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India News (इंडिया न्यूज), Cold Lava: इंडोनेशिया के सुमात्रा में सक्रिय ज्वालामुखी माउंट मरापी से अचानक आई बाढ़, भूस्खलन और ठंडे लावा की विनाशकारी धारा की वजह से पिछले सप्ताह में कम से कम 43 लोगों की मौत हो गई और 19 लोग लापता हैं। ठंडा लावा, जिसे जावानीज़ में लहार भी कहा जाता है। इसमें पानी और चट्टान के टुकड़ों का मिश्रण होता है जो ज्वालामुखी की ढलानों से तेजी से बहता है। नदी घाटियों में प्रवेश करता है और विस्तृत क्षेत्रों में फैल जाता है। इंडोनेशिया में आपदा प्रतिक्रिया एजेंसी ने परेशान करने वाली तस्वीरें और वीडियो साझा किए। जिनमें माउंट मरापी के पास सड़कें और खेत मोटी मिट्टी और राख से ढके हुए दिखाई दे रहे हैं।
इंडिपेंडेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार यह ठंडा लावा सैकड़ों किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बह सकता है और ज्वालामुखी से 60 किमी तक की दूरी तक पहुंच सकता है। जो इसके रास्ते में आने वाली किसी भी चीज़ के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार लाहार को नियमित लावा प्रवाह की तुलना में अधिक विनाशकारी और घातक माना जाता है। उनमें लगभग किसी भी चीज़ को कुचलने या दफनाने की क्षमता होती है।साथ ही पुलों और सड़कों जैसे बुनियादी ढांचे को नष्ट करके, वे लोगों को उन क्षेत्रों में फंसा सकते हैं जो आगे ज्वालामुखी गतिविधियों के प्रति संवेदनशील हैं।
बोइस स्टेट यूनिवर्सिटी में बोइस स्टेट हैज़र्ड एंड क्लाइमेट रेजिलिएंस इंस्टीट्यूट के निदेशक ब्रिटनी ब्रांड ने न्यूजवीक के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि राख या लावा का एक छोटा सा विस्फोट उस बर्फ की परत को इतना पिघला सकता है कि विनाशकारी लहरें पैदा कर सकता है। यह क्षेत्र अक्सर भूस्खलन और अचानक बाढ़ का अनुभव करता है, जो कि प्रशांत रिंग ऑफ फायर पर इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण और भी बदतर हो गया है। जहां 127 सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो दुनिया के किसी भी अन्य देश से अधिक है। अभी भी स्थिति अनिश्चित बनी हुई है क्योंकि इंडोनेशियाई अधिकारियों ने निवासियों और पर्वतारोहियों को माउंट मारापी के क्रेटर के 4.5 किमी के दायरे के क्षेत्रों से बचने की चेतावनी जारी रखी है।
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