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Assembly Election Results Tomorrow : जानिए चुनावों में क्यों होता है इन 'शब्दों' का इस्तेमाल?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 9, 2022, 2:52 pm IST
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Assembly Election Results Tomorrow : जानिए चुनावों में क्यों होता है इन 'शब्दों' का इस्तेमाल?

Assembly Election Results Tomorrow

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Assembly Election Results Tomorrow: चाहे लोकसभा, विधानसभा, राज्य सभा, पंचायत या नगर निगम का चुनाव हो। इनके शुरू होते ही और नतीजे आने तक ऐसे कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के तौर पर जैसे-सरकार को बहुमत जरूरी, इनकी जमानत जब्त हुई, जमानत राशि और गठबंधन की सरकार बनेगी आदि शब्द। बता दें कि इन सारे शब्दों को आप लोग कई बार सुनते व बोलते होंगे। लेकिन कई लोग इन शब्दों का अर्थ नहीं जानते हैं। तो आइए समझते हैं चुनावों के दौरान प्रयोग होने वाले शब्दों का मतलब।

जमानत राशि और जमानत जब्त का मतलब क्या?

  • सबसे पहले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए नामांकन, यानी पर्चा भरते हुए एक तय राशि जमा करवानी होती है। इसे जमानत राशि कहते हैं। पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक, हर चुनाव की जमानत राशि अलग होती है। चुनाव आयोग समय-समय पर इसे तय करता है।
  • जमानत राशि जमा कराने के पीछे चुनाव आयोग का मकसद नॉन सीरियस उम्मीदवार को रोकना है। हालांकि, आयोग अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हुआ है। 1952 में हुए पहले आम चुनाव में 40 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी, तो 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 86 फीसदी हो गया। वहीं कुछ हालातों में जमानत राशि वापस भी कर दी जाती है।
  • जैसे- अगर उम्मीदवार को उसके निर्वाचन क्षेत्र में पड़े कुल वोटों के 1/6 से ज्यादा वोट मिल जाएं। भले ही वो चुनाव हार जाए। किसी उम्मीदवार को 1/6 से कम वोट मिले हों, लेकिन वह चुनाव जीत गया हो। मतदान शुरू होने से पहले ही उम्मीदवार की मौत होती है तो उसके कानूनी वारिस को जमानत राशि लौटा दी जाती है।
  • उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने या उम्मीदवार की ओर से तय समय के भीतर नाम वापस लेने पर। दरअसल, किसी भी उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में पड़े कुल वोटों के 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि को चुनाव आयोग वापस नहीं करता है। इसे जमानत जब्त होना कहते हैं।

चुनाव में बहुमत का मतलब क्या?

विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, आमतौर पर जब किसी पार्टी या गठबंधन को उस सदन की कुल सीटों में से आधी से ज्यादा सीटों पर जीत मिलती है तो उसे बहुमत हासिल करना कहते हैं।

हंग असेंबली किसे कहते हैं?  (Assembly Election Results Tomorrow)

  • बताया जाता है कि चुनाव में जब किसी एक पार्टी या गठबंधन को किसी चुनाव में बहुमत के आंकड़े के बराबर या उससे ज्यादा सीटें नहीं मिलती हैं तो ऐसे हालात को अंग्रेजी में हंग असेंबली और हिंदी में त्रिशंकु विधानसभा कहते हैं।
  • उदाहरण के तौर पर पंजाब चुनाव में सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ है। इस तरह पंजाब में बहुमत पाने के लिए 59 सीटें जीतनी होंगी। ऐसे में अगर चुनाव में किसी भी पार्टी या गठबंधन को 59 सीटें नहीं मिलतीं तो कहा जाएगा कि पंजाब में त्रिशंकु विधानसभा है। ऐसे हालात में आमतौर पर सबसे बड़ी पार्टी गठबंधन बनाने की कोशिश करती है। अगर काफी कोशिशों या तय समय के बाद भी सरकार नहीं बनती है तो राज्यपाल विधानसभा को निलंबित करके राष्ट्रपति शासन लगा सकता है।

गठबंधन क्या है, और कितने तरीकों का होता?

Assembly Election Results Tomorrow

  • बता दें कि जब दो या उससे ज्यादा पार्टियां आपस में सियासी रूप से हाथ मिला लेती हैं तो उसे गठबंधन कहते हैं। मोटे तौर पर यह दो तरह का होता है। पहला- चुनाव से पहले और दूसरा- चुनाव के बाद। उदाहरण के तौर पर 2019 में महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा मिलकर चुनाव लड़े थे, लेकिन नतीजे आने के बाद अलग-अलग हो गए। अगर दोनों मिलकर सरकार बना लेते तो उसे चुनाव पूर्व हुए गठबंधन की सरकार कहा जाता।
  • इससे उलट, सरकार तो शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर बनाई। ऐसे में इसे चुनाव बाद हुए गठबंधन की सरकार कहेंगे। लोकतंत्र में चुनाव से पहले हुए गठबंधन को अच्छा माना जाता है, क्योंकि गठबंधन की सभी नीतियों को जानकर ही लोगों ने उन्हें वोट देती है। वहीं, चुनाव के बाद गठबंधन को आमतौर पर मौकापरस्ती मान लिया जाता है।

