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India News (इंडिया न्यूज़), Patanjali: सर्वोच्च न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु बाबा रामदेव को भ्रामक विज्ञापन मामले में अगली सुनवाई पर पेश होने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह आदेश पतंजलि की तरफ से अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने के बाद किया गया। दरअसल, कोर्ट की तरफ से यह नोटिस बाबा रामदेव को यह बताने के लिए जारी किया कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। बता दें कि इस साल फरवरी में शीर्ष अदालत ने कड़े शब्दों में पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि पूरे देश को बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले हर्बल उत्पादों के विज्ञापनों ने धोखा दिया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी किया था। जिसमें पूछा था कि अपने उत्पादों के विज्ञापन और उनकी औषधीय प्रभावकारिता के बारे में अदालत में दिए गए फर्म के वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। साथ ही पतंजलि और उसके अधिकारियों को अदालत ने चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ मीडिया में बयान नहीं देने का भी आदेश दिया था। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा था कि सरकार ने पतंजलि के विज्ञापनों में कथित गलत दावे और गलत बयान के लिए कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई की है। दरअसल, पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अदालत का रुख कर आरोप लगाया है कि वे चिकित्सा की आधुनिक प्रणाली के खिलाफ बदनामी का अभियान चला रहे हैं।
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बता दें कि, पतंजलि ने कोर्ट को पिछले साल 21 नवंबर को आश्वासन दिया था कि अब से किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा। खासकर कंपनी के द्वारा निर्मित उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग से संबंधित के अलावा कोई भी आकस्मिक बयान दावा नहीं करेगा। कंपनी ने ये भी कहा था कि औषधीय प्रभावकारिता या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के विरुद्ध कुछ भी मीडिया को जारी नहीं किया जाएगा। ये बयान कंपनी ने तब दिया था जब अदालत ने कंपनी को अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावे करने के प्रति आगाह किया था।
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