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Medical test : दिल की बीमारियों का पता लगाने के लिए जरुरी आनुवांशिक जांच

Rahul Dev Sharma • LAST UPDATED : March 25, 2022, 7:44 pm IST

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली।

Medical test : शोधकर्ताओं (Researchers) ने डीएनए की संरचना के आधार पर महिलाओं और पुरूषों में भविष्य में होने वाली दिल की बीमारियों का पता लगाने के लिए एक चिकित्सकीय जांच कार्यक्रम शुरू किया है।

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अगर ये चिकित्सकीय परीक्षण प्रभावी साबित होते हैं तो इस आनुवांशिक जांच परीक्षण को विश्व में एक पैमाने के तौर पर अपना लिया जाएगा जिससे लोगों की मौत के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हॉर्ट अटैक से बचाव करने में मदद मिल सकती है।

(Medical test: Genetic test necessary to detect heart diseases)

एरिजोना में कॉर्डियोवॉस्कुलर जीनोमिक्स फॉर डिग्निटी हेल्थ हास्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर रॉबर्ट रॉबर्ट्स ने बताया कि इसके परिणाम बेहतर होने पर दिल की बीमारियां इस सदी की अंतिम बीमारियां होंगी।

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इस चिकित्सकीय जांच में शोधकर्ता 40 से 60 वर्ष के लगभग दो हजार पुरूषों तथा महिलाओं के डीएनए नमूने एकत्र करेंगे जिन्हें इससे पहले दिल की कोई बीमारियां नहीं थी। फिर डीएनए नमूनों (DNA sample) का विश्लेषण यह निर्धारित करने के लिए किया जाएगा कि क्या इन लोगों में कोई आनुवंशिक मार्कर हैं जिन्हें हृदय रोगों का कारण माना जाता है।

डीएनए जीनोटाइपिंग पूरी हो जाने के बाद, डिग्निटी की टीम प्रत्येक प्रतिभागी के आनुवंशिक मार्करों का मूल्यांकन करेगी कि उनमें हृदय रोग विकसित होने की कितनी आशंका है।

(Medical test: Genetic test necessary to detect heart diseases)

इस चिकित्सकीय जांच में प्रतिभागियों के हृदय रोगों (heart disease) के जोखिम का निर्धारण करते समय अन्य स्वास्थ्य मानकों और जीवन शैली कारकों पर भी विचार किया जाएगा। इनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं। इसमें यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या प्रतिभागी धूम्रपान करता है और कसरत करते हैं या निष्क्रिय जीवन शैली बिताते हैं।

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(Medical test: Genetic test necessary to detect heart diseases)

शोध से पता चला है कि जन्म से उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर एक सामान्य आनुवंशिक स्थिति के कारण हो सकता है जिसे पारिवारिक हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (एफएच) कहा जाता है।

इससे कम उम्र से ही कोरोनरी हृदय रोग का उच्च जोखिम हो सकता है। कुछ अनुमान बताते हैं कि एफएच वाले प्रत्येक दो रोगियों में से एक को 70 वर्ष की आयु तक कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

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