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Aak Ke Patte Ke Fayde Medicine For Every Organ It Tear Out From Roots In 21 Days
अंग-अंग की दवा है ये जहरीला पौधा, चाहे बाहर निकला हो पेट या बना हो गठिया, 21 दिन में जड़ से नोच कर देगा बाहर!
Aak ke patte ke fayde: वैसे तो यह पौधा हर जगह पाया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इसके उपयोग के बारे में जानते हैं, इसलिए यहां हम आपको इसके उपयोग के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
India News (इंडिया न्यूज),Aak ke patte ke fayde: वैसे तो यह पौधा हर जगह पाया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इसके उपयोग के बारे में जानते हैं, इसलिए यहां हम आपको इसके उपयोग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। आक-अर्क के पौधे शुष्क, बंजर और ऊंची भूमि में लगभग हर जगह पाए जाते हैं।
क्या जहरीला होता है आक का पत्ता
इस पौधे के बारे में आम समाज में यह भ्रांति है कि आक का पौधा जहरीला होता है तथा यह मनुष्य के लिए जानलेवा होता है। इसमें कुछ सच्चाई भी है, क्योंकि आयुर्वेद शास्त्रों में इसे उपविषों में गिना गया है। यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए, तो व्यक्ति उल्टी-दस्त के कारण यमराज के घर जा सकता है। आक के रासायनिक तत्वों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इसकी जड़ और तने में एमिरिन, गिगेंटियोल तथा कैलोट्रोपियोल के अलावा मदार अल्बान तथा लचीला क्षार भी अल्प मात्रा में पाया जाता है। इसके दूध में ट्रिप्सिन, उस्केरिन, कैलोट्रोपिन तथा कैलोटॉक्सिन तत्व पाए जाते हैं।
Aak ke patte ke fayde: अंग-अंग की दवा है ये जहरीला पौधा
किन बीमारीयों में लाभकारी
आक का रस कड़वा, तीखा, गर्म प्रकृति का, वात-कफ को दूर करने वाला, कान के दर्द, कृमि, बवासीर, खांसी, कब्ज, पेट के रोग, चर्म रोग, गठिया, सूजन को दूर करने वाला होता है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन सही मात्रा में, सही तरीके से, बुद्धिमान चिकित्सक की देखरेख में किया जाए, तो यह अनेक रोगों में बहुत लाभकारी होता है। इसका हर भाग औषधि है, हर भाग उपयोगी है और यह सूर्य के समान तीक्ष्ण, पारे के समान चमकीला और गुणकारी है तथा इसमें दिव्य रासायनिक गुण हैं।
इसके 9 अद्भुत लाभ
शुगर और निकला हुआ पेट: आक के पौधे के पत्ते को उल्टा करके (उल्टा मतलब पत्ते का खुरदुरा भाग) पैर के तलवे पर रखकर मोजा पहन लें। सुबह और पूरा दिन लगा रहने दें और रात को सोते समय निकाल दें। एक सप्ताह में आपका शुगर लेवल सामान्य हो जाएगा। साथ ही निकला हुआ पेट भी कम हो जाता है।
घाव: आक का हर भाग औषधि है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण और चमकीला है तथा पारे के समान उत्तम और दिव्य रासायनिक गुणों से युक्त है। कहीं-कहीं इसे ‘वनस्पति पारा’ भी कहा गया है। आक के कोमल पत्तों को मीठे तेल में जलाकर अंडकोष की सूजन पर बांधने से सूजन दूर हो जाती है। और पत्तों को कड़वे तेल में जलाकर गर्मी के घाव पर लगाने से घाव भर जाता है।
खांसी: इसके कोमल पत्तों के धुएं से बवासीर ठीक हो जाती है। आक के पत्तों को गर्म करके बांधने से चोट भर जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक की जड़ के चूर्ण में पिसी काली मिर्च मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खाने से खांसी ठीक हो जाती है।
