India News (इंडिया न्यूज), Guillain-Barré Syndrome Update: महाराष्ट्र में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के प्रकोप के कारण स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। रविवार को स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस बीमारी से पुणे में पहली मौत हो गई है और 28 नए मामले सामने आए हैं, जिससे कुल 101 लोग इस बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं। संदेहास्पद GBS मौत सोलापुर में हुई, लेकिन इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। इस समय 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं।
GBS का पहला मामला और बैक्टीरिया का पता
9 जनवरी को पुणे में GBS का पहला संदिग्ध मामला सामने आया था। जांच में पाया गया कि अस्पताल में भर्ती मरीजों से लिए गए जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला है। यह बैक्टीरिया दुनिया भर में GBS के मामलों का एक प्रमुख कारण बनता है और गंभीर संक्रमणों का कारण भी हो सकता है। अधिकारियों के मुताबिक, पुणे के पानी के नमूनों में भी बैक्टीरिया ई. कोली का उच्च स्तर पाया गया है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कुएं का पानी उपयोग में था या नहीं।
GBS का इलाज और आर्थिक चुनौती
GBS एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है। इससे शरीर के कुछ हिस्सों में कमजोरी और पक्षाघात हो सकता है। इलाज महंगा है, और प्रत्येक इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन की कीमत लगभग 20,000 रुपये होती है। इस बीमारी का इलाज आमतौर पर महंगा होता है, और कुछ मरीजों को 13 इंजेक्शनों के एक कोर्स की आवश्यकता होती है, जो एक बड़े खर्च का कारण बनता है।
स्वास्थ्य विभाग की पहल और सरकारी सहायता
#WATCH | Maharashtra | On cases of Guillain-Barre Syndrome (GBS) reported in the Pune district, Dr Rajendra Bhosale, Pune Municipal Commissioner says, “At present, there are almost 64 patients in the Pune Municipal cooperation area. Out of that 13 are on ventilators…5 patients… pic.twitter.com/Wek8J8pFA7
— ANI (@ANI) January 27, 2025
स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रकोप की गंभीरता को समझते हुए, अब तक 25,578 घरों का सर्वेक्षण किया है। साथ ही, पुणे नगर निगम और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने मुफ्त इलाज की योजना बनाई है। पुणे और पिंपरी-चिंचवाड़ के नागरिकों के लिए इलाज की व्यवस्था वाईसीएम अस्पताल और कमला नेहरू अस्पताल में की गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ससून अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
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GBS के लक्षण और प्रभाव
GBS के लक्षण अचानक शुरुआत करते हैं और तेजी से बढ़ सकते हैं। आम लक्षणों में हाथ-पैरों में कमजोरी, झुनझुनी, चलने में कठिनाई, और शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द शामिल हैं। गंभीर मामलों में, यह बीमारी पक्षाघात का कारण बन सकती है और मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत भी पड़ सकती है। हालांकि, 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद छह महीने में बिना किसी सहायता के चलने की क्षमता प्राप्त कर लेते हैं।
गुलियन-बैरे सिंड्रोम के प्रकोप ने महाराष्ट्र में चिंता का माहौल बना दिया है, लेकिन राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जा रही निगरानी और मुफ्त इलाज की पहल इस स्थिति को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है। इस दुर्लभ बीमारी के इलाज में आने वाली आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, सरकार ने प्रभावित मरीजों को सहायता प्रदान करने की योजना बनाई है। अब यह देखना होगा कि इस प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम कितने प्रभावी होते हैं और इस बीमारी से पीड़ित मरीजों को कितनी जल्दी राहत मिलती है।