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Disadvantages Of Post Antibiotics सेहत से खिलवाड़, पोस्ट एंटीबायोटिक दवाओ का कारोबार

PUBLISHED BY: Mukta • LAST UPDATED : December 16, 2021, 12:06 pm IST
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Disadvantages Of Post Antibiotics सेहत से खिलवाड़, पोस्ट एंटीबायोटिक दवाओ का कारोबार

Disadvantages Of Post Antibiotics

Disadvantages Of Post Antibiotics मनमर्जी से एंटीबायोटिक दवाइयां खाना या डॉक्टरों अथवा झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा रोगी को बार-बार हाई पावर की दवाएं देने से एक वक्त ऐसा भी आता है जब बीमारी में किसी भी तरह की दवा काम नहीं करती। यह स्थिति एंटीबायोटिक रेसिसटेंसी कहलाती है।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● ‘पोस्ट-एंटीबॉयोटिक एरा’ यानी एंटीबायोटिक के बाद का खतरनाक दौर अब दूर नहीं है।
● इसका अर्थ है वह समय, जब छोटे-मोटे जख्म या संक्रमण से ही किसी इंसान की मौत का खतरा हो।
● विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एंटीबायोटिक प्रतिरोध के मामले में इसी नतीजे पर पहुंचा है।
● इस समय बड़ी तादाद में एंटीबायोटिक दवाइयां अपना प्रभाव खो रही हैं और यह संकट बढ़ता ही जा रहा है।
● एक तरफ तो हाल यह है कि मूत्र-नलिका, श्वसन-नलिका और पेट से जुड़े मामूली संक्रमणों का उपचार भी कठिन होता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ, सजर्री के बाद सामान्य होने का सारा दारोमदार अब ऑपरेशन के बाद दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाइयों पर ही छोड़ दिया गया है।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● इन दिनों डॉक्टर किसी एंटीबायोटिक को लेने की सलाह देते वक्त उसके असर को लेकर अधिक आश्वस्त नहीं दिखाई पड़ते।
● निष्प्रभावी होने पर अक्सर उस एंटीबायोटिक की जगह दूसरी एंटीबायोटिक लेने की सलाह दी जाती है।
● प्रसिद्ध चिकित्सक यह कहने से भी नहीं हिचकते कि आधुनिक दवाओं से हमें जो हासिल हुआ, हम उस सब को खो बैठेंगे, अगर मौजूदा एंटीबायोटिक्स को संरक्षित न रखा गया।
● यह सब एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण हो रहा है।
● पहले जो एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया को मार देती थीं, अब वही बैक्टीरिया उन्हें झेलने में सक्षम हैं।
● इस ओर कौन ले जा रहा है?
● दरअसल, यह एंटीबायोटिक दवाइयों के दुरुपयोग और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से हो रहा है। इनका अनियंत्रित इस्तेमाल वैसे पशुओं पर किया जा रहा है, जिनको हम खाते हैं।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● इस समस्या की सीमा को समझने के लिए सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवायरमेंट (C.S.E.) की पॉल्यूशन मॉनिटरिंग लैबोरेटरी में दिल्ली-NCR स्थित मुर्गी फार्मों के 70 चिकन सैंपल इकट्ठा किए गए और उनमें आम तौर पर इस्तेमाल की छह एंटीबायोटिक्स के अंशों की जांच की गई।
● पाया गया कि 40% नमूने पॉजिटिव हैं, 17% में तो कई एंटीबायोटिक्स हैं।
● हैरत की बात यह थी कि सिप्रोफ्लोक्सासिन जैसी एंटीबायटिक्स भी मिली, जिसे W.H.O. ने इंसान के लिए खतरनाक घोषित कर रखा है।
● यह विभिन्न संक्रामक रोगों में भारत में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाली एंटीबायोटिक है और यह दवा फ्लोरोक्वीनोलोन्स की श्रेणी से जुड़ी है, जो मल्टीड्रग-रेसिस्टेंस टीबी में महत्वपूर्ण मानी जाती है।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● कुछ देशों में मुर्गीपालन में इसका इस्तेमाल प्रतिबंधित है।
एक और फ्लोरोक्वीनोलोन श्रेणी की एंटीबायोटिक है एनरोफ्लोक्सासिन, जो चिकन में सबसे अधिक मात्रा में पाई गई और इस पर भी कुछ देशों में पाबंदी है।
● हिलाकर रख देने वाली एक कड़वी सच्चाई यह थी कि सामान्य और गंभीर संक्रामक बीमारियों के लिए जिम्मेदार कई बैक्टीरिया चिकन में मौजूद एंटीबायोटिक्स के प्रतिरोधी पाए गए।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● ये अध्ययन पिछले एक दशक में देश भर में कई निजी और सरकारी अस्पतालों द्वारा किए गए।
● CSE की टीम ने यह जानने का फैसला किया कि क्यों और कैसे ये एंटीबायोटिक्स इस्तेमाल होती हैं और हरियाणा से राजस्थान तक के मुर्गीपालन उद्योग में इनका इस्तेमाल होता है?
● एंटीबायोटिक दवाइयों का अंधाधुंध इस्तेमाल मुर्गीपालन उद्योग का हिस्सा है, ताकि चूजों को मीट के लिए जल्द से जल्द तैयार किया जा सके।
● इनके खाने में एंटीबायोटिक दवाइयों को मिलाया जाता है और 35-42 दिनों के इनके जीवन-चक्र में इसे लगातार जारी रखा जाता है।
● यह वजन बढ़ाने के लिए किया जाता है और यूरोपीय संघ के देशों में यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● इसके इस्तेमाल का दूसरा कारण है कि चूजों में संक्रमण को रोकना, यानी रोग के संकेत न मिलने के बावजूद उन्हें एंटीबायोटिक देते रहना।
● कई यूरोपीय देशों में इसे नियंत्रित तरीके से किया जा रहा है, लेकिन भारत में एंटीबायोटिक दवाएं बिना लेबल और लाइसेंस के मिल जाती हैं, इसलिए यह काम धड़ल्ले से होता है।

