इंडिया न्यूज:
डिमेंशिया ऐसी बीेमारी है जिसमें रोगी के साथ-साथ उसके परिवार को भी परेशानियां झेलनी पड़ती है। डिमेंशिया होने पर व्यक्ति की मानसिक स्थिति उम्र बढ़ने के साथ खराब होती जाती है। इससे पीड़ित व्यक्ति के लिए अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करना काफी मुश्किल हो जाता है, जिससे वह अपने परिवार से सदस्यों पर काफी ज्यादा निर्भर होने लगता है।
इस बीमारी के लक्षण मुख्यरूप से 65 की उम्र के बाद नजर आते हैं। हैरानी इस बात की है कि डिमेंशिया को बढ़ाने के लिए एक बेहद आम दवाई भी जिम्मेदार होती है। इस दवाई का सेवन करने से डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। तो चलिए जानते हैं डिमेंशिया क्या है। वो कौन सी दवाई है जिसके सेवन इस बीमारी का खतरा रहता है।
डिमेंशिया कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक मानसिक विकार है। डिमेंशिया के कारण इंसान के दिमाग और शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ डिमेंशिया की संभावना बढ़ जाती है।
कुछ दिनों पहले हुए एक स्टडी अनुसार ज्यादा एंटीबायोटिक्स का सेवन करने से मानव की याददाश्त धीरे-धीरे कमजोर होनी लगती है। कहा जाता है महिलाओं को इस समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है। स्टडी के दौरान पता चला है कि बैक्टीरियल इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक्स का सेवन करने से याददाश्त कमजोर हो सकती है।
आपको बता दें कि अमेरिका में रहने वाली 14,542 महिला नर्स को स्ट्डी में शामिल किया गया। इसमें सभी महिलाओं की याददाश्त को मापने के लिए कंप्यूटराइज्ड टेस्ट देने को कहा गया। जिसमें पता चला कि महिलाओं ने अपनी मिडिल उम्र में दो माह तक एंटीबायोटिक्स का खाने से उनकी याददाश्त पर असर पड़ा हैं जिससे महिलाओं की याददाश्त कमजोर हो गई।
उम्र, डाइट और एक्सरसाइज, शराब का अत्यधिक सेवन, हृदय रोग, डिप्रेशन, डायबिटीज, स्मोकिंग, वायु प्रदूषण, सिर पर गंभीर चोट, शरीर में विटामिन्स और पोषक तत्वों की कमी।
माना जाता है कि डिमेंशिया के लक्षण जैसे- एक ही बात को दोहराते रहना। किसी बात को न समझना। याददाश्त कमजोर होना। बात करने में लड़खड़ाना। पुरानी बातों को याद करना। पुराने किस्सों को बार-बार याद करते रहना। किसी बात का याद न रहना। सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो जाना। हर समय कुछ न कुछ बोलते रहना। बहकी-बहकी बातें करना। किसी के न होने पर अपने आप से बात करना और बातों का याद नहीं रखना।
फल, सब्जी, मांस, फलियां, और काबोर्हाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। पौष्टिक आहार से न केवल शरीर स्वस्थ्य रहता है, बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।
इसके लिए मानसिक रोगी, पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधियां करें। जैसे व्यायाम करें, पैदल चलें और स्वीमिंग करें। वहीं, ड्रग्स और शराब का सेवन न करें।
मानसिक रोग से छुटकारा पाने का मुख्य और सबसे आसान तरीका साइकोलॉजिस्ट की सलाह लेना है। साइकोलॉजिस्ट की सलाह या परामर्श से मानसिक रोग को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है।
मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए अपनों से जुड़ाव होना जरूरी है। अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ थोड़ा समय बिताने की कोशिश करें। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और खुद की एहमियत व कीमत भी महसूस होगी।
एक सेहतमंद व्यक्ति के अलावा, मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्तियों को भी अच्छे दोस्त बनाने चाहिए। अच्छे दोस्त आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं।
ऐसी जो भी चीजें हैं जिनसे आपको बेहद आराम महसूस होता है। उनमें से कुछ जैसे नहाना, गाने सुनना या अपने प्यारे कुत्ते के साथ टहलने निकलना आदि शामिल है। अगर लगता है कि इनसे आपके मस्तिष्क को बेहद आराम महसूस होता है तो इन्हें करने के लिए रोजाना कुछ समय निकालिए।
प्रकृति के बीच रहना, जैसे पार्क या ग्रामीण इलाके खासकर आपके लिए बेहद अच्छे होते हैं। वहीं अगर आपके पास बगीचा नहीं है तो आप घर के अंदर पौधे या पालतू जानवर रख सकते हैं, जिससे आपका मूड ठीक रहेगा रहे और आप प्रकृति के बीच भी बने रहेंगे।
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