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India News (इंडिया न्यूज़), Sharath Chandra Reddy, दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। शराब घोटाले के आरोपियों में से एक, हैदराबाद के व्यवसायी शरथ चंद्र रेड्डी मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान रेड्डी की याचिका को स्वीकार कर लिया और उन्हें दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित प्रवर्तन निदेशालय के मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी। अदालत ने मामले में रेड्डी को क्षमादान भी दिया। शरथ चंद्र रेड्डी को दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 और दिसंबर 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
ईडी के मुताबिक, रेड्डी हैदराबाद स्थित अरबिंदो फार्मा कंपनी के प्रमुख हैं और शराब के कारोबार में लगे हैं। सरथ रेड्डी ने दिल्ली आबकारी नीति, 2021-22 में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए विभिन्न व्यापार मालिकों और राजनेताओं के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाई तथा साजिश रची और अनुचित बाजार प्रथाओं में लिप्त रहे। सरथ रेड्डी ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति के उद्देश्यों के स्पष्ट उल्लंघन में कार्टेलाइजेशन के माध्यम से एक विशाल बाजार हिस्सेदारी को नियंत्रित करने वाले सांठगांठ का नेतृत्व किया।
साथ ही कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 19 जुलाई तक बढ़ा दी। तिहाड़ जेल में घंटों पूछताछ के बाद ईडी ने नौ मार्च को सिसोदिया को शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले, सिसोदिया को सीबीआई ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (जीएनसीटीडी) की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की चल रही जांच में गिरफ्तार किया था।
ईडी इस मामले में अब तक सिसोदिया समेत कुल 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसने इस मामले में 4 मई तक 191 तलाशी ली। इस दिन मामले में नई चार्जशीट दाखिल की गई थी। दिल्ली की नई शराब नीति को साल 2020 में जारी किया गया था और नवंबर 2021 में लागू किया गया था। इससे दिल्ली में शराब की बिक्री तंत्र में कई बदलाव किए। इसने शराब बेचने की प्रक्रिया से सरकार को बाहर कर दिया गया और निजी खुदरा विक्रेताओं को इस प्रक्रिया में शामिल शामिल किया गया।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आप सरकार की संशोधित उत्पाद शुल्क नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। जांच एजेंसियों ने नई शराब नीति में कई विसंगतियां पाईं और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताएं पाईं।
यह आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार की 2021-22 के लिए शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने की आबकारी नीति ने कार्टेलाइजेशन की अनुमति दी और कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने इसके लिए कथित रूप से रिश्वत दी थी। आरोपों का आम आदमी पार्टी ने खंडन किया था। नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था पहले सीबीआई ने जांच किया बाद में ईडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया।
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