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Cause Of Heart Attack वर्तमान में हार्ट अटैक एक आम बीमारी और मृत्यु का बड़ा कारण बनकर उभर रही है। सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों में ही नहीं आजकल हार्ट अटैक छोटी उम्र वालों और युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। कभी चिंता और नाकामयाबी से जोड़कर देखे जाने वाला हार्ट अटैक आज शोहरत और करियर के टॉप पर पहुंचे, जिम में पसीना बहाते, व्यायाम करते, बेहतर डाइट लेते युवाओं में आम हो गया है।
हाल ही में बॉलीवुड से लेकर विभिन्न प्रतिष्ठानों में बुलंदियों पर पहुंचे हुए लोग इसके शिकार हुए हैं। लिहाजा सबसे बड़ा सवाल यही है कि शरीर की हर छोटी-बड़ी चीज का ध्यान रखने के साथ ही कोई चिंता न होने के बावजूद दिल का दौरा युवाओं को अपना शिकार क्यों बना रहा है।
(Cause Of Heart Attack)
एक्सपर्ट कहते हैं कि आजकल दिनचर्या और लाइफस्टाइल की वजह से हार्ट-अटैक के मामले काफी बढ़ गए हैं। पहले यह बीमारी सिर्फ पुरुषों तक सीमित मानी जाती थी लेकिन अब महिलाओं में दिखाई दे रही है।
हार्ट की बीमारी से बचने के लिए आम लोग काफी कुछ करते हैं जैसे खान-पान का परहेज रखने की कोशिश करते हैं, व्यायाम करते हैं, जिम जाते हैं और सही समय पर दवा भी लेते हैं ताकि बीमारी को दूर रख सकें लेकिन देखा जा रहा है कि पुरुषों में जो व्यायाम भी करते हैं और सही खान-पान भी लेते हैं, उन्हें भी हार्ट अटैक हो जाता है।
(Cause Of Heart Attack)
जो लोग अपने काम में बहुत सक्षम हैं या सफल हैं, अपने फील्ड में टॉप पर हैं और उनके पास पैसा, शोहरत, ऐशो-आराम सब है लेकिन फिर भी उन्हें दिल का दौरा पड़ रहा है। इसकी कई बड़ी वजहें हैं।
युवाओं को कई कारणों से छोटी उम्र में हार्ट अटैक से जूझना पड़ रहा है। इसके पांच प्रमुख कारण देखने को मिले हैं। आजकल युवा अपने शरीर का खूब ध्यान रखते हैं, पोषणयुक्त भोजन भी देते हैं लेकिन फिर भी ऐसी कुछ गलतियां हैं जो वे अनजाने में करते हैं और उसका असर हार्ट पर पड़ता है।
पहली कमी जो जिम जाने वाले या व्यायाम पसंद युवाओं में देखने को मिल रही है वह है उनकी एक्स्ट्रीम डाइट। शरीर के लिए हमें एक संतुलित डाइट लेनी चाहिए जिसमें हर एक तरह के मैक्रो न्यूट्रिएंट और माइक्रो न्यूट्रिएंट होते हैं। मैक्रो न्यूट्रिएंट तीन प्रकार के होते हैं।
इन तीनों का ही जीवन में और शरीर को तंदुरुस्त रखने में अलग-अलग रोल है। वहीं विटामिन और मिनरल्स माइक्रो न्यूट्रिएंट होते हैं। हर एक विटामिन और मिनरल की भी स्वास्थ्य बनाने में अलग-अलग भूमिका है लेकिन होता यह है कि कई बार जवान लड़के और लड़कियां एक्स्ट्रीम डाइट या फैड डाइट अपना लेते हैं।
इसमें वे कोई मैक्रो या माइक्रो न्यूट्रिएंट पूरी तरह ही गायब कर देते हैं। जैसे कि कीटो डाइट होती है। कुछ समय के लिए युवाओं को लगता है कि वे सुंदर हो रहे हैं, वजन कम हो रहा है या कुछ और परिवर्तन शरीर में हो रहा है जो पहले से बेहतर है लेकिन वास्तव में ये जो एक्स्ट्रीम डाइट दिल के लिए बहुत हानिकारक हो सकती हैं।
जहां तक कीटो डाइट की बात है तो इससे ऐरेदमिया होने के चांसेज होते हैं। यानि कि हृदय के कंडक्शन में अचानक होने वाला परिवर्तन, जिससे कभी भी अचानक हार्ट बंद हो सकता है। ऐसे में किसी भी प्रकार की डाइट शुरू करने से पहले प्रोफेशनल गाइडेंस तो जरूरी है ही, कोशिश करनी चाहिए कि डाइट संतुलित रहे।
