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इंडिया न्यूज (Climate Change Impact on Children Health):
इस तरह पड़ रही गर्मी बच्चों की पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों के रास्ते में बाधा बनी है। बच्चे माता-पिता के समान उम्र की तुलना में 30 फीसदी कम फिट हैं। यानी कि बच्चे गर्मी से निपटने के लिए कम तैयार हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीष्म लहर जैसी स्थितियां ज्यादा सामान्य हो रही हैं। इस मौसम मे बीमारियों का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। इसलिए हर बच्चे से लेकर बड़ों तक सबको अपना ध्यान रखना चाहिए। आइए जानेंगे इसके बारे में।
एक रिसर्च मुताबिक बाहरी दुनिया का वातावरण बच्चों समेत सभी के लिए अधिक कष्टकारी होता जा रहा है। कहते हैं कि क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) के नतीजे बच्चों की सक्रियता को प्रभावित करते हैं। इससे जीवन भर स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है। रिपोर्ट में 49 देशों में बच्चों की गतिविधियों के स्तर की तुलना की गई है। रिपोर्ट अनुसार इन देशों में केवल 39 फीसदी या कम बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि करते हैं। वहीं 61फीसदी बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश है कि बच्चों को औसतन हर दिन कम से कम एक घंटे तक मध्यम से तेज शारीरिक गतिविधि करने की जरूरत है। बताया जाता है कि ज्यादातर बच्चे ऐसा नहीं कर पाते। कोविड-19 महामारी ने बड़ी संख्या में बच्चों की गतिविधियां सीमित कर दीं। इससे अस्वास्थ्यकर दौर की शुरूआत होती है। चूंकि बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते, इसलिए वे वयस्क होने पर भी सक्रिय नहीं रहते हैं। नतीजा यह कि आज के बच्चे पूरी तरह फिट नहीं हैं।
जो बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं, वे भविष्य में ज्यादा गर्म और उग्र मौसम के लिए तैयार नहीं हैं। दिल की गति तेज करने और शरीर में ऑक्सीजन का उपयोग बढ़ाने में सक्षम लोग एरोबिक रूप से फिट होते हैं। ऐसे लोग गर्म तापमान का सामना अच्छे तरीके से कर सकते हैं। उनका पसीना ज्यादा निकलता है। फिट लोगों के खून का प्रवाह बेहतर रहता है इसलिए उनके दिल को स्वयं ठंडा रखने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती है।
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