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Mumps Virus: मम्प्स वायरस के चपेट में आया राजस्थान, समय रहते जान लें इसके लक्षण और बचाव

India News (इंडिया न्यूज), Mumps Virus: हम सभी प्रकृति से जुड़े हुए हैं। अगर मौसम में थोड़ा सा भी बदलाव होता है तो उसका असर हमारी सेहत पर पड़ता है। आज की हालत ऐसी है कि ठंड, बारिश या गर्मी हर मौसम में कोई ना कोई खतरनाक बीमारी अपना कहर बरपा रही है। इस वक्त चिलचिलाती गर्मी में गले से जुड़ा एक खतरनाक वायरस तेजी से अपना पैर पसार रहा है। जिसके चपेट में सबसे पहले राजस्थान आया है। जिसे लेकर डॉक्टरों की ओर से लोगों को आगाह किया जा रहा है। साथ ही इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए उसके लक्षण क्या है इनकी जानकारी लोगों के साथ साझा की गई है। ताकि लोग समय पर इसकी पहचान कर अपना इलाज करवा सकें।

Mumps Virus का कहर

तेजी से अपनी चपेट में ले रही इस वायरस का नाम है Mumps Virus जिसे हिंदी में गलसुआ के नाम से भी जानते हैं। इस वायरस का प्रकोप करौली सहित राजस्थान के कई जिले आ गए हैं। संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ती जा रहा है।

डॉक्टरों की मानें तो  Mumps Virus एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। जिसका असर गले पर दिखता है। यह खांसने और छींकने से फैल रहा है। अगर कोई इसके चपेट में आता है तो इसका असर 10 से 12 दिनों तक बना रहता है। फिलहाल इसका कोई सटीक इलाज नहीं है लेकिन देखभाल के जरिये इससे छुटकारा पाया जा सकता है।

Mumps Virus किसे बना रहा अपना शिकार

रिपोर्ट्स की मानें तो Mumps Virus सबसे अधिक 2 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है। यह वायरल उन लोगों को अपना शिकार बना रहा जिन्हें टीका नहीं लगा है। किशोरों और वयस्कों को टीका लगाने के बावजूद Mumps Virus हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई वर्षों के बाद टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। फिर भी Mumps Virus के संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा तरीका पूरी तरह से टीका लगवाना है। बता दें कि यह कोई नई बीमारी नहीं है। यह बीमारी पेरामिक्सों वायरस के कारण पनपती है। देसी भाषा में हम इसे गलसुआ नाम से जानते हैं। जो कि एक बार फिर से अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया है।

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लक्षण और कारण

-बुखार
-सिरदर्द
-मांसपेशियों में दर्द
-थकान
-भूख में कमी

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कई अलग-अलग वायरस और बैक्टीरिया पैरोटाइटिस का कारण बन सकते हैं। इसलिए इसका मतलब हमेशा कण्ठमाला वायरस से संक्रमण नहीं होता है। शायद ही कभी, कण्ठमाला आपके मस्तिष्क, अग्न्याशय, अंडकोष या अंडाशय सहित आपके अंगों को प्रभावित कर सकती है। यह आमतौर पर केवल किशोरों और वयस्कों में होता है।

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बचाव के उपाय

– जो भी मरीज इसके चपेट में आए उन्हें बेड रेस्ट पर रखना चाहिए।
– बच्चों को खेलकूद से रोकें।

– बाहर निकलने से परहेज करें।

– पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं।

– इस वायरस के चपेट में आने ले गले में सूजन हो जाती है। तो उस जगह को गर्म कपड़े से ढक कर रखें।
– ठंडी और खट्टी चीजों के इस्तेमाल से बचें।

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Reepu kumari

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