दूसरी बड़ी गलती अक्सर युवा करते हैं और वह है बिना प्रोफेशनल गाइडेंस के व्यायाम करना या फिर बगैर वार्मअप के व्यायाम करना या फिर बहुत जल्दी परिणाम पाने की चाह में बहुत ज्यादा करते जाना भी नुकसानदेह होता है। जैसे किसी ने पहले कोई व्यायाम न किया हो लेकिन अचानक ही वह पहले दिन 100 बैठक मार ले या 10 किमी चल ले तो उसकी मांसपेशियों पर, जोड़ों पर और हड्डियों पर तो असर पड़ता ही है, हार्ट और खून की नसों पर भी जोर पड़ता है।
तीसरा कारण है तनाव, कुछ लोग जो व्यायाम को जिंदगी का हिस्सा मानते हैं और व्यायाम करते वक्त खुशी महसूस करते हैं उनके लिए एक्सरसाइज स्ट्रेस रिलीफ का काम करता है लेकिन कुछ लोग हर चीज को तनाव के साथ लेते हैं ऐसे में अगर वे लोग जिम को या व्यायाम को भी तनाव के साथ करते हैं या इसे परेशानी मानते हैं या प्रतियोगी हो जाते हैं तो उनमें स्ट्रेस हार्मोन बढ़ते हैं। कॉर्टिसोल इनमें से एक है। जिसका हार्ट पर असर पड़ता है।
स्लीप हाईजीन यानि कि कुछ लोग काम भी ज्यादा करते हैं, तनाव भी ज्यादा लेते हैं, व्यायाम भी ज्यादा करते हैं लेकिन सोना भूल जाते हैं। सोना हमारी बॉडी के लिए बेहद जरूरी है। अगर छह घंटे से कम सोएंगे तो हमारा शरीर खुद को रिकवर नहीं कर पाता है। जब हम जागते हैं तो हार्ट ज्यादा तेजी से काम करता है और जब हम सोते हैं तो हार्ट रिलेक्स हो जाता है।
अगर हम दिल को आराम का समय नहीं देंगे तो उसका हार्ट पर असर पड़ता है। देखा गया है कि जिनके स्लीप पैटर्न बिल्कुल अलग हैं, उनमें भी हार्ट-अटैक के ज्यादा चांसेज होते हैं। ऐसे में नियमित रूप से पर्याप्त नींद हार्ट के लिए जरूरी है। नशा भी हार्ट के लिए परेशानियां पैदा करता है। नशीले पदार्थ हैं ये हार्ट पर ज्यादा असर डालते हैं।
(Cause Of Heart Attack)
कुछ लोग इसलिए भी नशा करते हैं कि वे ज्यादा प्रोडक्टिविटी दे सकें लेकिन ये चार दिन की चांदनी होती है। ऐसे में नशे की चीजों से तौबा करनी चाहिए। इनमें तम्बाकू, ज्यादा मात्रा में एल्कोहॉल, पान, अफीम युक्त पदार्थों का हार्ट पर बुरा असर पड़ता है।
एथलीटों में एक जांच की जाती है जिसे टेस्टोस्टेरोन टू कॉर्टिसोल रेशियो कहा जाता है। अगर किसी एथलीट का कॉर्टिसोल स्तर ज्यादा है तो मतलब वह तनाव में है तो उसकी एक्सरसाइज या ट्रेनिंग कम कराई जाती है।
वहीं अगर किसी एथलीट का टेस्टेस्टेरॉन टू कॉर्टिसोल रेशियो अच्छा है तो वह अच्छा चल रहा है और संभव है कि वह हमारे लिए पदक लेकर आएगा। इसी तरह आम लोगों के लिए भी कॉर्टिसोल असरकारी होता है।
कार्डियो मायोपैथी, इसमें हार्ट की मसल पूरी तरह सामान्य नहीं होती। अगर कोई कार्डियो मायोपैथी वाला मरीज ज्यादा व्यायाम करेगा तो उसे हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा है। कोरोनरी आर्टरी एफएच कॉलेस्ट्रॉल ईमिया, इसमें लीवर में एक परेशानी होती है, जिसमें कॉलेस्ट्रॉल स्तर बहुत हाई हो जाता है और कोरोनरी आर्टरी ब्लॉक होना शुरू हो जाती हैं। इससे भी कम उम्र में हार्ट अटैक हो जाता है।
वैल्वुलर हार्ट डिजीज इससे सीधे तौर पर हार्ट अटैक नहीं होता लेकिन हार्ट के वॉल्व खराब हों तो इसकी वजह से एक बीमारी पल्मोनरी हाइपरटेंशन हो जाती है। जिसमें फेफड़ों के अंदर खून की नसों में दवाब बढ़ जाता है और इसकी वजह से मरीज की मौत भी हो जाती है। वैल्वुलर हार्ट डिजीज कई प्रकार की होती है।
एक रियूमैटिक हार्ट डिजीज, हालांकि यह भारत में काफी कम हो गई है। दूसरी है कॉन्जेनेटल हार्ट डिजीज जो पैदायशी होती है। इन कारणों की वजह से हार्ट अटैक जल्दी होता है।
(Cause Of Heart Attack )
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