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India News (इंडिया न्यूज़), Breast Feeding week: ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम और मान्यताऐं हैं। कुछ ऐसे भ्रम है जो पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर हो रहे हैं। तो कुछ ऐसे भी हैं जो किसी के निजी अनुभव के आधार पर आधारित होते है। कई मिथक तथ्य से कोसों दूर होते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो तथ्य और इमेजिनेशन के बीच मात्र एक महीन सी लकीर होती है जिसे समझना जरूरी है। हर साल विश्व स्तनपान सप्ताह का विषय अलग होता है। इस बार ब्रेस्ट फीडिंग वीक 2024 का विषय था ‘क्लोजिंग द गैप- ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल’ था।
घर के बड़े- बुजुर्ग अक्सर न्यू मॉम को कहा करते है कि सादा खाना खाओ, व्यायाम से बिलकुल दूर रहो, बच्चे को दूध पिलाना कौन सा बड़ा काम है और भी बेहद कुछ कहते है। लेकिन महिला रोग विशेषज्ञ और WHO क्या सोचता और कहता है क्या आप जानते है ? आइये कुछ ऐसे ही मिथ्स से पर्दा उठाते है इस खबर में जिससे जानकार आप भी हैरान हो जायँगे।
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डॉक्टर्स का कहना है की मॉर्डन महिलाओं को अपने स्लिम ट्रिम और मैनटैनेड फिगर की बहुत चिंता रहती है यहाँ तक की वे सबसे ज्यादा अपने फिगर का ध्यान रखती है। शरीर में बदलाव उम्र, जेनेटिक्स और हार्मोनल परिवर्तनों की वजह से होता है और इसका ब्रेस्ट फीडिंग से कोई लेना- देना नहीं है।
कई स्तनपान से जुड़ी बातें है जो दादी- नानी के समय से चली आ रही है। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि स्तनपान कराना आसान है। WHO की माने तो स्तनपान आसान नहीं होता है। शुरू में समस्याएँ आती हैं, स्तनपान कराने में माँ और शिशु दोनों के लिए समय और अभ्यास की ज़रूरत होती है। स्तनपान में भी समय लगता है, इसलिए माँओं को अपनों की सहायता की जरूरत परती है।
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व्यायाम से जुड़े मिथ के बारे में बात करते हुए बताते हुए डॉक्टर्स का कहना है की ये मान्यताएँ एकदम गलत है की ब्रेस्टफीडिंग मदर्स को एक्सरसाइजेज नहीं करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो इस बात का अब तक कोई प्रमाण नहीं मिला हैं जो इस बात की पुस्टि करें की व्यायाम करने वाली माँओं के दूध की गुणवत्ता पर किसी भी प्रकार का असर पड़ता है।
बच्चे की मांग के अनुसार स्तनपान कराना सबसे ज्यादा आवश्यक होता है। एक सख्त दिनचर्या की कोई आवश्यकता नहीं होती है। किसी भी दूसरे व्यक्ति की तरह स्तनपान कराने वाली माताओं को भी संतुलित आहार की ही आवश्यकता होती है।
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