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इंडिया न्यूज:
देश के कई राज्यों में पारा 45 डिग्री से पार चल रहा है। इस चिलचिलाती धूप में घर से बाहर जाने का मतलब बीमार होना। गर्म हवाएं हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचाती हैं, खासकर आंखों को। ज्यादा देर तेज धूप में रहने से आंखें लाल होना, आंखों में बार-बार पानी आने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं कई लोग ज्यादा से ज्यादा समय एसी में रहना पसंद करते हैं। ऐसे ज्यादा देर एसी में भी बैठने से भी आंखें ड्राई होती हैं। तो चलिए जानते हैं इस गर्मी में आंखों की कैसे करें देखभाल।
बता दें कि गर्मियों की तेज धूप में अल्ट्रावायलेट रेडिएशन तीन गुना अधिक होता है, जिसका असर आंखों पर अधिक पड़ता है। तेज धूप में यूवी किरणों से आंखों के ऊपर बनी टीयर सेल यानी आंसुओं की परत टूटने लगती है। कहते हैं यह स्थिति कॉर्निया के लिए नुकसानदायक होती है। गर्मियों में उड़ने वाली धूल आंखों में एलर्जी का कारण बनती और आंसू सूख जाते हैं, इस कारण लोगों को आंखों में ड्राइनेस की समस्या होने लगती है। आंखों में एलर्जिक रिएक्शन होने की वजह से आंखों में जलन होना, आंखें लाल हो जाना, आंखों से पानी आना, आंखों में चुभन होना, कंजक्टिवाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है।
कंजक्टिवाइटिस की समस्या: वहीं गर्मियों के सीजन में कंजक्टिवाइटिस की समस्या ज्यादा होती है। यह एक तरह का आंखों में इन्फेक्शन होता है, जो पलक की आंतरिक सतह पर स्थित पतली, पारदर्शी झिल्ली में सूजन के कारण होता है। इसमें आंखें गुलाबी या लाल हो जाती हैं। आंखों से पानी या गाढ़ा स्राव निकलता है। आंखों में खुजली और असामान्य मात्रा में आंसू निकलते हैं।
ड्राई आंखें (यानी सूखी आंखें) : गर्म और सूखे मौसम में आंखों में ड्राईनेस की समस्या ज्यादा रहती है। क्योंकि आंखों की टियर फिल्म तेजी से सूख जाती है। इससे आंखों में जलन और खुजली की समस्या होती है। जिन लोगों को पहले से यह समस्या है, उनकी समस्या और बढ़ जाती है
आंखों में एलर्जी की दिक्कत: गर्मियों में धूल मिट्टी ज्यादा उड़ती है यानी पॉल्यूशन सर्दियों के मुकाबले गर्मियों में ज्यादा बढ़ जाता है, जिससे आंखों में एलर्जी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में आंखें लाल हो जाती हैं, आंखों से पानी निकलने और खुजली होने की समस्या ज्यादा रहती है।
पतेर्यगिम का खतरा: गर्मियों में ज्यादा तापमान आंखों को नुकसान पहुंचा जाता है। कुछ लोगों को फोटोफोबिया जैसी समस्या होती है। यदि एक्सपोजर लंबा है तो इससे कॉर्निया को नुकसान पहुंच सकता है। पतेर्यगिम जैसी समस्या हो सकती है। इसमें आंखे के सफेद हिस्से के टिश्यू जरूरत से ज्यादा बढ़ जाते हैं और आंखों के काले हिस्से तक पहुंच जाते हैं। लू की वजह से डिहाइड्रेशन हुआ तो आंखों में दर्द और जलन की दिक्कत बढ़ जाती है।
अच्छी नींद बेहद जरूरी: छह से आठ घंटे की आरामदायक नींद लें। ये आपकी आंखों को प्राकृतिक तरीके से तरोताजा रखने में सहायता करती हैं।
साफ-सफाई का रखें ध्यान: गर्मियों में पसीना अधिक आता है, इसलिए पैरासाइट और बैक्टीरिया के संपर्क का डर बढ़ जाता है। ऐसे में अगर गंदे हाथों से आंखों को रगड़ेंगे तो पैरासाइट आंखों के संपर्क में आ जाएंगे। इसके कारण एलर्जी और संक्रमण हो सकता है। इसलिए आंखों को स्वस्थ रखने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। हाथ थोड़े से भी गंदे हों तो उन्हें तुरंत धो लें।
खानपान पर दें ध्यान: आंखों को स्वस्थ रखने में हेल्दी खानपान जरूरी होता है। आंखों की कोशिकाओं और रेटिना को मजबूती प्रदान करने में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन तत्वों की अहम भूमिका है। इसलिए रसीले फल और सब्जियां जैसे खरबूज, तरबूज, खीरा पर्याप्त मात्रा में खाएं। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट अच्छी मात्रा में खाएं।
डायरेक्ट रोशनी से दूर रहें: लू से आंखों को बचाने के लिए सनग्लासेस, कैप, स्कार्फ या छाते का इस्तेमाल करें। अच्छी क्वालिटी के पोलराइड सनग्लासेस ही पहनें, ताकि अल्ट्रावॉयलेट किरणें डायरेक्ट आपकी आंखों तक न पहुंचे। बाहर निकलते समय टोपी भी पहनें। टोपी न सिर्फ सिर की सुरक्षा करती है, बल्कि आंखों को लू से बचाने में मदद करती है।
डिहाइड्रेशन से बचें: डिहाइड्रेशन के कारण टियर ग्लैंड्स पर्याप्त मात्रा में आंसू नहीं बना पाता है जो आंखों में नमी बनाए रखने के लिए जरूरी है। ड्राई आई के कारण आंखों से संबंधित दूसरी समस्याएं हो जाती हैं। बहुत जरूरी हो तो इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं।
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