विश्वास प्रस्ताव क्या?  (Assembly Election Results Tomorrow)

  • सरकार सदन में विश्वास मत के जरिए यह साबित करती है कि उसके पास सत्ता में रहने के लिए मौजूद आधे से ज्यादा सांसद या विधायक हैं। वहीं, अविश्वास मत के जरिए विपक्षी पार्टी यह साबित करने की कोशिश करती है कि सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं है। यानी विश्वास मत सरकार लाती है और अविश्वास मत विपक्षी पार्टियां।
  • उदाहरण उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं। अगर सभी सीटों पर चुनाव हुआ और विश्वास मत के दिन सभी 403 विधायक मौजूद होते हैं तो ऐसे में जिस भी पार्टी के पास आधे से ज्यादा यानी 202 विधायकों को समर्थन होगा, वह बहुमत हासिल कर लेगी। इससे उलट अगर विपक्षी पार्टियां दावा करती हैं कि सरकार के पास सदन में पूरा समर्थन नहीं, तो वो सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाती हैं। अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है तो मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है।

एग्जिट पोल का मतलब क्या?

  • आम जनता जब मतदान करने के बाद बूथ से एग्जिट (बाहर) होते हैं तो कुछ एजेंसियां उन लोगों के बीच जाकर सर्वे करती हैं और पता लगाने की कोशिश करती हैं कि किस व्यक्ति ने किस पार्टी को वोट दिया है। लोगों की दी गई राय के आधार पर गुणा-भाग करके पता लगाया जाता है कि इस बार कौन जीत रहा है। इसे ही एग्जिट पोल कहते हैं। वोटिंग खत्म होने के बाद इसके आंकड़े जारी होते हैं। Assembly Election Results Tomorrow
  • भारत में एग्जिट पोल और पोल सर्वें का विकास दिल्ली के सीएसडीएस यानी सेंटर फॉर स्टडी आॅफ डेवलपिंग सोसाइटीज ने 1960 के दशक के आखिरी सालों में शुरू कर दिया था, लेकिन देश का पहला गंभीर एग्जिट पोल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में सामने आया।

विधानसभा स्पीकर का क्या काम?  (Assembly Election Results Tomorrow)

  • विधानसभा की कार्यवाही चलाने वाले सदस्य को ही विधानसभा स्पीकर कहते हैं। किसी सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को स्पीकर चुना जाता है। इसके लिए ध्वनिमत से विधायकों की सहमति जरूरी होती है। जब स्पीकर मौजूद नहीं होता है तो उपाध्यक्ष सदन संचालित करता है। आमतौर पर सरकार बनाने वाली पार्टी से लोकसभा या विधानसभा स्पीकर बनाए जाते हैं।
  • कहते हैं कि सदन चलाने के अलावा सियासी नजरिए से भी स्पीकर का पद काफी खास है। कब किस मुद्दे या कानून पर चर्चा होगी? कौन कितने समय बोलेगा? कौन बिल किसी कैटेगरी में आएगा? यानी कोई बिल मनी बिल है या साधारण बिल यह भी स्पीकर तय करता है।

विधानसभा चुनाव के बाद राज्यपाल क्यों जरूरी?

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  • संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार, राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। हालांकि, यह नियुक्ति पूरी तरह केंद्र सरकार की सलाह पर ही की जाती है। राज्यपाल प्रधानमंत्री की इजाजत होने तक ही पद पर बने रह सकते हैं। यह किसी भी राज्य का सबसे प्रमुख संवैधानिक पद होता है। साथ ही राज्यपाल केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। इस प्रकार राज्यपाल की दोहरी भूमिका होती है।
  • जैसे संसद के तीन अंग राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा होते हैं। वैसे ही राज्य के सदन के भी दो या तीन हिस्से होते हैं यानी जिस राज्य में विधान परिषद होगी वहां पर यह संख्या तीन होगी- राज्यपाल, विधानसभा और विधानपरिषद। वहीं जिन राज्यों में विधान परिषद नहीं होगी वहां ये संख्या दो होगी- राज्यपाल और विधानसभा।
  • विधानसभा चुनाव के बाद किसी राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए राज्यपाल ही न्योता देते हैं। इसलिए चुनाव में बराबरी का मुकाबला होने पर राज्यपाल काफी अहम भूमिका में होते हैं। ऐसी स्थिति में राज्यपाल दो प्रमुख आधार पर न्योता देते हैं। पहला, सबसे बड़ी पार्टी को और दूसरा- किसी गठबंधन को तब न्योता मिलता जब राज्यपाल अपने विवेक के आधार पर यह मानते हों कि गठबंधन के पास सरकार बनाने के लिए पूरा समर्थन है।

प्रोटेम स्पीकर क्यों अह्म?

प्रोटेम लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर से बना है। इसका मतलब- ‘कुछ समय के लिए’ होता है। प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है। ऐसी नियुक्ति तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी अध्यक्ष नहीं चुन लेती। प्रोटेम स्पीकर ही नए विधायकों को शपथ दिलाता है। आमतौर पर सदन के सबसे सीनियर सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है।

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