स्पेन के रिसर्च में क्या पाया गया?
स्पेन के ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी ऑफ बर्सिलोना के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक अध्ययन में खुलासा किया कि टी-बैग में चाय डालने पर एक मिलीलीटर पानी में अरबों माइक्रो और नैनोप्लास्टिक कण (एमएनपीएल) निकल सकते हैं। यह परिणाम चौंकाने वाले थे, क्योंकि इन कणों का आकार नैनोमीटर में था, जो हमारे शरीर के विभिन्न अंगों में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।
यह अध्ययन यह साबित करता है कि प्लास्टिक टी बैग का उपयोग करने से हम अपने कप में न केवल चाय के तत्व, बल्कि प्लास्टिक के हानिकारक कण भी डाल रहे हैं। और यह सिर्फ चाय के स्वाद को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि हमारी सेहत पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
क्यों होता है प्लास्टिक का रिसाव?
प्लास्टिक और उच्च तापमान का संयोजन इस रिसाव का मुख्य कारण है। जब प्लास्टिक के टी बैग्स को गर्म पानी में डाला जाता है, तो प्लास्टिक के सूक्ष्म कण पानी में घुल जाते हैं। इसी तरह का प्रभाव माइक्रोवेव में रखे गए प्लास्टिक कंटेनरों पर भी देखा गया है। उच्च तापमान के संपर्क में आने पर प्लास्टिक के यह कण धीरे-धीरे टूटकर पानी में मिल जाते हैं, और हम इन्हें बिना जाने ही अपने शरीर में प्रवेश कर लेते हैं।
टी-बैग्स और स्वास्थ्य पर प्रभाव
टी बैग्स में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के कणों के स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर चिंता जताई गई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ये माइक्रोप्लास्टिक कण हमारी आंतों की कोशिकाओं से संपर्क कर सकते हैं और कोशिका नाभिक तक पहुंच सकते हैं। इसका मतलब यह है कि माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में घुसकर हमारे आंतरिक तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक के कणों का हमारे शरीर में जमा होना हानिकारक बैक्टीरिया के लिए अनुकूल माहौल भी बना सकता है, जिससे हमारी इम्यूनिटी और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव:
- गुड बैक्टीरिया पर असर: प्लास्टिक टी बैग्स से निकलने वाले कण हमारे शरीर के अच्छे बैक्टीरिया को प्रभावित कर सकते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र के लिए जरूरी होते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण और रक्त संचार: ये कण हमारे रक्त संचार और कोशिकाओं में घुस सकते हैं, जिससे लंबे समय में असंतुलन और कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- कार्सिनोजेनेसिस: कुछ शोधों से यह भी संकेत मिलता है कि माइक्रोप्लास्टिक कैंसर से संबंधित कारकों के रूप में कार्य कर सकते हैं, हालांकि इस पर और शोध की आवश्यकता है।
किस प्रकार के टी-बैग्स में अधिक माइक्रोप्लास्टिक होते हैं?
रिसर्च में यह पाया गया कि अलग-अलग प्रकार के टी बैग्स से अलग-अलग मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक कण निकलते हैं। तीन प्रकार के टी बैग्स पर किया गया रिसर्च निम्नलिखित परिणामों के साथ सामने आया:
- पॉलीप्रोपाइलीन टी बैग्स – प्रत्येक मिलीलीटर पानी में लगभग 1.2 बिलियन कण, जिनका आकार औसतन 136.7 नैनोमीटर था।
- सेल्यूलोज बैग्स – प्रत्येक मिलीलीटर पानी में लगभग 135 मिलियन कण, जिनका आकार लगभग 244 नैनोमीटर था।
- नायलॉन-6 टी बैग्स – प्रत्येक मिलीलीटर पानी में लगभग 8.18 मिलियन कण, जिनका आकार औसतन 138.4 नैनोमीटर था।
इन सभी प्रकार के टी बैग्स से निकलने वाले कण हमारे शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं, खासकर जब हम नियमित रूप से चाय का सेवन करते हैं।
कैसे पिएं चाय?
शोध और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, टी बैग्स से बचने का सबसे अच्छा तरीका है लूज चाय पत्तियां का उपयोग करना। जब आप लूज चाय पत्तियों को उबालकर छानकर पीते हैं, तो आपको एक ताजगी और स्वाद भी मिलता है और स्वास्थ्य के लिए भी यह बेहतर होता है।
टी बैग्स के मुकाबले लूज चाय के फायदे:
- स्वास्थ्य के लिए बेहतर: लूज चाय में माइक्रोप्लास्टिक की संभावना नहीं होती, और यह शरीर में पहुंचने वाले हानिकारक कणों से बचाता है।
- बेहतर स्वाद: चाय पत्तियां अच्छी तरह से पानी में घुलती हैं, जिससे चाय का स्वाद अधिक उभर कर आता है।
डायबिटीज और टी बैग्स
टी बैग्स में अक्सर अधिक कैफीन होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकता है, खासकर डायबिटिक पेशेंट्स के लिए। यदि आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आपको हर्बल चाय जैसे टर्मरिक टी, हिबिस्कस टी, सिनामन टी, और कैमोमाइल टी का सेवन करना चाहिए, क्योंकि ये एंटी-डायबिटिक होते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
टी बैग्स से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक कणों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों को देखते हुए, यह जरूरी हो जाता है कि हम चाय के सेवन के तरीके पर पुनर्विचार करें। लूज चाय पत्तियां स्वास्थ्य के लिए बेहतर होती हैं, और यह हमारी चाय पीने की आदतों को और भी स्वस्थ बना सकती हैं। इस शोध ने यह साबित किया है कि हमें अपनी चाय की आदतों में बदलाव लाने की आवश्यकता है, ताकि हम माइक्रोप्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों से बच सकें।