Headache Causes Symptoms Hindi
Headache Causes Symptoms Hindi: हर इंसान अपने जीवन में कई तरह के दर्द से गुजरता है. इसमें से एक कॉमन होता है सिर दर्द. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सिर दर्द भी कई तरह के होते हैं. सिर का दर्द इतना पीड़ादायक होता है कि आप फिर कोई भी काम नहीं कर सकते. सिर दर्द का असर हमारी आंखों पर भी पड़ता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग हर किसी को सिरदर्द हुआ है और हममें से अधिकांश को तो कई बार हुआ है. मामूली सिरदर्द मामूली परेशानी से ज्यादा कुछ नहीं होता, जो बिना पर्चे के मिलने वाली दर्द निवारक दवा, कुछ खाने-पीने या कॉफी पीने या थोड़ी देर आराम करने से ठीक हो जाता है. लेकिन अगर आपका सिरदर्द गंभीर या असामान्य है, तो आपको स्ट्रोक, ट्यूमर या रक्त के थक्के के बारे में चिंता हो सकती है. यहां पर आज हम आपके लिए 10 तरह के सिर दर्द और उनके समाधान के बारे में बताएंगे.
डॉक्टर अभी तक पूरी तरह से यह नहीं समझ पाए हैं कि अधिकांश सिरदर्द किस वजह से होते हैं. वे इतना जरूर जानते हैं कि मस्तिष्क के ऊतक और खोपड़ी इसके लिए जिम्मेदार नहीं होते, क्योंकि उनमें दर्द महसूस करने वाली नसें नहीं होतीं. लेकिन सिर और गर्दन की रक्त वाहिकाएं और मस्तिष्क से निकलने वाली नसे भी दर्द का संकेत दे सकती हैं. खोपड़ी की त्वचा, साइनस, दांत और गर्दन की मांसपेशियां और जोड़ भी सिरदर्द की वजह बन सकती हैं. कई तरह के सिरदर्द का इलाज आप खुद कर सकते हैं. ज्यादातर गंभीर सिरदर्दों के लिए आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं.
यदि आपको तनावजनित सिरदर्द है, तो आपको अपने पूरे सिर में हल्का दर्द महसूस हो सकता है. गर्दन, माथे या कंधे की मांसपेशियों के आसपास कोमलता या संवेदनशीलता भी महसूस हो सकती है. किसी को भी टेंशन से सिरदर्द हो सकता है. इसलिए एक्सपर्ट्स के द्वारा सलाह दी जाती है कि किसी भी काम को टेंशन के बिना करना चाहिए. इससे आपका हेल्थ और भी बिगड़ सकता है. जब आप किसी भी काम के बारे में ज्यादा चिंता करने लगते हैं तो ऐसी कंडीशन बनती है. यह अपने आप भी ठीक हो सकता है.
क्लस्टर सिरदर्द में तेज जलन और चुभन वाला दर्द हो सकता है. ये सिरदर्द एक आंख के आसपास या पीछे, चेहरे के एक तरफ एक साथ हो सकता है. इसके लक्षणों में सिरदर्द से प्रभावित तरफ सूजन, लालिमा, चेहरे का लाल होना और पसीना आना. सिरदर्द वाली तरफ नाक बंद होना और आंखों से पानी आना, ये सिरदर्द एक के बाद एक होते हैं. प्रत्येक सिरदर्द 15 मिनट से 3 घंटे तक रह सकता है. क्लस्टर सिरदर्द के दौरान लोगों को हर दूसरे दिन एक से लेकर आठ सिरदर्द तक हो सकते हैं. एक सिरदर्द ठीक होने के तुरंत बाद दूसरा शुरू हो जाता है. क्लस्टर सिरदर्द महीनों तक रोजाना हो सकता है. क्लस्टर सिरदर्द के बीच के महीनों में व्यक्ति लक्षण-मुक्त रहता है. क्लस्टर सिरदर्द बसंत और पतझड़ के मौसम में अधिक आम हैं. ऐसी कंडीशन में आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
माइग्रेन एक सिरदर्द विकार है जो सिर के भीतर तीव्र धड़कन वाला दर्द पैदा करता है. बिना इलाज के माइग्रेन के दौरे 4 से 72 घंटे तक चल सकते हैं, जिससे आपकी दैनिक दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित हो सकती है. इसमें आपके लिए आमतौर पर सिर के एक तरफ दर्द होता है. लाइट और आवाज के प्रति संवेदनशीलता, मतली और उल्टी जैसी परेशानियां होती हैं. लगभग एक तिहाई माइग्रेन पीड़ितों को सिरदर्द शुरू होने से पहले देखने में परेशानी होती है. इसे माइग्रेन ऑरा के नाम से जाना जाता है, जिसके कारण आपको चमकती या झिलमिलाती रोशनी, टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं, तारे, अंधे धब्बे दिखाई एक हाथ में झुनझुनी और बोलने में कठिनाई भी शामिल हो सकती है.
माइग्रेन तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हो सकता है. नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) के अनुसार, जन्म के समय महिला के रूप में पहचाने गए लोगों में जन्म के समय पुरुष के रूप में पहचाने गए लोगों की तुलना में माइग्रेन होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है. माइग्रेन से आपके अंदर निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं.
