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Platelets Donation Side Effects : क्‍या प्‍लेटलेट्स दान करने से बिगड़ सकती है डोनर की सेहत

PUBLISHED BY: Sameer Saini • LAST UPDATED : October 28, 2021, 6:52 am IST
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Platelets Donation Side Effects : क्‍या प्‍लेटलेट्स दान करने से बिगड़ सकती है डोनर की सेहत

Platelets Donation Side Effects

Platelets Donation Side Effects : देश में डेंगू के मामले बढ़ने के साथ ही मरीजों में प्‍लेटलेट्स घटने की समस्या पैदा हो रही है। ऐसे में दवाओं के माध्यम से शरीर में प्‍लेटलेट की संख्‍या को बढ़ाने के अलावा कई बार ऐसी स्थिति आती है कि मरीज को तत्‍काल प्रभाव से प्‍लेटलेट चढ़ानी पड़ती हैं। लिहाजा रक्‍तदान की तरह लोगों से प्‍लेटलेट दान करने के लिए भी कहा जा रहा है। हालांकि काफी आम हो चुके रक्‍तदान के मुकाबले प्‍लेटलेट दान करने को लेकर अभी भी लोगों में कुछ संशय रहता है।

हाल ही में देश में बढ़े डेंगू के मामलों के बाद प्‍लेटलेट दान करने वालों की संख्‍या बढ़ी है लेकिन इसी दौरान कुछ ऐसे भी लोग सामने आए हैं जिन्‍होंने प्‍लेटलेट दान की लेकिन उसके तुरंत बाद डेंगू की चपेट में आ गए और उनकी प्‍लेटलेट गिरकर 50 हजार से नीचे पहुंच गईं। इससे लोगों में यह डर पैदा हो गया कि यह प्‍लेटलेट देने की वजह से तो नहीं हुआ। हालांकि इस बारे में एक्सपर्ट कहते हैं कि प्‍लेटलेट दान करने से कभी भी प्‍लेटलेट की कमी नहीं आती। बल्कि एक व्‍यक्ति 48 घंटे के बाद दोबारा प्‍लेटलेट्स दान कर सकता है। (Platelets Donation Side Effects)

फिलहाल जो मामले प्‍लेटलेट देने के बाद शरीर में इनके घटने के मामले सामने आ रहे हैं उसका प्‍लेटलेट दान करने से कोई लेना देना नहीं है। यह संयोग ही हो सकता है कि किसी ने प्‍लेटलेट दान की और फिर उसे तुरंत बाद डेंगू के मच्‍छर ने काट लिया हो और फिर उसकी तबियत बिगड़ी हो। डेंगू के बुखार के ठीक होने के बाद ही मरीज की प्‍लेटलेट्स गिरती हैं या गिरने की संभावना होती है। यही फिलहाल सामने आए कुछ मामलों में देखा गया है। लिहाजा प्‍लेटलेट दान करना पूरी तरह सुरक्षित है। (Platelets Donation Side Effects)

पहले जो डॉक्‍टर प्‍लेटलेट लेते थे वह तकनीक कुछ अलग थी लेकिन अब प्‍लेटलेट एफरेसिस मशीन की वजह से यह काफी आसान है। इस मशीन से डोनर के शरीर से सिर्फ प्‍लेटलेट ही निकाली जाती हैं। इसके लिए रक्‍दाता को इस मशीन से जोड़ दिया जाता है लेकिन प्‍लेटलेट किट में सिर्फ प्‍लेटलेट इकट्ठी होती जाती हैं और बाकी का बचा हुआ रक्‍त दोबारा से उसके शरीर में पहुंचा दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब 40 से 60 मिनट का समय लगता है। खास बात है कि इस मशीन से इकट्ठा की गई प्‍लेटलेट से मरीज के शरीर में एक बार में 50-60 हजार प्‍लेटलेट की संख्‍या बढ़ाई जा सकती है।

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