India News (इंडिया न्यूज़),LDL Cholesterol: लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। इसे ‘बैड कोलेस्ट्रॉल’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह नसों में जमा होकर ब्लॉकेज बनाता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में बाधा आती है। इससे हृदय रोग, स्ट्रोक और पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (पीएडी) जैसी गंभीर स्थितियां पैदा हो सकती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जब शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, तो इसके संकेत अक्सर चलते-फिरते या शारीरिक गतिविधियों के दौरान दिखते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है।
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के कारण पैरों और हाथों में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, जिससे चलते-फिरते दर्द, झुनझुनी या ठंड लग सकती है। अगर समय रहते इस समस्या को न संभाला जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। आइए जानते हैं एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के पांच मुख्य संकेत, जो चलते-फिरते दिखते हैं और जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है।
LDL Cholesterol: चलते-चलते फटने लगती हैं पैर की नसें तो समझ लें LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के हैं संकेत
पेरिफेरल आर्टरी डिजीज का सबसे आम लक्षण इंटरमिटेंट क्लॉडिकेशन है। इसमें व्यक्ति को चलते समय या सीढ़ियाँ चढ़ते समय पैरों में ऐंठन या मांसपेशियों में दर्द का अनुभव होता है। रुकने के बाद यह दर्द ठीक हो जाता है, लेकिन चलने पर फिर से हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नसों में रुकावट के कारण मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।
एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का एक और लक्षण पैरों में दर्द, थकान या भारीपन है। चलते समय खासकर पिंडलियों, जांघों या कूल्हों में दर्द महसूस हो सकता है। यह समस्या धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है, जिसके कारण व्यक्ति को थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रुककर आराम करना पड़ता है।
चलते समय या शारीरिक गतिविधि करते समय अगर आपको पैरों या टखनों में असामान्य ठंडक महसूस होती है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के कारण नसें सिकुड़ गई हैं और रक्त प्रवाह प्रभावित हो रहा है। गंभीर मामलों में पैरों या पंजों का रंग नीला या पीला भी पड़ सकता है।
चलते समय पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होना भी बढ़े हुए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है। ऐसा तब होता है जब रक्त संचार ठीक से नहीं होता, जिसके कारण नसों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह स्थिति तंत्रिका क्षति का भी संकेत हो सकती है।
बढ़े हुए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल से मांसपेशियों में कमज़ोरी हो सकती है। चलते समय संतुलन खोना या लंबे समय तक खड़े रहने में कठिनाई इसका लक्षण हो सकता है। धीरे-धीरे यह स्थिति पैरों की काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है और गिरने का जोखिम बढ़ा सकती है।
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