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India News( इंडिया न्यूज़) : किसी व्यक्ति की बचपन की अच्छी यादें ही आगे अच्छा व्यक्तित्व उभारने में मदद करता है। तो वहीं बुरी यादें भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हम अपने रोजमरा के जिवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि हम अपने बच्चों को उतना समय नहीं दें पाते जितना कि हमे देना चाहिए। आजकल काम से परेशान पैरेंट्स दफ्तर का गुस्सा अपने बच्चों पर निकाल देते हैं। कभी – कभी बच्चे अपने माता – पिता से उनके साथ होने वाले किसी दुर्व्यवहार के बारे में बात करना चाहते हैं तो वो कई बार उसे अनसूना कर देते हैं ऐसे में बच्चों के दिमाग में वो बात कहीं रह जाती है। क्या आपको पता है आपके इन छोटे – छोटे हरकतों से आपका बच्चा मानसिक रूप से बीमार हो सकता है।
सिटी यूनिवर्सिटी न्यूयार्क से संबद्ध इंस्टीट्यूट आफ साइकाइअट्री, साइकोलाजी एंड न्यूरोसाइंस के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में बताया है कि बचपन में उपेक्षा और दुर्व्यवहार जिस प्रकार से मनुष्य स्मृतियों में दर्ज होती हैं और उसकी प्रक्रिया होती है वह बाद में होने वाले अपने अनुभवों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक प्रभावी डालता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भले ही इसका प्रमाण नहीं हैं। लेकिन डाक्टरों को अपने रोगियों के भविष्य में होने वाले मानसिक रोगों के पूर्वानुमान में रोगियों की सेल्फ रिर्पोर्टिंग वाले अनुभवों पर गौर करना चाहिए। शोधकर्ताओं ने 40 वर्ष तक के 1,196 लोगों का अध्ययन यह जानने के लिए किया कि बचपन में झेले गए उपेक्षा और दुर्व्यवहार वयस्क होते समय किस प्रकार से भावानात्मक परिवर्तन होने मे बाधा उत्पन्न करता है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए प्रतिभागियों के बचपन में हुए दुर्व्यवहार और उनके वर्तमान और पूर्व की मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए साक्षात्कार लिए। उसके बाद समय के साथ उनमें पनपे बेचैनी और अवसाद का आकलन करने के लिए दोबारा साक्षात्कार लिया। विश्लेषणों से पता चला कि बचपन में दुर्व्यवहार की सेल्फ रिपोर्टिंग वाले अनुभवों और बड़ी संख्या में अवसाद और चिंता के एपिसोड के बीच संबंध को प्रतिभागियों के वर्तमान और पिछले मानसिक स्वास्थ्य से आंशिक रूप से समझा गया था। प्रोफेसर डेनीज ने बताया कि बचपन में व्यक्ति के साथ हुए दुर्व्यवहार की यादें समय के साथ कैसे बनी रहती हैं। और वे व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती हैं।
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