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Taliban Punishment: तालिबान का एक और क्रूर फैसला, महिलाओं को व्यभिचार के लिए पत्थर मारकर हत्या करने की कसम खाई

BY: Raunak Pandey • LAST UPDATED : March 28, 2024, 12:32 am IST
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Taliban Punishment: तालिबान का एक और क्रूर फैसला, महिलाओं को व्यभिचार के लिए पत्थर मारकर हत्या करने की कसम खाई

Taliban Punishment

India News (इंडिया न्यूज़), Taliban Punishment: अफगानिस्तान में तालिबानी शासन में महिलाओं के साथ जुर्म के मामले बढ़ गए हैं, या फिर यूं कहे कि सरकार में शामिल लोग ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। पश्चिमी लोकतंत्रों को संबोधित करते हुए तालिबान के सर्वोच्च नेता ने एक बयान में, महिलाओं के प्रति समूह की कठोर नीतियों, विशेष रूप से व्यभिचार के लिए सजा की पुष्टि की। राज्य-नियंत्रित मीडिया पर प्रसारित एक ध्वनि संदेश के मुताबिक मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदज़ादा ने घोषणा की है कि आप कहते हैं कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है जब हम उन्हें पत्थर मारकर मार देते हैं। परंतु हम जल्द ही व्यभिचार के लिए सजा लागू करेंगे। हम महिलाओं को सरेआम कोड़े मारेंगे. हम उन्हें सार्वजनिक रूप से पत्थरों से मार-मार कर मार डालेंगे।

तालिबान का महिलाओं क प्रति क्रूर रवैया

बता दें कि, तालिबान शासन में महिलाओं के अधिकारों के दमन के संबंध में वैश्विक आलोचना का सीधा खंडन करते हुए अखुंदजादा ने कहा कि ये सभी आपके लोकतंत्र के खिलाफ हैं। परंतु हम इसे करना जारी रखेंगे। हम दोनों कहते हैं कि हम मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं। हम इसे भगवान के प्रतिनिधि के रूप में करते हैं और तुम शैतान के समान हो। उन्होंने आगे महिलाओं के अधिकारों की पश्चिमी अवधारणा की आलोचना की और दावा किया कि वे तालिबान की इस्लामी शरिया कानून की सख्त व्याख्या का खंडन करते हैं। ये बातें तालिबान की उन चरम नीतियों पर लौटने के इरादे को रेखांकित करती हैं। जो 1990 के दशक के दौरान अफगानिस्तान में उसके शासन की विशेषता थीं।

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मानवधिकार मूल्यों को बड़ा झटका

बता दें कि, संयुक्त राष्ट्र संघ ने तालिबान से बुनियादी मानवाधिकार मानकों का पालन करने का आग्रह किया है।उसके बाद भी तालिबान नेता का यह हालिया बयान लोकतांत्रिक मूल्यों, अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और महिलाओं के अधिकारों को बड़ा झटका लगा हैं। दरअसल, ऐसी नीतियों का पुनरुत्थान अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है। खासकर उन महिलाओं के लिए जिन्होंने तालिबान के अधिग्रहण के बाद से अपनी स्वतंत्रता में भारी कटौती देखी है।

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