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नेचुरोपैथ कौशल
Benefits and Uses of Absinthe : आपने चिरायता के फायदे के बारे में जरूर सुना होगा। खुजली, रक्तविकार या त्वचा से संबंधित किसी तरह की बीमारी होती है तो अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि चिरायते का सेवन करो। चिरायता का स्वाद बहुत ही कड़वा होता है, लेकिन सच यह है कि जितना चिरायता का स्वाद कड़वा होता है उतना ही रोगों के इलाज में चिरायता से फायदे मिलते हैं। क्या आप जानते हैं कि चिरायता से एक-दो नहीं बल्कि कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।
गर्भवती की मिचली :
600 मिलीग्राम से 1.80 ग्राम चिरैता सुबह शाम शहद और चीनी के साथ सेवन करने से गर्भावस्था की मिचली (जी मिचलाना) ठीक हो जाता है।
संग्रहणी (पेचिश) :
• 10-10 ग्राम चिरायता, कुटकी, त्रिकुटा (सोंठ, काली मिर्च, पीपल), नागरमोथा और इन्द्रयव, 20 ग्राम चित्रक और 1.60 ग्राम कुड़ा की छाल को लेकर अच्छी तरह से पीसकर और छानकर मिलायें। इस बने हुए चूर्ण को गुड़ से बने शर्बत के साथ प्रयोग करने से संग्रहणी अतिसार का रोग दूर हो जाता है।
• चिरायता, कुटकी, त्रिकुट (सोंठ, काली मिर्च, पीपल), मुस्तक, इन्द्रयव, करैया की छाल एवं चित्रक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस 3 से 6 ग्राम चूर्ण को दही या मट्ठा (लस्सी) के साथ सुबह-शाम सेवन करने से संग्रहणी का रोग दूर हो जायेगा।
अग्निमान्द्यता (अपच) :
चिरायता का फांट बनाकर पीने से मंदाग्नि (भूख का कम लगना) मिट जाती है।
अम्लपित्त (एसीडिटी) :
चिरायता और मुलहेठी को पानी में पीसकर चीनी में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
शीतपित्त :
चिरायत, अडूसा, कुटकी, पटोल, त्रिफला, लाल चंदन, नीम की छाल इन सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर 2 कप पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इसको सेवन करने से शीतपित्त में आराम आता है।
पेट के कीडे़ :
• चिरायता, तुलसी का रस, नीम की छाल का काढ़ा और नीम का तेल मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट के दर्द दूर होता है।
• चिरायता और आंवले से बनाया गया काढ़ा सोने से पहले एक कप की मात्रा में लेने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
स्तनों में दूध की वृद्धि हेतु :
चिरायता, शुंठी, देवदारू की लकड़ी, पाठा का पंचांग, मुस्तक की जड़, मूर्वा, सारिवा की जड़, गुडूचीतना, इन्द्रयव और कटुकीप्रकन्द को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इस काढ़े को 14-28 मिलीलीटर खुराक के रूप में पिलायें।
स्तनों की घुण्डी फटने पर :
चिरायता को पीसकर स्तनों की घुण्डी के जख्म पर लगाने से लाभ होगा।
पेट में दर्द :
चिरायता और एरण्ड के पेड़ की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
सिर का दाद :
सिर के दाद और घाव में छोटी चिरायता के पंचांग का चूर्ण पीसकर लगाने से सिर का दाद ठीक हो जाता है।
वातरक्त दोष :
लगभग 480 मिलीग्राम से 1800 मिलीग्राम चिरायता का चूर्ण सुबह और शाम शहद या शर्करा के साथ खाने से वातरक्त (त्वचा का फटना) में कमजोरी दूर होती है।
हानिकारक :
चिरायता का अधिक मात्रा में उपयोग कमर के लिए हानिकारक हो सकता है।
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(1). खाना खाने के 90 मिनट बाद पानी पिये व जरूर पियें!
(2). फ्रीज या बर्फ (ठंडा) का पानी न पिये!
(3). पानी को हमेशा घूंट घूंट कर पियें (गर्म दूध की तरह)
(4). सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये गुनगुना पानी पिये!
(5). खाना खाने से 48 मिनट पहले पानी पिये!
(6). सुबह में खाना खाने के तुरंत बाद अगर कुछ पीना ही हो तो जूस पियें।
(7). दोपहर में खाना खाने के तुरंत बाद पीना ही हो तो मठ्ठा पिये।
(8). रात्रि में खाना खाने के तुरंत बाद पीना हो तो आधा कप पानी पी लें।
(9). उरद की दाल के साथ दही न खाए (विशेषतः उरद की दाल का दही बडा।)
(10). हमेशा दक्षिण या पूर्व में सर करके सोये!
(11). खाना हमेशा जमीन पर सुखासन में बैठ कर खायें।
(12). अलुमिनियम के बर्तन का बना खाना न खायें विशेषतः प्रेशर कुकर का।
(13). कभी भी मूत्र, मल, जम्हाई, प्यास, छींक, नींद इत्यादि नेचुरल कॉल्स के 13 वेग को न रोकें।
(14). दूध को खड़े हो कर पानी व अन्य तरल पेय को बैठ कर पिये!
(15). मैदा, चीनी, रिफाइंड तेल और सफेद नमक का प्रयोग न करे बल्कि इसकी जगह पर गुड़, काला या सेंधा नमक का प्रयोग करे।
आगे आपकी मर्जी
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