नींद में बाधा
निर्जलीकरण
भोजन न करना
कुछ खाद्य पदार्थ
हार्मोनल उतार-चढ़ाव
रसायनों के संपर्क में आना
हेमिक्रानिया कंटीनुआ सिर के एक तरफ होने वाला मध्यम सिरदर्द है जो कम से कम 3 महीने तक लगातार बना रहता है. दिन में कई बार यह कम और ज्यादा हो सकता है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह युवा वयस्कों में सबसे आम बात है. इस तरह के सिरदर्द में निम्नलिखित लक्षण भी हो सकते हैं:
आंखों से पानी आना या आंखों का लाल होना
नाक बंद होना या नाक बहना
पलकों का झुकना
माथे पर पसीना आना
पुतली का सिकुड़ना
बेचैनी या घबराहट
इस तरह का दर्द काफी तेज होता है, जो केवल कुछ सेकंड तक रहता है. ये सिरदर्द दिन में कई बार हो सकते हैं और बिना किसी पूर्व सूचना के शुरू हो सकते हैं. बर्फ की चुभन जैसे सिरदर्द एक बार में या एक के बाद एक कई बार चुभन जैसा महसूस हो सकता है. बर्फ की चुभन जैसे सिरदर्द आमतौर पर सिर के अलग-अलग हिस्सों में फैलते हैं.
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यह सिरदर्द महिलाओं में पाया जाता है. मासिक धर्म वाली महिलाओं को हार्मोनल उतार-चढ़ाव की वजह से इस परेशानी से गुजरना पड़ता है. इसके अलावा मासिक धर्म, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन और गर्भावस्था, ये सभी एस्ट्रोजन के स्तर को प्रभावित करते हैं, जिससे सिरदर्द हो सकता है. मासिक धर्म चक्र से जुड़े इन सिरदर्दों को मासिक माइग्रेन भी कहा जाता है. ये सिरदर्द मासिक धर्म शुरू होने से 3 दिन पहले से लेकर मासिक धर्म के तीसरे दिन तक और ओव्यूलेशन के दौरान हो सकते हैं.
उच्च रक्तचाप की वजह से भी सिरदर्द हो सकता है. इस प्रकार का सिरदर्द आपातकालीन स्थिति का संकेत है. यह कुछ लोगों में तब होता है जब रक्तचाप खतरनाक रूप से बढ़ जाता है. (180/120 से अधिक). ज्यादातर मामलों में हाई ब्लड प्रेशर सिरदर्द का कारण नहीं भी बनता है. उच्च रक्तचाप का सिरदर्द आमतौर पर सिर के दोनों तरफ होता है और किसी भी गतिविधि के साथ बढ़ जाता है. इसमें अक्सर धड़कन जैसा दर्द महसूस होता है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.
जब आपके लिए सिर में किसी भी तरह की चोट लग जाती है तो उससे भी सिरदर्द होने लगता है. यह दर्द आमतौर पर चोट लगने के बाद 6 से 12 महीने तक रहते हैं. ये लंबे टाइम के भी हो सकते हैं.
कई बार जब मरीज दवाओं का ज्यादा सेवन करता है तो उससे भी सिरदर्द होता है. इन्हें रिबाउंड सिरदर्द भी कहा जाता है. कभी-कभी हल्के तनाव वाले सिरदर्द की तरह महसूस हो सकते हैं. इसके अलावा यदि आप अक्सर बिना डॉक्टर के पर्चे वाली दर्द निवारक दवाओं का सेवन करते हैं, तो आपको इस प्रकार के सिरदर्द होने की संभावना ज्यादा हो सकती है. ऐसे में दर्द कम होने के बजाय बढ़ जाते हैं.
स्पाइनल सिरदर्द लम्बर पंक्चर के बाद सेरेब्रोस्पाइनल लिक्विड के कम दबाव की वजह से होता है. इसी कारण इसे पोस्ट-ड्यूरल पंक्चर सिरदर्द भी कहा जाता है. आपको यह सिरदर्द माथा, कनपटी, गर्दन का ऊपरी हिस्सा, सिर का पिछला हिस्से में हो सकता है. यह सिरदर्द आमतौर पर खड़े होने पर बढ़ जाता है और लेटने पर कम हो जाता है. इसके लक्षणों में मतली, गर्दन में दर्द, चक्कर आना, देखने में परिवर्तन शामिल है.
डॉक्टर्स की मानें तो वे मरीज को तनाव कम करने की सलाह देते हैं. जब भी आपको सिरदर्द हो तो पानी खूब पिएं. शरीर हाइड्रेड रहना चाहिए. इसके अलावा गहरी नींद, योग, ध्यान, सिकाई, और शरीर को आराम देना चाहिए. इसके अलावा आपको बिना कोई देर किए तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इसके अलावा आप आयुर्वेदिक उपाय भी अपना सकते हैं.
नोट – हमारा काम सिर्फ आप तक जानकारी पहुंचाना है. किसी तरह की मेडिसिन या सलाह के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें.
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