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'रामलला को गोद में लेकर भागे थे ये पुजारी', उस खौफनाक दिन पर क्या-क्या हुआ था? चश्मदीद ने बताई बाबरी विध्वंस की पूरी कहानी

आचार्य सत्येंद्र दास का रामलला की पूजा के लिए साल 1992 में बाबरी विध्वंस से महज नौ महीने पहले ही चयन हुआ था।

BY: Shubham Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Acharya Satyendra Das : आज बुधवार, 12 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन हो गया है। 85 साल के पुजारी सत्येंद्र दास का लखनऊ पीजीआई के न्यूरोलॉजी वार्ड में इलाज चल रहा था। उन्हें 3 फरवरी को स्ट्रोक के कारण गंभीर हालत में न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू में भर्ती कराया गया था। एसजीपीजीआई की तरफ से जारी किए गए बयान में जानकारी दी गई है कि, श्री सत्येंद्र दास जी को स्ट्रोक हुआ है। उन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप है और वे फिलहाल न्यूरोलॉजी आईसीयू में भर्ती थे पीजीआई प्रशासन के अधिकारी PRO ने बताया कि सुबह उन्होंने पीजीआई में अंतिम सांस ली।

बता दें कि मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास 32 साल से अयोध्या में रामलला की सेवा करते आ रहे थे। यहीं नहीं बाबरी विध्वंस से लेकर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा तक राम मंदिर आंदोलन के साक्षी रहे हैं सत्येंद्र दास। इसी कड़ी में उन्होंने एक बार विवादित ढांचा विध्वंस वाले दिन की पूरी घटना बताई थी।

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Acharya Satyendra Das

100 रुपये वेतन…टेंट में 28 साल तक की रामलला की पूजा, बाबरी विध्वंस से लेकर रामलला के भव्य मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा तक साक्षी रहे आचार्य सत्येंद्र दास

‘सुबह 11 बज रहे थे तभी…’

आचार्य सत्येंद्र दास ने बाबरी विध्वंस को लेकर बताया था कि, 6 दिसंबर की उस घटना में, मैं वहीं पर था। सुबह 11 बज रहे थे, मंच तैयार था और लाउड स्पीकर से ऐलान किया जा रहा था। नेताओं ने कहा कि पुजारी जी रामलला को भोग लगा दें और पर्दा बंद कर दें। मैंने भोग लगाकर रामलला का पर्दा बंद कर दिया। जो कारसेवक वहां आए थे, उनसे कहा गया था कि आप लोग सरयू से जल ले आएं।

वहां एक चबूतरा बनाया गया था। ऐलान किया गया कि सभी लोग चबूतरे पर पानी छोड़ें और धोएं, लेकिन जो युवा कारसेवक थे, उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। युवा कारसेवकों ने कहा कि हम यहां पानी से चबूतरा धोने नहीं आए हैं। हम लोग यह कारसेवा नहीं करेंगे। उसके बाद नारे लगने लगे। सभी युवा कारसेवक उत्साहित थे। वे बैरिकेडिंग तोड़कर विवादित ढांचे तक पहुंच गए और तोड़ना शुरू कर दिया। इस बीच हम रामलला को बचाने में लग गए कि उन्हें कोई नुकसान न हो। हम रामलला को उठाकर अलग चले गए। जहां उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।”

आखिरी समय तक रहे राम मंदिर के मुख्य पुजारी

जानकारी के लिए बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास का रामलला की पूजा के लिए साल 1992 में बाबरी विध्वंस से महज नौ महीने पहले ही चयन हुआ था। तबसे लगातार वो रामलला की सेवा करते आए हैं। जब राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनी थी तो उन्होंने कहा था कि पता नहीं मैं आगे रामलला की सेवा कर पाऊंगा या नहीं, लेकिन आखिरी समय तक राम मंदिर के मुख्य पुजारी वही रहे।

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