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Ayurveda is a Gift of Nature : आयुर्वेद प्रकृति की देन है

Sunita • LAST UPDATED : October 4, 2021, 3:39 pm IST

तुलसी (Ayurveda is a Gift of Nature)

तुलसी का पौधा वायु को शुद्घ करता है। यह मच्छर और कीट पतंगों को दूर करता है। सामान्य सर्दी-खांसी या ज्वर में तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना अत्यंत फायदेमंद है। बारिश के मौसम में प्रतिदिन तुलसी के पांच पत्ते चबाने से मौसमी बुखार और जुकाम जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। तुलसी की पत्तियों को चबाने से मुंह के छाले भी ठीक होते हैं। दाद और खुजली जैसी त्वचा समस्या हो तो तुलसी के पत्ते खाने और उसके अर्क को लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाते हैं।

तुलसी की पत्तियों का रस गर्म करके चार बूंद कान में डालने से कान दर्द ठीक हो जाता है। यदि कान बह रहा हो तो इस रस को कुछ दिनों तक लगातार डालें। यदि दांत में दर्द हो तो तुलसी की पत्तियों को पीसकर इसकी लुग्दी बनाकर दांत के नीचे दबाएं। दर्द से राहत मिलेगी। कुष्ठ रोग में तुलसी की पत्तियों को खाने और पत्तियों के रस को लगाने से रोग ठीक होता है। तुलसी की चार-पांच पत्तियां, नीम की दो पत्तियों के रस को दो-चार चम्मच पानी में घोंटकर प्रात: खाली पेट लगभग एक सप्ताह तक सेवन करने से उच्च रक्तचाप ठीक होता है।

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एलोवेरा (Ayurveda is a Gift of Nature)

आयुर्वेद में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इस का गूदा या जेल त्वचा से लेकर स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का हल है। एलोवेरा विटामिन, खनिज, एंजाइम्स आदि पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है। इसके जेल के इस्तेमाल से त्वचा में कांति आती है। इसके जूस का सेवन मोटापा, मधुमेह आदि कई बीमारियों में कारगर है। यह एंटी आक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है। इसका सेवन मांसपेशियों एवं उत्तकों को पुनर्निमित करता है।

नीम (Ayurveda is a Gift of Nature)

आयुर्वेद में नीम का उपयोग अनेक रोगों के उपचार हेतु किया जाता है। वेदों में नीम को सर्वरोग निवारिणी कहा जाता है।नीम की पत्तियों में एंटीफंगल तथा एंटीवायरस गुण होते हैं जो शरीर की संक्रमण आदि से रक्षा करता है। नीम के पत्ते एग्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाते हैं। यहां तक कि चेचक निकलने पर रोगी को बिस्तर पर नीम की पत्तियां बिछाकर लिटाया जाए और नीम की टहनी से रोगी को हवा दी जाए तो भीतर का दाह शांत होता है और चेचक के दाने जल्दी ठीक होते हैं।

नीम के फल तथा बीजों से तेल निकाला जाता है। इस तेल का उपयोग त्वचा से लेकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है। गठिया की सूजन पर नीम के तेल से मालिश करने और नीम के पत्तों को पानी में उबालकर भाप से सेंक करने तथा गर्म पत्तों को बांध देने से राहत मिलती है। नीम रक्त को शुद्घ करता है। नीम के उबले पानी से चेहरा धोने पर फोड़े-फुंसियां ठीक होते हैं।

आंवला (Ayurveda is a Gift of Nature)

आंवला विटामिन सी का भंडार है। आयुर्वेद में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। आंवला ताजा हो या सूखा दोनों ही रूपों में यह सेहत के लिए फायदेमंद है। आंवले के नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर होती है। आंवला आंखों के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके सेवन से नेत्र की ज्योति बढ़ती है। यदि बाल गिरते हों अथवा असमय सफेद हो रहे हों तो सूखे आंवले के टुकड़े को रात भर पानी में भिंगों दे और सुबह उसके पानी से बाल धो लें। इसके प्रयोग से बालों का टूटना, पकना बंद हो जाएगा और बाल काले तथा घने भी होंगे।

सूखे आंवले का चूर्ण भी फायदेमंद है। सूखे आंवले को कूटकर या पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है। यदि पीलिया हो तो आंवले का चूर्ण छाछ के साथ लेने से रोग में आराम मिलता है। सूखे आंवले के चूर्ण को मूली के साथ खाने से मूत्र पथरी भी नष्ट होता है। सूखे आंवले, चित्रक की जड़, हरड़ पीपल और सेंधा नमक को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और बुखार होने पर इसका सेवन करें। यह सभी प्रकार का ज्वरनाशक है। इसके साथ ही आंवला त्वचा और हृदय रोग में भी लाभकारी माना जाता है।

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हल्दी (Ayurveda is a Gift of Nature)

हल्दी-हर भारतीय रसोई में हल्दी का प्रयोग होता है। यह गुणों की खान है। औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी एक तरफ जहां सब्जियों को रंग एवं गुणों से भरपूर करती है, वहीं दूसरी ओर सेहत को भी कई लाभ प्रदान करती है। हल्दी त्वचा रोग, सूजन, पीलिया आर्थराइटिस आदि में फायदेमंद है।

चोट या मोच आए अंगों पर हल्दी चूना का लेप लगाने से पीड़ा में आराम मिलता है। चोट लगने पर यदि सूजन हो जाए तो हल्दी पीसकर दूध के साथ पिलाएं। सर्दी होने पर हल्दी और दूध पिएं। यदि खून ज्यादा बह रहा हो तो घाव पर पिसी हुई हल्दी लगा देने पर रक्त का प्रवाह रुक जाता है।
पिसी हुई हल्दी को तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से चर्म रोग नहीं होते।

गिलोय (Ayurveda is a Gift of Nature)

गिलोय को अमृत भी कहते हैं। यह एक प्रकार का बेल है, जिसके तने से रस निकालकर या सत्व बनाकर प्रयोग किया जाता है। यह स्वाद में कड़वी होती है लेकिन सेहत के लिए लाभकारी। इसे आयुर्वेद में गर्म तासीर का माना जाता है। त्वचा रोग, हृदय रोग, आर्थराइटिस आदि रोगों के उपचार में इसका प्रयोग होता है। डेंगू हो जाने पर गिलोय प्लेटलेट्स की घटी मात्रा को बहुत जल्दी बढ़ाता है, जिससे मरीज की हालत में सुधार होता है।

अत्यधिक रक्तस्राव होने पर इसका प्रयोग अत्यंत कारगर है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाता है। खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में यह अत्यंत फायदेमंद है। त्वचा संबंधी रोग, जैसे एक्जिमा हो तो नीम और आंवला के साथ गिलोय मिलाकर इस्तेमाल करें। एग्जिमा दूर हो जाएगा।

अश्वगंधा (Ayurveda is a Gift of Nature)

आयुर्वेद में अश्वगंधा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसकी जड़ को सुखाकर और फिर उसका चूर्ण बनाकर औषधि के लिए उपयोग किया जाता है। इसका चूर्ण शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। अश्वगंधा तनाव को कम करता है। तनाव मुक्त होने से अनिद्रा जैसी समस्याओं से भी निजात मिलती है। यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाता है और दिमाग को शांत रखता है। यह बालों की समस्याओं से भी निजात दिलाता है। बालों की जड़ों को मजबूत करता है, टूटने और असमय सफेद होने से रोकता है।

 

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