषण की समस्या बारे सरकार पूर्ण रूप से गंभीर है और सभी एहतियाति कदम उठाये जा रहे हैं। वायु प्रदूषण कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, यह हर किसी के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ मुद्दा है। सरकारी प्रयासों के साथ-साथ हर आदमी को सामाजिक चेतना जागृत करनी चाहिए। पॉलीथिन के उपयोग को बंद करना चाहिए। एक अध्ययन के अनुसार पॉलीथिन जलने से जहरीला धुंआ वायु प्रदूषण को बढ़ाता है। पर्यावरण मंत्री आज हरियाणा विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस के आदित्य सुरजेवाला व अन्य विधायकों द्वारा वायु प्रदूषण पर लाये गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सदन में अपना वक्तव्य दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि जैसे कि ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में वर्णित है हरियाणा के 24 शहरों का एक्यूआई खतरनाक रूप से खराब नहीं है। वार्षिक एक्यूआई 200 से कम है जो कि मॉडरेट श्रेणी में आती है। वर्ष 2023 तथा 2024 में फरीदाबाद व गुरुग्राम में एक्यूआई 200 से अधिक था। रोहतक व पंचकूला को छोड़कर सरकार द्वारा कंटीन्यूअस एम्बीएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन्स के प्रयोग से वायु गुणवत्ता के लिए भारत सरकार द्वारा अधिसूचित 12 मापदंडों में से 8 मापदंडों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है। हाल ही में रोहतक को भी पी. एम. 10 पैरामीटर से जोड़ा गया है।
Rao Narbir on Air Pollution
राव नरबीर सिंह ने सदन को अवगत कराया कि सरकार वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न उपाय कर रही है। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने वर्ष 2023 व 2024 के दौरान वायु प्रदूषण करने वाले 480 उद्योगों को बंद किया तथा उन पर 35 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन भी किया है।
राज्य सरकार आयोग के सभी निर्देशों को लागू कर रही है। उन्होंने बताया कि सरकार उद्योगों को भी जागरूक कर रही है कि वे आधुनिक मशीन लाएं जो कम से कम वायु प्रदूषण करे। इसके अलावा स्कूलों तथा कॉलेजों में विद्यार्थियों को भी जागरूक किया जा रहा है। पॉलीथिन को अगर जमीन में दबाया जाता है तो विशेषज्ञों के अनुसार इसको गलने में लगभग 400 वर्षों का समय लगता है। इसलिए हमें पॉलीथिन के उपयोग से बचना चाहिए।
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उन्होंने सदन को जानकारी दी कि पराली जलाने की घटनायें हरियाणा में निरंतर कम हुई हैं। किसान में जागरूकता आई है। वर्ष 2024 में धान की पराली जलाने की 1406 घटनाएं हुईं जो कि वर्ष 2017 में 12657 थीं तथा वर्ष 2024 में गेहूं फसल के अवशेष जलाने के मामले में यह संख्या 3155 थी जो कि वर्ष 2017 में 4747 थी। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण के कई अन्य कारण भी हैं।
एक अध्ययन के अनुसार वायु प्रदूषण 20 प्रतिशत उद्योग, 20 प्रतिशत वाहन, 35 प्रतिशत रोड डस्ट, 10 प्रतिशत कृषि तथा 6 प्रतिशत के अन्य कारण हैं। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक के सहयोग से वर्ष 2025 से 2030 तक आर्थिक व तकनीकी मदद से हरियाणा में वायु गुणवत्ता सुधार से जुड़ी कई परियोजनाओ पर काम किया जायेगा। पर्यावरण मंत्री ने सदन में उपस्थित सभी सदस्यों से आग्रह किया कि शीघ्र ही वे हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य संबंधित विभागों तथा अन्य विशेषज्ञों के साथ एक बैठक बुलाएंगे और सभी सदस्य अपने सुझाव देने के लिए उस बैठक में आमंत्रित हैं।
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