इंडिया न्यूज :
अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देशों के बच्चों में हेपेटाइटिस या लिवर में सूजन के मामलों में तेजी देखने को मिल रही है। (Hepatitis Attack In Children’s Liver) बता दें इस साल जनवरी में सबसे पहले ब्रिटेन में कुछ मामले मिले थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) मुताबिक अप्रैल में अब तक हेपेटाइटिस के 200 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं। तो चलिए जानते हैं क्यों बढ़ रहे हेपेटाइटिस के मामले।
हेपेटाइटिस मूल रूप से लीवर से जुड़ी बीमारी है, जो वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी में लीवर में सूजन आ जाती है। हेपाटाइटिस में 5 प्रकार के वायरस होते हैं, जैसे- ए,बी,सी,डी और ई। इन पांचों वायरसेस को गंभीरता से लेना चाहिए। क्योंकि इनके कारण ही हेपेटाइटिस महामारी जैसी बनती जा रही है और हर साल इसकी वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हेपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होते हैं। हेपेटाइटिस के बारे जागरूकता पैदा करने और जन्म के बाद बच्चे को वैक्सीन देकर उसे हेपेटाइटिस से बचाया जा सकता है।
आपको बता दें कि ये केस आम हेपेटाइटिस वायरस के नहीं हैं। आशंका है कि यह वायरसों के समूह एडिनोवायरस के कारण फैल रहा है। एडिनोवायरस के 99 ऐसे प्रकार मौजूद हैं, जो इंसान को संक्रमित कर सकते हैं। ये व्यक्तिगत संपर्क, सांस की बूंदों और संक्रमित सतह से फैलते हैं। वैज्ञानिक पता लगा रहे हैं कि क्या वायरस की आनुवंशिक प्रकृति में बदलाव आया है, जिसके कारण यह मामूली संक्रमण के बजाय सीधे लिवर को नुकसान पहुंचा रहा है। यूके हेल्थ सेक्यूरिटी एजेंसी के मुताबिक, इसका कारण एडिनोवायरस का स्ट्रेन एफ41 होने की संभावना है।
एक अनुमान मुताबिक, कोविड पाबंदियों के दौर में बच्चे आम वायरस के संपर्क में नहीं आए। लोगों से कम घुले-मिले। अब सब खुला, बच्चे घर से निकले तो उनका सामना एक के बाद एक वायरस से हो रहा है। इससे उनका इम्यून सिस्टम ज्यादा प्रतिक्रिया कर रहा है, जिससे लिवर में सूजन आ रही है। दूसरा अनुमान, इसका जिम्मेदार कोरोना तो नहीं है। यूके में इन बच्चों को कोरोना भी हुआ था। वैज्ञानिक पता लगा रहे हैं कि क्या कोरोना बच्चों को हेपेटाइटिस के प्रति ज्यादा संवेदनशील बना देता है, जिस कारण वे एडिनो वायरस से संक्रमित हो जाते हैं।
यह परेशान कर देने वाली स्थिति है। हालांकि, दुनियाभर में बहुत कम संख्या में बच्चे प्रभावित हुए हैं। आपके बच्चे में ऐसे लक्षण दिखें और वे लगातार बने रहें तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना। लिवर में सूजन। तेज बुखार। निष्क्रियता। पेट दर्द। डार्क यूरिन। पीली आंखें व त्वचा। उल्टी व डायरिया और भूख नहीं लगना हेपेटाइटिस की नई स्ट्रेन के लक्षण हैं।
बच्चों को नियमित रूप से (खास तौर पर वॉशरूम से आने और भोजन से पहले) हाथ धुलवाएं। उल्टी या डायरिया हो तो स्कूल नहीं भेजना चाहिए। नाक बहे तो उन्हें टिश्यू पेपर डस्टबिन में डालने और हाथ धोने के लिए कहें।
सभी केस एक माह से 16 साल के बच्चों के हैं। 17 बच्चों को लिवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ा है। एक मौत दर्ज की गई है। बच्चों में अब तक हेपेटाइटिस के मामले नहीं देखे गए थे। सभी मामले स्वस्थ बच्चों में सामने आए हैं और यह हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई से अलग स्ट्रेन के हैं। अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने इसको लेकर अलर्ट जारी किया है।
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