Bone Death: एक तरफ कोरोना संक्रमण के केसों ने डॉक्टर्स और सरकार की चिंता बढ़ाई है दूसरी तरफ एक नई बीमारी bone death खतरा बनकर सामने आई है। मुंबई में बोन डेथ के तीन केस मिले हैं। कोरोना, ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, ग्रीन, येलो फंगस के बाद बोन डेथ एक नई दिक्कत बनकर सामने आई है।
Know About Bone Death
क्या है bone death ?
कोरोना वायरस से ठीक हो रहे मरीजों में bone death की समस्या देखी जा रही है। जानकारों के मुताबिक इस बीमारी को क्लासिक पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन का नाम दिया जा रहा है। जिसमें ब्लड टिशू तक खून का बहाव सही मात्रा में न होने से हड्डियां गल रही हैं। कई विशेषज्ञों के अनुसार समय के साथ बोन डेथ की समस्या में तेजी आ सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में प्रयोग की जा रहेस्टेरॉयड के वजह से बोन डेथ की परेशानी मरीजों में देखी जा रही है। इसमें पीड़ितों की हड्डिया गल रही हैं। विशेषज्ञों ने इसे दुर्लभ करार दिया है।
कौन से यह अंग होते हैं प्रभावित?
जैसे ब्लैक फंगस नाक, गला, आंख, दिमाग को अपना शिकार बनाता है। उसी तरह बोन डेथ का सीधा प्रभाव हड्डियों पर पड़ता है। जिन मरीजों को यह बीमारी हुई। उनकी फीमर बोन में दर्द हुआ। इस बीमारी का लक्षण हड्डियों के दर्द से शुरू होता है।
अब तक कहां मिले मरीज
देश में अब तक लगभग 5 मामले मिले हैं। सभी मामले मुंबई में मिले हैं। वहीं जिन मरीजों में यह बीमारी देखी गई है उनकी आयु 40 से कम है। वहीं कुछ मामलों में बोन डेथ की शिकायत करने वाले मरीज डॉक्टर हैं।
लक्षण?
Bone Death सबसे पहले हड्डियों पर असर करता है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, हर समय हड्डियों में दर्द रहना, चलने में परेशानी, जोड़ों में और शरीर की अन्य हड्डियों में दर्द इसके लक्षण है।
इलाज
Bone Death अभी एक नई बीमारी है। इस कारण विशेषज्ञों को इस पर अध्ययन करने बाकी हैं लेकिन एक्सपर्ट बताते हैं कोरोना से ठीक हुए लोगों को हड्डियों में दर्द होने पर एमआरआई करवा डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए।
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