Corona Spreading Rapidly Among Children: देश में जिस तरह से कोरोना केस बढ़ रहे हैं उसे देखकर लग रहा है कि चौथी लहर आने वाली है। इस बार बच्चों के संक्रमित होने की संभावना ज्यादा दिख रही है। दिल्ली में (delhi coronavirus case) कोरोना से भर्ती मरीजों में से 27 फीसदी बच्चे हैं। तो आइए जानते हैं आखिर किस वजह से बढ़ रहे कोरोना केस। क्या ये चौथी लहर है। क्यों ज्यादातर बच्चे आ रहे चपेट में। (Covid 4th wave in India)
देश में कोरोना केस बढ़ने की वजह क्या?
दरअसल सरकार ने 31 मार्च से देश में कोरोना पाबंदियां खत्म कर दी थीं और सार्वजनिक जगहों पर मास्क न पहनने पर जुमार्ने का प्रवाधान खत्म कर दिया गया था। वहीं इस मामले में आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने कहा कि देश में फिर से कोरोना पर लगाई गई सारी पाबंदियां हट गई हैं, आॅफिस खुल गए हैं, बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। पाबंदियां हटने की वजह से ही केस बढ़े हैं। लोग एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे हैं और खुद से टेस्ट करवा रहे हैं, इसलिए भी केस बढ़े हैं। बताया जा रहा है कि तीसरी लहर के बाद का उतार-चढ़ाव है, जिसकी वजह से हाल ही में कई यूरोपीय देशों में भी केस अचानक बढ़ने लगे थे।
देश में कोरोना के लिए कौन सा वैरिएंट जिम्मेदार? (Corona Spreading Rapidly Among Children)
देश में ओमिक्रॉन की वजह से तीसरी लहर आई थी। आवरवर्ल्डइंडाटा के मुताबिक, अप्रैल तक देश में नए कोरोना केस में से 100 फीसदी के लिए ओमिक्रॉन जिम्मेदार था। पिछले कुछ महीनों में ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट बीए.2 या स्टेल्थ ओमिक्रॉन भारत समेत पूरी दुनिया में तेजी से फैला है।
पिछले कुछ दिनों में दुनिया में सामने आए कुल कोरोना केस में से करीब 94 फीसदी के लिए बीए.2 ही जिम्मेदार था। एक्सपर्ट्स मुताबिक, भारत में अभी बीए.2 या स्टेस्थ ओमिक्रॉन ही डोमिनेंट वैरिएंट है और अधिकतर नए केस के लिए जिम्मेदार है। ओमिक्रॉन का बीए.2 सब स्ट्रेन ओमिक्रॉन के ओरिजनल स्ट्रेन से डेढ़ गुना ज्यादा संक्रामक है। चीन और कई यूरोपीय देशों में हाल के दिनों में केस बढ़ने के पीछे बीए.2 को ही जिम्मेदार है।
बीए.2 के ज्यादा संक्रामक होने की वजह से ही देश के कुछ हिस्सों में केस बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके लक्षण हल्के होने की वजह से गंभीर बीमारी के मामलों या मौत की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है। बीए.2 में ओमिक्रॉन के ओरिजिनल स्ट्रेन की तुलना में स्पाइक प्रोटीन में कुछ यूनीक म्यूटेशन है, जिससे इसे आरटी-पीसीआर टेस्ट में पकड़ना मुश्किल होता है, इसीलिए इसे स्टेल्थ ओमिक्रॉन या छिपा ओमिक्रॉन कहा जा रहा है।
वहीं, हाल ही में गुजरात में नए वैरिएंट एक्सई और मुंबई में इसी वैरिएंट का एक संदिग्ध मिलने के बाद इस नए वैरिएंट के खतरे की चर्चा तेज हो गई है। एक्सई ओमिक्रॉन के ही सब-वैरिएंट बीए.1 और बीए.2 से मिलकर रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट है। डब्ल्यूएच मुताबिक, एक्सई वैरिएंट ओमिक्रॉन के सबसे संक्रामक माने जा रहे ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट बीए.2 से भी 10 फीसदी ज्यादा संक्रामक है।
अपने स्टैटिस्टिकल मेथेड से देश में 22 जून तक चौथी लहर आने की भविष्यवाणी करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का कहना है कि जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं उससे चौथी लहर का संकेत दिख रहा है या कहें कि इसकी आशंका ज्यादा है। (Coronavirus Fourth Wave Alert)
वहीं कुछ प्रोफेसरों का कहना है कि अभी चौथी लहर आने की कोई आशंका नहीं है। महामारी विशेषज्ञ ने कहा, ये चौथी लहर का संकेत नहीं है। केस बढ़ते-घटते रहेंगे, लेकिन अभी नई लहर की आशंका नहीं है, क्योंकि देश में अभी ओमिक्रॉन और उसके सब-वैरिएंट बीए.1, बीए.2 ही डोमिनेंट वैरिएंट हैं, एक वैरिएंट से दो लहर नहीं आ सकती है।
आखिर बच्चे क्यों हो रहे कोरोना संक्रमित?