सिर दर्द: आक की जड़ की राख में कड़वा तेल मिलाकर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है। आक की सूखी डंडी लेकर एक ओर से जलाएं तथा दूसरी ओर से उसका धुआं नाक से जोर से अंदर खींचें, सिर दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
सर्दी बुखार ठीक: आक की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से नाखूना रोग ठीक हो जाता है। आक की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें, इसमें गुड़ मिलाकर खाएं, इससे सर्दी बुखार ठीक हो जाता है।
गठिया: आक की जड़ 2 सेर लेकर 4 सेर पानी में पकाएं, जब आधा पानी रह जाए तो जड़ निकालकर 2 सेर गेहूं पानी में छोड़ दें, जब पानी न बचे तो उसे सुखाकर उसका आटा पीस लें, चौथाई लीटर आटे की रोटी या कुरकुरी रोटी बनाकर उसमें गुड़ और घी मिलाकर रोजाना खाएं, इससे गठिया रोग ठीक हो जाता है। कई दिनों का गठिया रोग 21 दिन में ठीक हो जाता है।
बवासीर: आक का दूध पैर के अंगूठे पर लगाने से दुखती आंख ठीक हो जाती है। बवासीर के मस्से पर लगाने से वे दूर हो जाते हैं। ततैया के डंक पर लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शांत हो जाती है।
बाल झड़ना: आक का दूध बाल झड़ने वाली जगह पर लगाने से बाल उग आते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इसका दूध आंखों में न जाए अन्यथा आंखें खराब हो जाती हैं। उपरोक्त में से कोई भी उपाय सावधानी से अपनी जिम्मेदारी पर करें।
बवासीर: पांचों नमक आक के कोमल पत्तों के बराबर मात्रा में लेकर उसमें एक चौथाई तिल का तेल और इतना ही नींबू का रस मिलाकर बर्तन का मुंह कपड़े और मिट्टी से बंद करके आग पर रख दें। जब पत्ते जल जाएं तो सभी चीजों को निकालकर पीसकर रख लें। इसे 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी, छाछ या आवश्यकतानुसार शराब के साथ सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाती है। जोड़ों के दर्द में: आक के फूल, सोंठ, काली मिर्च, हल्दी और नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ बारीक पीस लें और चने के आकार की गोलियां बना लें। सुबह-शाम 2-2 गोलियां पानी के साथ सेवन करें।
दाद: आक के दूध को तिल के तेल में हल्दी के साथ उबालकर दाद या एक्जिमा पर लगाने से लाभ होता है।
बहरापन: आक के पत्तों पर घी लगाकर आग पर गर्म करके उसका रस निचोड़ लें। इस रस को हल्का गर्म करके रोजाना कान में डालने से बहरापन दूर होता है।
फुंसियां: आक के दूध को हल्दी में मिलाकर फुंसियों पर लगाने से कुछ ही दिनों में आराम मिलता है और चेहरे पर चमक आती है।
दांतों का हिलना: आक के दूध की एक-दो बूंद को हिलते हुए दांत की जड़ पर लगाने से दांत आसानी से निकल जाते हैं। आक की जड़ का टुकड़ा दर्द वाले दांत पर दबाने से दर्द कम होता है। खुजली: आक के 10 सूखे पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर जला लें। फिर तेल को छान लें और ठंडा होने पर इसमें 4 कपूर की टिकियों का चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर बोतल में भर लें। इस तेल को खुजली वाले शरीर के अंगों पर दिन में तीन बार लगाएं। इससे खुजली ठीक हो जाती है।
आक का पौधा जहरीला होता है। आक की जड़ की छाल का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पेट और आंतों में जलन, जी मिचलाना और उल्टी तक हो सकती है। इसका ताजा दूध अधिक मात्रा में देने से जहर का काम करता है। इसलिए इसका उपयोग करते समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें। आक के हानिकारक प्रभावों को नष्ट करने के लिए घी और दूध का उपयोग किया जाता है।