● भारत के पास कोई नियामक ढांचा नहीं है, जो पशुओं में एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए सबसे जरूरी है।
● चिकन में एंटीबायोटिक की मात्रा देने के मानक भी तय नहीं हैं; पोल्ट्री के आहार पर किसी की नजर नहीं होती; बिना लाइसेंस वाली दवाइयों पर कोई नियंत्रण नहीं है; इसका भी अंदाजा नहीं कि एंटीबायोटिक्स की कितनी मात्रा इस्तेमाल हुई और इसके प्रतिरोधी रुझान क्या रहे?

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● इस दिशा में काम करने वाले देश बहुत पहले ही इस पर रोक लगा चुके हैं।
● यहां यह प्रश्न भी महत्वपूर्ण है कि क्या यह समस्या सिर्फ चिकन और उसे खाने वालों तक सीमित है?
● इसका जवाब है कि यह यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव इससे भी आगे पड़ रहा है।
● शाकाहारी भी समान रूप से खतरे के घेरे में हो सकते हैं। इसे समझाने के लिए समस्या की जड़ में जाना होगा।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

● खाद्य उत्पादक पशुओं में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल एक से अधिक रास्तों से और कई माध्यमों से इंसान को प्रभावित करता है।
● चूजे को ही लीजिए। इनमें अधिक एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से इनके पेट में प्रतिरोधी बैक्टीरिया का विकास होता है।
● यह ऐसे ही कई बैक्टीरिया को जन्म देता है।
● इस तरह से उस चूजे के शरीर में प्रतिरोधी बैक्टीरिया का भंडार हो जाता है।
● अब ये प्रतिरोधी बैक्टीरिया उस आदमी में जाता है, जो चिकन खाता है और प्रक्रिया यहीं नहीं थमती।
● एक विशेष एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोध इंसान में समान या अन्य एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोध को जन्म दे सकता है, जो कई दवाइयों के बेअसर होने का कारण बनता है।

(Disadvantages Of Post Antibiotics)

Read Also: What Is Ovulation ओव्यूलेशन (डिंबोत्सर्जन) क्या है, और क्यों होता है

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