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नाक से लेकर गले तक की नाड़ियों की देखभाल के लिए करें ये आसान योगाभ्यास

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : नियमित योगाभ्यास कर आप अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं। बहुत आसान क्रिया और व्यायाम की मदद से आप अपना स्टेमिना और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ा सकते हैं। आज जानिए कि किस तरह योग के माध्यम से नाक से लेकर गले तक की नाड़ियों को स्वस्थ रखा जा सकता है। उच्चारण […]

BY: Sameer Saini • UPDATED :
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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

नियमित योगाभ्यास कर आप अपनी सेहत का ख्याल रख सकते हैं। बहुत आसान क्रिया और व्यायाम की मदद से आप अपना स्टेमिना और फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ा सकते हैं। आज जानिए कि किस तरह योग के माध्यम से नाक से लेकर गले तक की नाड़ियों को स्वस्थ रखा जा सकता है।

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उच्चारण स्थल तथा विशुद्ध चक्र की शुद्धि

उच्चारण स्थल तथा विशुद्ध चक्र की शुद्धि के लिए अपने दोनों पैर आपस में मिला लें और एक दम सीधा खड़े हो जाएं। अपनी आंखें खुली रखें और सामने की तरफ देखें। अपना मुख भी इस दौरान बंद कर लें। अपने हाथों को नीचे की ओर सीधा रखें और पूरा ध्यान उच्चारण स्थल व कंठ पर रखें और अपनी नाक से जोर-जोर से सांस लें और छोड़ें यानी श्वांस-प्रश्वांस का अभ्यास करें। 10-12 बार ऐसा करें। ध्यान रहे की अगर आपको उच्च रक्त चाप की समस्या रहती है, तो वो जोर से श्वास-प्रश्वास का अभ्यास न करें। आपको बता दें कि इस अभ्यास को करने से नाक से लेकर गले तक का रास्ता साफ होता है। इस दौरान अगर आप पैरों को मिला कर नहीं खड़े हो पा रहे हैं तो दोनों पैरों के बीच थोड़ा फासला बना लें। अब थोड़ा रिलेक्स करें। लंबी और गहरी सांस लें और छोड़ें।

अगली श्वसन क्रिया करने के लिए सीधी मुद्रा में खड़े हो कर अपनी गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और अपना सारा ध्यान सिर में चोटी वाले स्थान पर केंद्रित करें और नासिका से ही पहले की तरह श्वास-प्रश्वास का अभ्यास करें। इस दौरान आपको चक्कर आने की अनुभूति हो सकती है इसलिए आंखें खोल कर ही ये अभ्यास करने की सलाह दी जाती है। इस क्रिया को थोड़ी देर करने के बाद लंबी और गहरी सांस लें और रिलेक्स हो जाएं।

इसके बाद अगला अभ्यास करने के लिए प्रथम मुद्रा में खड़े हो कर सामने की ओर देखें। अपने सिर को सीधा रखें और आखों को सामने की ओर रखें। अब अपनी नजरों को झुका लें। इस दौरान आपको सिर और चेहरे को सीधा रखते हुए नीचे की ओर देखना है और श्वास-प्रश्वास की क्रिया को दोहराना है। इस क्रिया को भी कुछ देर के लिए करना है। इसके बाद धीरे से अभ्यास को रोकें और सामान्य तौर पर सांस लें और रिलेक्स हो जाएं। आप इन सूक्ष्म अभ्यासों के जरिए खुद को स्वस्थ रख सकते हैं और धीरे-धीरे योग करने की अपनी क्षमता को भी बढ़ा सकते हैं।

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