इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Nasal spray: भारत में कोरोना की वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना होने के मामले सामने आ रहे हैं। शुरुआत में वैक्सीनेशन के बाद हुए कोरोना संक्रमण को लेकर कहा गया था कि ऐसा लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और कोरोना वायरस में हो रहे म्यूटेशन के कारण सामने आ रहे नए-नए वेरिएंट की चपेट में आने के कारण हो रहा है। हालांकि अब वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी कोरोना होने को लेकर नई वजह सामने आई है।
Nasal spray
जोधपुर स्थित आईसीएमआर, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्प्लीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्युनिकेबल डिजीज के डायरेक्टर और कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डा.अरुण शर्मा का कहना है कि भारत में कोरोना की दोनों वैक्सीन के बाद संक्रमण हो रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि कोविड के खिलाफ जो एंटीबॉडी है वह फिलहाल ब्लड में बन रही हैं। वह एंटीबॉडी वायरस को तब ही मारेगी जब वह खून तक पहुंचेगा। कोरोना वायरस मानव शरीर में नाक से प्रवेश करता है। इसके बाद श्वास नली से होते हुए फेफड़ों और फिर खून में जाता है।
अब सवाल ये है कि वायरस ब्लड में कब पहुंचेगा तो ऐसा तब होगा जब वह रेस्पेरेटरी सिस्टम या श्वसन तंत्र को पार कर लेता है। कोविड का वायरस संक्रमित हवा के जरिए सबसे पहले नाक में पहुंचता है और इसके बाद वह ट्रैकिया या श्वांस नली से होते हुए मरीज के फेफड़ों तक पहुंचता है। इसके बाद श्वांस नली में रहते हुए वायरस अपनी संख्या बढ़ा सकता है। यही वजह है क यह लोगों को वैक्सीन लेने के बाद भी लगातार संक्रमित कर सकता है।
इस संदर्भ में ध्यान देने वाली बात है कि नेजल स्प्रे जिसे नाक के द्वारा दिया जाता है, वह अधिक कारगर हो सकती है क्योंकि नेजल वैक्सीन नाक में म्यूकस मेंब्रेन को प्रोटेक्ट कर देगी। यह ठीक उसी तरह होगा जैसे पोलियो की ओरल ड्राप दी जाती है। इससे पूरे पेट या आमाशय के ऊपर वायरस के खिलाफ सुरक्षा कवच बन जाता है। इसीलिए विशेषज्ञों का मानना है कि नाक से होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाना बेहद जरूरी है।