हाल के दिनों में दिल्ली-एनसीआर में कोरोना केस बढ़ने के दौरान बच्चों के भी तेजी से संक्रमित होने के केस देखने को मिल रहे हैं। दिल्ली में अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमितों में से 27 फीसदी बच्चे हैं। दिल्ली में अभी कुल 51 कोरोना मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से 14 बच्चे हैं। बता दें 18 अप्रैल को नोएडा में 107 कोरोना केस सामने आए, जिनमें से 33 स्कूली बच्चे हैं। नोएडा में अब तक कोरोना से 100 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। नोएडा के साथ ही गाजियाबाद में भी कई स्कूली बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।
बच्चों के तेजी से संक्रमित होने की वजह क्या?
इस मामले में महामारी विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों के कोरोना संक्रमित होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। जब स्कूल बंद थे, तब भी बच्चे कोरोना की चपेट में आ रहे थे। अब स्कूल खुलने पर केस रिपोर्ट हो रहे हैं। इसलिए मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के संक्रमण को स्कूलों के खुलने से जोड़कर देखना गलत है।
वहीं एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि बच्चों के कोरोना संक्रमित होने पर भी उनमें हल्के लक्षण होते हैं और वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। उन्होंने एलिजिबल बच्चों को वैक्सीन लगवाने की सलाह दी। एक रिपोर्ट मुताबिक, आईसीएमआर के समीरन पांडा का कहना है कि एक से सात साल तक के बच्चों के भी कोरोना संक्रमित होने का खतरा रहता है, लेकिन उनमें गंभीर बीमारी और मौत का खतरा कम रहता है।
उन्होंने बच्चों को स्कूल में मास्क पहनने और अपना खाना शेयर नहीं करने की सलाह दी। वहीं कुछ डॉक्टर्स का कहना है कि ज्यादातर मामलों में कोरोना से बच्चों में हल्के लक्षण होते हैं और इससे उन्हें गंभीर बीमारी नहीं होती है और वे घर पर ही ठीक हो जाते हैं। कोरोना संक्रमित बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने पर डॉक्टर्स कहते हैं कि उन बच्चों में ज्यादातर बच्चों को पहले से कोई बीमारी थी।
छोटे बच्चों में कोरोना संक्रमण के शुरूआती लक्षणों में उल्टी के बाद तेज बुखार और डायरिया के लक्षण होते हैं। वहीं, बड़े बच्चों में अक्सर लगातार सिरदर्द की शिकायत होती है। कोरोना की अब तक की तीनों ही लहरों के दौरान बच्चों पर संक्रमण का ज्यादा असर नहीं पड़ा था।
कोरोना से बचाव के लिए क्या जरूरी? (Corona Spreading Rapidly Among Children)
कोरोना के किसी भी वैरिएंट से बचाव के लिए कोविड प्रोटोकॉल का पालन ही सबसे अच्छा उपाय है। यानी मास्क पहनना, सैनिटाइजर यूज करना और वैक्सीनेशन करवाना। आपको बता दें कि हेल्थी और वैक्सीनेटेड लोगों के लिए पाबंदियां नहीं होनी चाहिए और फेस्क मास्क अनिवार्य के बजाय स्वैच्छिक होना चाहिए। केवल 60+ उम्र के लोगों, अनवैक्सीनेटेड और पुरानी बीमारी से पीड़ितों को मास्क पहनना और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए।
किस राज्य में ज्यादातर केस बढ़े?
delhi coronavirus cases in india: देश के तीन राज्यों दिल्ली, हरियाणा, यूपी में भी पिछले हफ्ते डेली कोरोना केस में 100 फीसदी से (delhi coronavirus cases update today) ज्यादा की बढ़ौतरी दर्ज की गई। दिल्ली में पिछले हफ्ते (11-17 अप्रैल) 2307 कोरोना केस सामने आए, जो एक हफ्ते पहले के 943 केस की तुलना में 145 फीसदी ज्यादा हैं। दिल्ली में पिछले लगातार दो दिन 500 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। 17 अप्रैल को 517 और 18 अप्रैल को 501 केस दर्ज हुए। दिल्ली में 18 अप्रैल को पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 7.72 फीसदी हो गया, जो एक दिन पहले 4.21 फीसदी था। (Delhi Noida Ghaziabad Haryana School COVID Cases)
वहीं इस दौरान हरियाणा में केस में बढ़ोतरी दर्ज की गई और 1119 नए केस सामने आए, जो एक हफ्ते पहले आए 514 केस की तुलना में 118 फीसदी ज्यादा हैं। वहीं, इस दौरान उत्तर प्रदेश में एक हफ्ते पहले के 224 केस की तुलना में पिछले हफ्ते 540 केस दर्ज किए गए, जो 141 फीसदी ज्यादा हैं। हरियाणा और यूपी में नए केस में से ज्यादातर एनसीआर शहरों, यानी हरियाणा के गुड़गांव और यूपी में नोएडा और गाजियाबाद में सामने आए।
वहीं, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान में वीकली केसेज में ज्यादा परिवर्तन नहीं नजर आया। गुजरात में पिछले हफ्ते के 115 के मुकाबले इस हफ्ते 110 केस आए, वहीं राजस्थान में पिछले हफ्ते के 67 के मुकाबले इस हफ्ते 90 केस सामने आए। (Corona Spreading Rapidly Among Children)