संबंधित खबरें
'दादी के लिए बच्चा…', अतुल सुभाष केस में SC ने ये क्या कह दिया? सुनकर कलेजा हो जाएगा छलनी
‘5 लाख रुपए लो और प्रेग्नेंट करो…’, बेरोजगारों के लिए निकली छप्परफाड़ कमाई वाली भर्ती, पूरा मामला जान पुलिस का ठनका माथा फिर…
AI ने सुलझाया 19 साल पुराना ट्रिपल मर्डर केस, पूरा प्रोसेस जान झन्ना जाएगा माथा, टेक्नोलॉजी का ये चमत्कार देख फटी रह गई पुलिस की आंखें
महाराष्ट्र में मिली हार का कांग्रेस ने EVM पर फोड़ा था ठीकरा, अब लोगों ने दिया ऐसा मुंहतोड़ जवाब, धूल फांकते नजर आए राहुल गांधी
अगला बांग्लादेश होगा बिहार! सीमांचल हिस्सों से गायब हो रही हिंदू आबादी, किसने खोले मुस्लिमों के लिए दरवाजे?
‘इंडिया गेट का नाम बदलकर भारत माता द्वार…’, BJP के इस मुस्लिम नेता ने PM Modi को पत्र लिखकर कर दी बड़ी मांग
India News (इंडिया न्यूज), Ajmer News: अढ़ाई दिन का झोपड़ा, जो देश की सबसे प्राचीन मस्जिदों में से एक मानी जाती है, हाल ही में एक विवाद का केंद्र बन गया है। इस बार विवाद का कारण यहां नमाज अदा करने को लेकर है। हिंदू और जैन संतों ने इस मस्जिद में नमाज पढ़ने का विरोध किया है, क्योंकि इस ऐतिहासिक इमारत के गर्भगृह और बाहरी दीवारों के खंभों पर हिंदू और जैन मंदिरों की वास्तुशिल्प शैली स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। साल 2024 की शुरुआत में जब एक जैन साधु अढ़ाई दिन के झोपड़े को देखने पहुंचे, तो उन्हें समुदाय विशेष के लोगों ने रोक दिया। इस घटना के बाद विवाद बढ़ गया, क्योंकि अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया जाता है। इसके बाद पूरे देश के जैन समुदाय ने प्रशासन के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा 1192 ईस्वी में अफगान सेनापति मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाया गया था। इस स्थान पर पहले एक बड़ा संस्कृत विद्यालय और मंदिर थे, जिन्हें तोड़कर मस्जिद में बदल दिया गया था। मस्जिद के मुख्य द्वार के बाईं ओर एक संगमरमर का शिलालेख है, जिस पर संस्कृत में उस पुराने विद्यालय का उल्लेख है। इस मस्जिद में कुल 70 स्तंभ हैं, जो उन मंदिरों से लिए गए थे जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया था, लेकिन स्तंभों को वैसे ही रहने दिया गया था। इन स्तंभों की ऊंचाई करीब 25 फीट है और हर स्तंभ पर सुंदर नक्काशी की गई है।
Bhiwani News: बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचा दूल्ह, निकला एचआईवी पॉजिटिव फिर जानें क्या हुआ
इस मस्जिद का निर्माण उस समय हुआ जब मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर अजमेर पर विजय प्राप्त की थी। माना जाता है कि गोरी को अजमेर में स्थित कई सुंदर हिंदू धर्मस्थलों ने आकर्षित किया। उन्होंने अपने सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को आदेश दिया कि इनमें से सबसे सुंदर स्थल पर मस्जिद बनाई जाए। गोरी ने इसके लिए सिर्फ 60 घंटों (अढ़ाई दिन) का समय तय किया था। हेरात के वास्तुकार अबु बकर ने इस मस्जिद का डिज़ाइन तैयार किया था, और हिंदू श्रमिकों ने बिना रुके लगातार काम करते हुए इसे 60 घंटों में पूरा किया।
हिमाचल में यहां दिवाली के एक महीने बाद मनाई जाती है ‘बूढ़ी दीवाली’, जानें इस पर्व से जुड़ी खास बातें
अढ़ाई दिन का झोपड़ा आज एक ऐतिहासिक धरोहर है, लेकिन इसके इतिहास और संरचना को लेकर कई विवाद उठ चुके हैं, खासकर धार्मिक दृष्टिकोण से। जहां एक ओर यह मस्जिद और पर्यटन स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है, वहीं दूसरी ओर इसकी वास्तुशिल्प शैली और इतिहास के कारण यह विभिन्न समुदायों के बीच तनाव का कारण बनता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.