India News (इंडिया न्यूज), Abu Azmi on Nagpur Violence: नागपुर हिंसा को लेकर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। इस बीच समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि नागपुर में हमेशा सभी लोग मिलजुलकर रहते थे, लेकिन इस बार जो घटना हुई है, वह बहुत दुखद है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटनाएं समाज को बांटने का काम करती हैं, इसलिए हमें मिलकर शांति कायम रखनी चाहिए। अफवाहों पर ध्यान न दें और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखें।’ सपा नेता ने आगे लोगों से अपील की कि वे किसी के बहकावे में न आएं और देश की तरक्की के लिए एक साथ मिलकर काम करें।
महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद सोमवार को हिंसक हो गया। मध्य नागपुर में एक समुदाय की पवित्र पुस्तक जलाए जाने की अफवाह फैलने के बाद हिंसा भड़क उठी।
दंगाइयों ने पुलिस पर पथराव किया, चार वाहनों को आग के हवाले कर दिया और दो दर्जन से अधिक वाहनों में तोड़फोड़ की। इसके अलावा दो पोकेलिन मशीनों को आग के हवाले कर दिया गया और स्थानीय निवासियों के घरों पर भी हमला किया गया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सख्त कार्रवाई की और अब तक कई लोगों को हिरासत में लिया गया है।
महाराष्ट्र से बीजेपी विधायक राम कदम ने सोमवार को नागपुर में हुई हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष और विधायक अबू आजमी को जिम्मेदार ठहराया है।
राम कदम ने मंगलवार को एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा, उद्धव ठाकरे ने जिस अबू आजमी को अपनी गोद में बैठाया, वह इसके लिए जिम्मेदार हैं। आजमी ने औरंगजेब की जय-जयकार की शुरुआत की, जिससे जनाक्रोश बढ़ा। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे का बचाव किया। भाजपा विधायक ने कहा, उन्होंने (नितेश राणे ने) हिंदुत्व को लेकर अपनी भूमिका रखी और मैं मानता हूं कि उन्हें ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता है। हमारी हिंदुत्व की भूमिका है, थी और हमेशा रहेगी।
इससे पहले अबू आजमी ने अपने बयान में कहा था कि औरंगजेब को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। आजमी ने आगे कहा था कि ‘औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए थे, वह क्रूर नहीं था। मैंने जो भी पढ़ा है, उसके मुताबिक उसने कभी भी जनता के पैसे का दुरुपयोग नहीं किया। उसका शासन बर्मा (अब म्यांमार) तक फैला हुआ था और उस समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।’
आजमी ने यह भी कहा कि औरंगजेब एक कुशल प्रशासक था और उसकी सेना में कई हिंदू सेनापति भी शामिल थे। उनके इस बयान पर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है।