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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Plastic in Human Blood: क्या कभी आपने ये सोचा है कि व्यक्ति के शरीर में बनने वाले खून में प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण भी मिले हो सकते हैं। इस बात पर इतना परेशान होने की आवश्यकता नहीं, बल्कि सचेत रहने की जरूरत है। बता दें नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी (Vrije Universiteit Amsterdam) ने एक रिसर्च की है।
इसमें पता चला है कि 80 फीसदी लोगों के खून में प्लास्टिक के कण (Plastic particles) मौजूद हैं। तो चलिए जानते हैं कि कैसे बना प्लास्टिक। क्या होती है माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics), शोध से क्या पता चला। खून में कैसे पहुंचता है प्लास्टिक। इससे शरीर को क्या है नुकसान?
आमतौर पर यह माना जाता है कि कोयला और तेल को मिलाकर प्लास्टिक को तैयार किया जाता है। काफी हद तक ये सही भी है। लेकिन कहते हैं कि आज से करीब 100 साल पहले बेल्जियम मूल के साइंटिस्ट लियो बैकलैंड ने फिनोल और फॉर्मेल्डिहाइड नाम के दो केमिकल को मिलाकर एक पदार्थ बनाया, जिसका नाम बैकेलाइट दिया गया। इसी बैकेलाइट को सबसे पहला प्लास्टिक या सिंथेटिक प्लास्टिक कहा गया।
पर्यावरण और मौसम पर रिसर्च करने वाली इंस्टीट्यूट नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फियरिक ने रिपोर्ट में बताया है कि 5 मिलीमीटर से छोटे यानी 0.2 इंच के आकार या इससे छोटे प्लास्टिक के कण ही माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) कहलाते हैं। माइक्रो का मतलब काफी छोटा या सूक्ष्म होता है। इस वजह से ही इस छोटे कण का नाम माइक्रोप्लास्टिक रखा गया है। अब इस बात को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि एक माइक्रोप्लास्टिक एक तिल के बीज के बराबर या थोड़ा छोटा हो सकता है।
आपको बता दें कि हाल ही में यूनिवर्सिटी आफ एम्सटर्डम के मेडिकल सेंटर में एक रिसर्च हुई, जिसमें 22 लोगों के खून के सैंपल (blood samples) लिए गए थे। इस जांच में पता चला कि इनमें से 17 ब्लड डोनर के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) मौजूद है।
रिसर्चकर्त्ताओं का कहना है कि वह और उनकी टीम इन 22 लोगों के खून में 700 नैनोमीटर से बड़े सिंथेटिक पॉलिमर का पता लगा रहे थे। इस दौरान उन्हें 17 लोगों के खून में पॉलीइथिलीन टेरेफ्थलेट और स्टायरीन पॉलिमर के बने माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं। यह पहली बार हुआ है जब इंसान के खून में प्लास्टिक मिले होने का पता चला है।
प्लास्टिक के साथ समस्या यह है कि यह बायोडिग्रेडेबल नहीं है। यह कागज या भोजन की तरह सड़ता नहीं है, इसलिए यह सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में घूम सकता है। वैज्ञानिकों ने उत्तरी फुलमार के समुद्री पक्षियों के मल में 47 फीसदी तक माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने की बात कही है। माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव से कछुए और अन्य समुद्री जीव भी अनछुए नहीं हैं। Plastic in Human Blood
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