इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली ।
Caution : भारत में लोगों में धूम्रपान, गुटखे, पान मसाला (smoking, gutkha, pan masala) का सेवन अनेक स्वास्थ्य संबंधी (health problems) दिककतें पैदा कर रहा है और सिगरेट तथा तंबाकू के पैकेटों पर प्रकाशित किए जा रहे चेतावनी संदेशों को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। देश में हर घंटे प्रत्येक पांच में एक व्यक्ति की मौत मुंह के कैंसर से हो रही है और इसके मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। यह विश्व में लोगों की मौत का एक बड़ा कारण बना हुआ है।
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मुंह के कैंसर के व्यक्तिगत स्तर पर कई जोखिम कारक हो सकते हैं, जिनमें से कुछ पारिवारिक इतिहास हैं। कैंसर के कुछ पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को कैंसर का उच्च जोखिम माना जाता है। शोध से यह भी पता चलता है कि विश्व स्तर पर मुंह के कैंसर से पीड़ित पांच में से चार लोगों ने तंबाकू का उपयोग किया था और लगभग 70 प्रतिशत अधिक शराब पीते थे।
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तंबाकू और सुपारी या पान सुपारी का सेवन, सिगरेट, बीड़ी, पाइप, सिगार, और चबाने वाले तंबाकू सहित तंबाकू के सभी रूपों के सेवन से मुंह के कैंसर की संभावना बढ़ सकती है। इसलिए अपने दंत चिकित्सक के पास नियमित तौर पर जाते रहें और इन दिनों इसकी जांच किट से कोई भी लक्षण पहचाना जा सकता है जो घर में कम, मध्यम या उच्च स्तर के जोखिम का आकलन करने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा चबाते या निगलते समय मुख गुहा, होंठ, जीभ, या गले में किसी भी छोटे संकेत, लक्षण या परेशानी को कभी भी अनदेखा न करें। इस समय अधिकांश रोगियों की मुंह की जांच के माध्यम से इसके लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। लेकिन कई बार ये लक्षण काफी देर से सामने आते हैं और उस समय यह कैंसर दूसरी अवस्था मेटास्टासिस में चला जाता है जहां कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं मूल स्थान से शरीर के अन्य हिस्सों में जाकर अन्य अंगों को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं।
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तंबाकू उत्पादों और शराब से दूरी बनाए रखना या कम मात्रा में रखना इससे बचने में काफी हद तक मददगार हो सकता है। यदि आप तंबाकू या शराब का सेवन नहीं करते हैं, तो इसे शुरू न करना एक अच्छा विचार है, और यदि आप करते हैं, तो इसे छोड़ने की दिशा में प्रयास करें। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, धूम्रपान न करने वालों को भी फेंफड़ों के कैंसर का जोखिम होता है लेकिन धूम्रपान करने वालों को अपने जीवनकाल में यह कैंसर होने की आशंका 22 गुना अधिक होती है।
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